देश में लम्बे समय से वांक्षित आतंकी यासीन भटकल की गिरफ़्तारी के बाद जिस तरह से घटिया राजनीति में शामिल नेताओं ने एक बार फिर से बयानबाजी शुरू कर दी है उससे यही लगता है कि आने वाले समय में अब आताकियों को भी हिन्दू और मुस्लिम के चश्मे से देखा जाने लगेगा क्योंकि अभी जबकि भटकल से प्रारंभिक पूछताछ भी संभव नहीं हो पायी है और नेताओं ने अपनी ज़बान चलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है वह देश के लिए ही दुर्भाग्यपूर्ण है. सपा के एक नेता ने जिस तरह से यह पूछा कि यह बताया जाना चाहिए कि भटकल को आतंकी होने के कारण हिरासत में लिया गया है या मुसलमान होने के कारण और उन्होंने सतर्क होने की बात भी की तो उनसे यह भी पूछा जाना चाहिए कि वे किसकी पैरवी करना चाहते हैं ? आज जब पूरे परिदृश्य में मीडिया की बहुत सक्रिय भूमिका होती है तो उस समय किसी भी इतनी महत्वपूर्ण गिरफ़्तारी में इस तरह कि किसी भी राजनीति से बचने की कोशिशें की जानी चाहिए क्योंकि राजनीति में धर्म के अनावश्यक घालमेल से आज इस्लामी देशों में क्या हो रहा है सभी देख रहे हैं.
सुरक्षा एजेंसियों को यदि अपना काम आराम से करने दिया जाए तो आने वाले समय में आतंकियों के लिए देश में अपने लिए पनाह ढूंढना मुश्किल हो जायेगा पर नेताओं की करनी हमारी हर तैयारी पर इसी तरह से पानी डालने का काम करती रहती है. क्या सपा नेता कमाल फारूकी यह बताने की कोशिश करेंगें कि आज तक कितने मुसलमानों को सिर्फ इसलिए हिरासत में लिया गया है कि वे मुसलमान हैं ? और अपने नेताओं की दबंगई पर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने का ढोंग करने वाले अखिलेश क्या उनसे यह पूछने की हिम्मत रखते हैं कि जब जांच प्रारंभिक स्तर पर ही है तो वे अभी से उसे प्रभावित करने का काम क्यों कर रहे हैं और उनकी इस अवांक्षित हरक़त के लिए क्या अखिलेश उन्हें भी पार्टी से बाहर निकाल पाने की हिम्मत रखते हैं ? अखिलेश को यूपी के सीएम होने के नाते यह तो अच्छे से पता ही होगा कि १५ अगस्त पर प्रदेश में आतंकी गतिविधि होने की आशंका के बाद ही महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा बढ़ाई गयी थी और नरौरा बिजलीघर को भी विशेष सुरक्षा घेरे में लिया गया था और जब स्थितियां इतनी विकट हैं तो सपा के नेता इस मसले पर ऐसी बयान बाज़ी क्यों कर रहे हैं ?
