मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

दिल्ली सचिवालय से सड़क तक स्वराज

                               दिल्ली में गठित आप की पहली सरकार ने जिस तरह से शासन के काम काज में पारदर्शिता और सरकार की जनता के लिए हर समय उपलब्धता सुनिश्चित करने की तरफ क़दम बढ़ा दिए हैं उसका आने वाले समय में बहुत ही बड़ा और व्यापक प्रभाव दिखायी दे सकता है क्योंकि अभी तक जिस तरह से पूरे देश में सरकारी दफ्तरों में काम कराना अपने आप में ही एक बहुत बड़ा काम हुआ करता है तथा इस समस्या से पार पाने के लिए किसी भी व्यक्ति के पास अभी तक कोई भी व्यवस्था उपलब्ध नहीं है. इस क्रम में यदि दिल्ली सरकार अपने को आम लोगों के लिए इतनी सरलता से उपलब्ध कराने में लगी हुई है तो यह आने वाले समय में देश के स्थापित राजनैतिक तंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती ही है. वैसे भी देखा जाये तो आम जनता का देश के सरकारी कार्यालयों में बहुत अधिक काम नहीं पड़ा करता है जिससे भी इन कार्यालयों में क्या हो रहा है इसकी प्रारंभिक परवाह किसी ने भी नहीं की और जब सुरक्षा और गोपनीयता के कारण इन कार्यालयों के कर्मचारियों ने अपने को जनता के लिए धीरे धीरे दुरूह बना दिया तब दूरी का एहसास होना शुरू हुआ.
                             आज देश भर के किसी भी राज्य के लिए यह मज़बूती से नहीं कहा जा सकता है कि वहाँ पर पूरी पारदर्शिता के साथ सरकार चलायी जा रही है फिर भी कुछ राज्यों में जनता तक सरकार की बेहतर पहुँच भी हुई है पर इससे इतर आज भी पूरे देश के नागरिकों के लिए आवश्यकता पड़ने पर अपना काम करवा पाना अपने आप में ही बड़ी चुनौती बनी हुई है. वैसे देखा जाये तो हर तरह की समस्य़ाओं से निपटने के लिए जितने अधिक विभाग और अधिकारी आज काम पर तैनात रहते हैं फिर भी उन विभागों में कुछ काम समय बद्ध तरीके से नहीं हो पाते हैं तो उसके लिए आख़िर किसे ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है ? देश के राजनैतिक तंत्र ने जिस तरह से सरकारी बाबुओं पर निर्भर रहना सीख लिया और महत्वपूर्ण मसलों पर भी उनकी राय को ही अधिक महत्व देने शुरू किया उसके बाद से ही सरकार की जनता से दूरियां बढ़ती ही चली गयी और आज जनता अपने को अपने ही देश में ठगा सा महसूस करने लगी है जबकि बीच में कुछ लोग आकर लाभ कमाने में लगे हुए हैं.
                               दिल्ली सरकार के जनता के बीच जाने से जहाँ शुरुवात में तो बहुत बड़ी समस्या आ सकती है वहीं आने वाले समय में इससे होने वाले लाभ के चलते अधिकारियों पर यह दबाव स्वतः ही आ जायेगा कि समयबद्ध काम न करने पर मामला सीधे सीएम के संज्ञान में भी जा सकता है. लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर आप सरकार किस तरह से सख्ती दिखाती है यही भविष्य की कार्यप्रणाली को भी तय करेगा. अभी जनता के लिए यह नया प्रयोग होगा और लोगों के पास शिकायतें भी अधिक होंगी जब धीरे ध्रीरे कार्य संस्कृति में बदलाव आ जायेगा और जनता की समस्याओं का समाधान भी सम्बंधित विभागों में ही होने लगेगा तो यहाँ पर आने वाली शिकायतें अपने आप ही कम होती चली जाएँगी. आज भी देश में भ्रष्टाचार में जिस तरह से सरकारी कार्यालयों का बहुत बड़ा योगदान रहा करता हैं यदि उस स्थिति में भी इस तरह से भ्रष्टाचार पर जड़ें काटते हुए चोट करने की शुरुवात की गयी है तो उसका लाभ अवश्य ही जनता को मिलने वाला है पर पूरी कवायद में जिस तरह से जनता आज सिरमौर दिखायी दे रही है उसकी वही परिकल्पना सम्भवतः संविधान के स्वराज में की गयी होगी और इस कार्य संस्कृति के अब पूरे देश में फैलने की आवश्यकता भी महसूस की जा रही है.   
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