मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 6 जुलाई 2013

परवेज़ रसूल और पत्रकारिता

                                                         दक्षिणी कश्मीर के बीजबहेड़ा से आने वाले क्रिकेटर परवेज़ रसूल पहले कश्मीरी खिलाडी बन गए हैं जिन्होंने टीम इंडिया और देश के लिए खेलने के लिए अपनी जगह सुनिश्चित की है इससे यही पता चलता है कि घाटी में विपरीत परिस्थितियों के बीच भी अपने क्रिकेट के जूनून को जिंदा रखने की परवेज़ की हसरत किन हालातों में पूरी हुई है ? देश में हर बात पर अजीबो गरीब ख़बरें लिखने वाले कई अख़बारों ने जिस तरह से परवेज़ के चयन को अपने यहाँ सुर्खियाँ बनाकर छापा है उससे यही लगता है कि आज भी देश में कुछ लोगों को अन्य लोगों के अधिकारों का सम्मान करने का मन सिर्फ इसलिए ही नहीं होता है क्योंकि वे अपने को दूसरों से श्रेष्ठ मानते हैं ? यह एक तरह की मानसिक ग्रंथि है और इसके लिए इन मनोरोगियों का पूरी तरह से अच्छा इलाज़ करना चाहिए क्योंकि परवेज़ को एक बार यदि किसी घटना में शक के आधार पर पूछ ताछ के लिए रोक भी लिया गया तो उससे वह आतंकी साबित तो नहीं हो जाता है पर पत्रकारों को सनसनी फ़ैलाने वाली खबर चाहिए होती है इसलिए वे कुछ भी लिख दिया करते हैं ? इस तरह की रिपोर्टिंग करने वाले किसी भी पत्रकार को कम से कम ५ साल तक रिपोर्टिंग करने से रोक दिया जाना चाहिए जिससे घटिया पत्रकारिता पर रोक लगायी जा सके.
                                                     परवेज़ ने जिस तरह से घाटी में बंदूकों के बीच देश के लिए खेलने का जज्बा अपने में जगाये रखा यह उसी का परिणाम है क्योंकि जब तक मन में इतना विश्वास और लगन नहीं होती है तब तक आगे बढ़ पाना सब के बस की बात भी नहीं होती है. कश्मीर से किसी पहले व्यक्ति के चयन से वहां पर नव युवकों में क्रिकेट के लिए दिलचस्पी तो बढ़ेगी ही साथ ही जब पूरा देश उनके खेल के प्रति अपनी दीवानगी दिखायेगा तो उन्हें पूरे भारत के असली समर्थन से जिस गर्व का अनुभव होगा वह उनके लिए पूरी तरह से नया ही होगा क्योंकि अभी तक जिस तरह से कश्मीरियों को यह पाठ पढ़ाया जाता है कि भारत के लोग उनसे नफ़रत करते हैं तो वह लम्हा उनके इस दुष्प्रचार का भी तोड़ ढूँढने का काम खुद ही करा लेगा. अब इस परिस्थिति का लाभ उठाकर जम्मू कश्मीर सरकार को राज्य में खेलों को बढ़ावा देने के बारे में सोचना चाहिए और साथ ही क्रिकेट और अन्य सभी तरह के खेलों के लिए युवकों को अच्छी सुविधाएँ भी उपलब्ध करानी चाहिए.
                                                    कश्मीर घाटी में भी पूरे देश की तरह क्रिकेट के दीवाने बसते हैं पर अभी तक कश्मीर सरकार या क्रिकेट बोर्ड ने वहां पर किसी विश्व स्तरीय क्रिकेट मैच का आयोजन कराने के बारे में नहीं सोचा है अब इस क्रिकेट के बहाने से किसी कश्मीरी उद्योगपति को आईपीएल की एक कश्मीरी टीम बनाने और उसको खिलाने के बारे में भी सोचना चाहिए और इसके साथ ही कम से घाटी और जम्मू में दो विश्व स्तरीय क्रिकेट मैदानों का विकास करना चाहिए जिसमें नियमित तौर पर क्रिकेट खेल जाये ? यह ऐसी सहायक गतिविधियाँ होंगीं जिनके माध्यम से राज्य के युवाओं में खेलों की तरफ रूचि बढ़ेगी और वे इस क्षेत्र में भी आगे बढ़ने के बारे में सोचना शुरू कर पायेंगें जो कि आज के पहले की अपेक्षा शांत कश्मीर में एक नया अध्याय भी शुरू कर सकती है. सरकारों ने जहाँ बहुत बड़े स्तर पर अपने कामों को करने के मंसूबे पाल रखे हैं वहीं वे इन छोटी छोटी और प्रभावशाली गतिविधियों को निरंतर ही उपेक्षित सा छोड़ दिया करती हैं जिससे जिस उचित समय का लाभ माहौल को सुधारने में इस्तेमाल किया जा सकता है वह बेकार ही चला जाता है ? पत्रकारों को घटिया तरह से रिपोर्टिंग करने और सनसनी वाली हेडिंग्स से परहेज़ करना चाहिए और सच को लिखने का प्रयास करना चाहिए जिससे माहौल को सुधारने में मदद मिल सके. 
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