आज के युग में जिस तरह से कोर्ट में भटकल के वकील ने उसे भटकल मानने से ही इनकार कर दिया तो क्या उन्होंने यह बात ऐसे ही कह दी होगी और जब इस मामले में उसकी पहचान साबित करने के लिए उसका डीएनए टेस्ट भी किया जायेगा तो उससे पहले ही कोर्ट में इस तरह की बातों से क्या हासिल हो सकता है ? अभी तक कुछ स्वनामधन्य मानवाधिकार लोग भी आईएम को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की उपज बताने से नहीं चूकते थे और यह कहा करते थे कि ऐसा कोई संगठन भारत में वजूद नहीं रखता है तो अब उनके मुंह पर ताले क्यों लटक गए हैं और जब संगठन के इतने बड़े आतंकी पकड़े गए हैं तब वे क्यों कुछ नहीं बोल रहे हैं ? यदि हिरासत में लिया गया व्यक्ति यासीन भटकल नहीं है तो उसे डरने की आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि कोर्ट में यह साबित हो ही जायेगा वह कोई और है पर इस तरह से उसके पक्ष-विपक्ष में माहौल बनाकर हमारी सुरक्षा एजेंसियों के काम करने के तेरीके पर ऊँगली उठाने का हक़ किसी को भी नहीं है. फिलहाल भटकल इतनी बड़ी शख्सियत नहीं है कि यूपी की सत्ताधारी पार्टी के लोग उसके लिए इतनी जल्दी पैरवी शुरू कर दें अब सभी को कानून को अपना काम करने देना चाहिए और समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
सुरक्षा एजेंसियों को यदि अपना काम आराम से करने दिया जाए तो आने वाले समय में आतंकियों के लिए देश में अपने लिए पनाह ढूंढना मुश्किल हो जायेगा पर नेताओं की करनी हमारी हर तैयारी पर इसी तरह से पानी डालने का काम करती रहती है. क्या सपा नेता कमाल फारूकी यह बताने की कोशिश करेंगें कि आज तक कितने मुसलमानों को सिर्फ इसलिए हिरासत में लिया गया है कि वे मुसलमान हैं ? और अपने नेताओं की दबंगई पर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने का ढोंग करने वाले अखिलेश क्या उनसे यह पूछने की हिम्मत रखते हैं कि जब जांच प्रारंभिक स्तर पर ही है तो वे अभी से उसे प्रभावित करने का काम क्यों कर रहे हैं और उनकी इस अवांक्षित हरक़त के लिए क्या अखिलेश उन्हें भी पार्टी से बाहर निकाल पाने की हिम्मत रखते हैं ? अखिलेश को यूपी के सीएम होने के नाते यह तो अच्छे से पता ही होगा कि १५ अगस्त पर प्रदेश में आतंकी गतिविधि होने की आशंका के बाद ही महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा बढ़ाई गयी थी और नरौरा बिजलीघर को भी विशेष सुरक्षा घेरे में लिया गया था और जब स्थितियां इतनी विकट हैं तो सपा के नेता इस मसले पर ऐसी बयान बाज़ी क्यों कर रहे हैं ?
आज के युग में जिस तरह से कोर्ट में भटकल के वकील ने उसे भटकल मानने से ही इनकार कर दिया तो क्या उन्होंने यह बात ऐसे ही कह दी होगी और जब इस मामले में उसकी पहचान साबित करने के लिए उसका डीएनए टेस्ट भी किया जायेगा तो उससे पहले ही कोर्ट में इस तरह की बातों से क्या हासिल हो सकता है ? अभी तक कुछ स्वनामधन्य मानवाधिकार लोग भी आईएम को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की उपज बताने से नहीं चूकते थे और यह कहा करते थे कि ऐसा कोई संगठन भारत में वजूद नहीं रखता है तो अब उनके मुंह पर ताले क्यों लटक गए हैं और जब संगठन के इतने बड़े आतंकी पकड़े गए हैं तब वे क्यों कुछ नहीं बोल रहे हैं ? यदि हिरासत में लिया गया व्यक्ति यासीन भटकल नहीं है तो उसे डरने की आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि कोर्ट में यह साबित हो ही जायेगा वह कोई और है पर इस तरह से उसके पक्ष-विपक्ष में माहौल बनाकर हमारी सुरक्षा एजेंसियों के काम करने के तेरीके पर ऊँगली उठाने का हक़ किसी को भी नहीं है. फिलहाल भटकल इतनी बड़ी शख्सियत नहीं है कि यूपी की सत्ताधारी पार्टी के लोग उसके लिए इतनी जल्दी पैरवी शुरू कर दें अब सभी को कानून को अपना काम करने देना चाहिए और समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
यह लेख वाकई अच्छा है.
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