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शनिवार, 19 अक्तूबर 2013

रेल आरक्षण में नए आयाम

                                रेलवे की संचार सेवाओं को सँभालने के लिए काम कर रही रेलटेल की स्थापना पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणेन्द्र कुमार ने जिस तरह से इस कम्पनी की यात्रियों के लिए सुविधाएँ बढ़ाये जाने में सतत प्रयासरत रहने के लिए सराहना की वहीं उन्होंने एक नया और महत्वपूर्ण काम भी इसे सौंप कर भविष्य में रेलवे के आरक्षण को और पारदर्शी बनाये जाने पर भी प्राथमिकता तय कर दी है. वैसे तो रेलटेल का मुख्य काम रेल परिचालन से जुडी हुई सेवाओं को देने तक ही सीमित रहा है पर अब इसे देश के सभी सभी स्टेशनों को वाई फाई सुविधा से लैस करने का काम भी दिया गया है जिससे आने वाले दिनों में स्टेशनों पर यात्रियों और रेल कर्मचारियों के लिए और भी सुगमता होने की संभावनाएं बनती नज़र आ रही हैं. रेलटेल द्वारा जिस तरह से देश के गांवों में भी तीव्र गति की संचार सेवाएं देने के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने का काम किया जा रहा है उससे यह केवल रेल के लिए काम करने के स्थान से आगे बढ़कर देश के लिए अन्य काम करने वाली कम्पनी भी बन गयी है.
                              रेलवे ने अपने सभी टिकट निरीक्षकों को भविष्य में आधुनिक सुविधाओं से युक्त मोबाइल या टैबलेट से लैस करने का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम भी बनाया है जिसकी घोषणा इस अवसर पर चेयरमैन द्वारा की गयी जिसके तहत अब इन निरीक्षकों के पास ऐसे उपकरण होंगें जिससे वे चलती हुई ट्रेन में भी खाली सीटों की सही जानकारी पा कर उनको यात्रियों के लिए उपलब्ध कर सकते हैं जबकि वर्तमान में उनके पास केवल गाड़ी के प्रस्थान से चार घंटे पहले चार्ट बनने के समय की ही स्थिति उपलब्ध होती है जो कि कई बार बीच में कराये गए निरस्तीकरण के कारण काफी दूरी तक खाली ही रह जाती है. जब इस तरह के आरक्षण को सीधे नेटवर्क से जोड़ दिया जायेगा तो बीच में पनपने वाले भ्रष्टाचार से खुद ही निजात मिल जाएगी क्योंकि तब कोई भी यात्री स्वयं भी सीटों की उपलब्धता देखकर अप्पने आप ही उनसे टिकट और सीट मांग सकता है जिससे सही दिशा में भ्रष्टाचार पर भी चोट की जा सकेगी.
                             भविष्य में जब भी पूरे रेल मार्गों को वाई फाई से युक्त करने में सफलता मिल सके तो यात्रियों की सुविधा के लिए हर प्लेटफार्म पर इस तरह की सुविधाओं से युक्त स्क्रीन भी लगाये जाने चाहिए और वहां से अपनी सीट को बुक करना का अधिकार भी होना चाहिए भले ही आर्थिक सुरक्षा के लिए वहां पर भुगतान का विकल्प न दिया जाये पर मोबाइल में एक कोड भेज जाना चाहिए जिसको बताकर यात्री निरीक्षक को टिकट के मूल्य का भुगतान कर सके. देखने में यह सब एक तिलस्म जैसा ही लगता है पर यदि सही तरह से इस दिशा में काम किया जाये तो आने वाले समय में यह सब आसानी से संभव भी हो सकता है पर अभी तक जिस तरह से आम लोगों के लिए तकनीक एक कठिन और जटिल काम बनी हुई है भविष्य में उसके और भी सरलीकरण की आवश्यकता भी है जिससे आम यात्री भी बिना किसी रोक टोक और अवरोध के इनका तेज़ी से उपयोग कर सके. अब देखना यह है कि इस तरह के प्रयासों को भ्रष्टाचार में लिप्त रहने वाले अधिकारी और कर्मचारी कितनी तेज़ी से लागू करने में दिलचस्पी दिखा पाते हैं ?     
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