मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 12 जनवरी 2014

जन आकांक्षाएं और राजनीति

                                  देश की राजनीति में परिवर्तन करने के संकल्प के साथ मैदान में उतरी आप ने जिस तरह से जनता के साथ अपने सीधे संवाद को प्राथमिकता में रखा है उसका असर यह तो अवश्य ही दिखायी देने लगा है कि अब केंद्र और अन्य राज्यों की सरकारों पर जनता से जुड़ने के सरोकारों की बात की जाने लगी है और इस अच्छी प्रक्रिया को कई राज्य अपनाने की दिशा में बढ़ते हुए भी दिखायी दे रहे हैं. अभी तक के राजनैतिक परिदृश्य में जो सबसे अहम् बात सामने आ रही है वह यही है कि पिछले कुछ दशकों में व्यक्ति और पार्टी आधारित राजनीति ने जिस स्तर तक पूरी राजनीति को बदल डालने का काम किया था आज वही इन नेताओं के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है. एक समय देश के बड़े से बड़े नेता भी अपने क्षेत्र के लोगों को नाम से पहचाना करते थे पर जिस तरह से इन नेताओं के आस पास किसी भी प्रकार से वोट दिलवाकर चुनावी जीत दिलवाने वाले ठेकेदारों ने अपनी जगह बना ली उसके बाद से ही पूरा राजनैतिक परिदृश्य उलटता ही चला गया और लोकतंत्र की सिरमौर जनता को ही अपने नेताओं से मिलने में कठिनाई होने लगी.
                               आज जिस भी क्षेत्र में देखा जाये राजनैतिक गंदगी ने अपने पाँव पसार रखे हैं जिसके चलते आम जनता अपने को ठगा हुआ सा महसूस करती रहती है तो इन परिस्थितियों में यदि राजनैतिक व्यवस्था से ऊबे हुए लोगों ने दिल्ली में आप के मंत्रिमंडल के जनता दरबार में इतनी बड़ी संख्या में पहुँच कर अपनी शिकायत और समस्याएं दूर करवाने की कोशिश की तो उसकी क्या ग़लती है ? सम्भवतः आप सरकार द्वारा इस बात का सही आंकलन करने में ग़लती हो गयी कि जनता के सामने वास्तव में कितनी अधिक समस्याएं हैं जिन्हें केवल स्थानीय स्तर पर ही निपटाया जा सकता है पर व्यवस्था गत नाकामी और भ्रष्टाचार के कारण ही जनता का कोई काम नहीं हो पाता है. इस मामले में अब एक बार फिर से विचार किया जाने की ज़रुरत है क्योंकि जब तक कोई भी व्यवस्था आम जन-आकांक्षाओं पर खरी नहीं उतर सकती है तब तक जनता अपनी समस्यायों के पुलिंदे लेकर ऐसी हर जगह पर जायेगी जहाँ से उसे शिकायतों के निवारण की आशा जगेगी.
                              अच्छा हो कि भ्रष्टाचार निवारण हेल्पलाइन के बाद अब आप सरकार एक कम्प्यूटरीकृत केंद्रीय व्यवस्था को भी शुरू करे जो केवल जनता दरबार से ही जुड़ी हुई हो और किसी भी व्यक्ति को एसएम्एस या ई-मेल द्वारा वहाँ पर अपनी शिकायत भेजने की सुविधा भी दी जाये यदि सम्बंधित विभाग उसका निवारण तय समय सीमा में कर देता है तो ठीक वरना उसको एक शिकायत संख्या और जनता दरबार में अपनी बात रखने के लिए एक दिन व् समय भी बताया जाये जिससे वह बिना किसी असुविधा के ही अपनी बात सही जगह तक पहुंचा कर उसका निवारण खोज सके. यह शुरुवात है और यह किया भी जा सकता है इसलिए कल की घटना से आप सरकार को विचलित होने की आवश्यकता भी नहीं है क्योंकि जब इतने दिनों से लंबित शिकायतों का निवारण शुरू हो जायेगा तो एक दिन ऐसा भी होगा कि मंत्री बैठे रहेंगें और जनता की कोई शिकायत ही नहीं बचेगी. वैसे इस मामले में आप अपने स्थानीय घोषणा पत्र के अनुसार भी काम करके विधायक या हारे हुए प्रत्याशी के माध्यम से भी जनता की समस्यायों को सुनने के लिए स्थानीय दरबार लगा सकती है और अधिकांश मामलों का निपटारा भी कर सकती है. ध्यान देने की बात यह भी है कि अन्य दलों के उत्पाती कार्यकर्त्ता इस तरह के किसी भी प्रयास को रोकने के लिए अराजकता का सहारा भी ले सकते हैं इसलिए इसे और अधिक करीने से करने की आवश्यकता भी है.
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