मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 11 जनवरी 2014

माघ मेला और आतंकी साया

                                              इलाहाबाद में आयोजित होने वाले माघ मेले की सुरक्षा को लेकर जिस तरह से एक बार फिर से ख़ुफ़िया इनपुट्स सामने आये हैं उससे यही लगता है कि आने वाले समय में यूपी पुलिस के लिए दिन बहुत आसान नहीं रहने वाले हैं और सुरक्षा से सम्बंधित किसी भी तरह की कोताही न बरतने के लिए संकल्पित पुलिस द्वारा मेला संपन्न करने की पूरी तैयारियां भी की जा रही हैं. बोध गया में हुए विस्फोटों और फिर मुज़फ्फरनगर में सरकारी मशीनरी के वोटों की राजनीति के दबाव के चलते काम करने से पूरी तरह से परिस्थितियां अब और भी खराब हो गयी हैं जिनके चलते पुलिस बल अपने स्तर से पूरे प्रयासों में लगा हुआ है. देश में जिस तरह से आतंक को मुसलमानों और अल्पसंख्यकों से जोड़कर अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने का क्रम नेताओं द्वारा चलाया जा रहा है उसकी कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि आज देश में सुरक्षा को देश के नज़रिये से देखने की अधिक आवश्यकता है पर उससे सम्भवतः पार्टियों को मुसलमानों को डराकर वोट लेने में सफलता नहीं मिलती है.
                                              माघ मेले में जितने बड़े स्तर पर हर वर्ष श्रद्धालु प्रयाग जाते हैं और मुख्य स्नानों के अलावा भी पूरे महीने तक वहाँ पर कल्पवास करते हैं तो उस स्थिति में पुलिस और सरकार के लिए चुनौतियाँ और भी अधिक बढ़ जाया करती हैं. एक दो दिनों के लिए इतने बड़े क्षेत्र जिसमें संगम का पूरा क्षेत्र भी आता है कड़ी सुरक्षा कर पाना भी आसान नहीं होता है और जब यह सारे उपाय पूरे महीने तक चलाये रखने हों तब परिस्थितियां और भी कठिन हो जाती हैं. वैसे प्रति वर्ष इस आयोजन से जुड़े होने के कारण यूपी पुलिस के पास इसे सँभालने का व्यापक अनुभव भी है फिर भी श्रद्धालुओं के वेश में समाज और राष्ट्र विरोधी तत्व कभी भी कहीं भी आकर इस मेले की सुरक्षा को खतरे में तो डाल ही सकते हैं. इन परिस्थितियों से निपटने के लिए अब यूपी पुलिस को और भी अधिक चौकन्ना ही रहना होगा और अपने एटीएस को भी और मज़बूत करना होगा. जिससे आने वाले समय में किसी भी केन्दीय इनपुट के साथ वे स्वयं भी कुछ जान और कर पाने की स्थिति में पहुँच सकें.
                                              देश में आतंकियों और अपराधियों पर जिस तरह से राजनेताओं द्वारा बर्ताव किया जाता है वह पूरी दुनिया मे अनूठा ही है क्योंकि कोई भी देश अपने राष्ट्रीय मुद्दों और सुरक्षा पर इस तरह की राजनीति नहीं करते हैं जबकि भारत में ऐसा आमतौर पर होता ही रहता है जिसके चलते कई बार पूरी सुरक्षा ही राजनीति के घिनौने चेहरे को उधेड़ कर सामने कर दिया करती है. आतंकी गतिविधि में शामिल व्यक्ति को धर्म के आधार पर नहीं बल्कि राष्ट्रद्रोही के आधार पर पहचाना जाना चाहिए और केवल संदेह के आधार पर हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति के खिलाफ जांच को तेज़ी से पूरा करने के बाद उस या तो सजा दी जानी चाहिए या फिर उन्हें सबूत न मिलने पर रिहा कर दिया जाना चाहिए. देश में पुलिसिया रफ़्तार के कारण ही पता नहीं कितने लोग आज जेलों में विचाराधीन क़ैदी ही बने हुए हैं जबकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिल पा रहे हैं तो फिर इन लोगों को विशेष निगरानी के साथ अपने परिवारों के साथ रहने देने के बारे में आखिर कोई नेता क्यों नहीं सोचना चाहता है ? जो निर्दोष हैं उन्हें जांचकर रिहा कर दोषियों को भी त्वरित मुक़दमें में सज़ा दिलवानी चाहिए साथ ही सरकार को अब उस स्तर तक अपनी पहुँच बनानी ही होगी जहाँ तक उससे पहले आतंकी पहुँच कर देश ख़िलाफ़ लोगों को भड़काने का काम करने में नहीं चूकते हैं.   
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें