मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 5 मार्च 2014

सपा, सुशासन और यूपी

                                        यूपी में सपा की अखिलेश सरकार ने जिस तरह से कानून को हाथ में लेने वाले अपने हर नेता के पीछे मज़बूती से खड़े होने की कवायद शुरू की है उससे उसे आगामी चुनावों में बहुत बड़ा झटका लगने की पूरी सम्भावनाएं भी दिखायी देने लगी हैं. यूपी में विकल्पहीनता के कारण जिस तरह से केवल अपने एजेंडे को लागू करने के अलावा किसी भी तरह के अन्य प्रयास से दूर रहने वाली सपा-बसपा के बीच सत्ता घूम रही है उसका खामियाज़ा पूरा देश भी भुगत रहा है क्योंकि इतनी बड़ी आबादी में जब तक विकास को सही ढंग से परिभाषित कर आगे बढ़ने की कोशिशें शुरू नहीं की जाती हैं तब तक देश का हर विकास स्तरीय नहीं हो सकता है. ताज़ा मामलों में जिस तरह से पहले आयुष डॉक्टर्स को अहमद हसन के आश्वासन देने तथा उसे भूलने के बाद उनके प्रदर्शन पर लाठी चार्ज करने की घटना हो या फिर कानपुर मेडिकल कॉलेज में सपा विधायक इरफान सोलंकी की हरकतें इन सबसे यही बात आमने आयी है कि सपा सरकार को कानून व्यवस्था से कोई मतलब नहीं है वह अपने लोगों को सत्ता के दम पर बचाना चाहती है.
                                        सरकार कैसे चल रही है इस बात का पूरा अंदाजा तो मुलायम को भी है तभी उन्होंने अपनी ही सरकार पर पार्टी को कमज़ोर करने का आरोप लगा दिया है पर सम्भवतः आज सत्ता की चाभी अखिलेश के पास होने के कारण मुलायम खुद भी यूपी की राजनीति में किनारे ही कर दिए गए हैं ? अखिलेश ने कहीं न कहीं से उनकी अवहेलना भी शुरू कर दी हैं जिसके कारण आज सपा के सितारे यूपी में पूरी तरह से गर्दिश में दिख रहे हैं. कानून व्यवस्था एक ऐसा मसला है जिस पर सपा का रिकॉर्ड कभी से अच्छा नहीं रहा है और अनैतिक और गैर कानूनी कामों में लगे हुए हर सपा कार्यकर्ता को अपनी सरकार में जैसे कुछ भी करने की छूट सी मिल जाती है उसका प्रभाव यही होता है कि समाजवाद के पुरोधा की सरकार में आम लोगों पर इस बर्बरता के साथ लाठियां चलायी जाती हैं जिन्हें देखकर किसी की भी रूह काँप सकती है ? कानपुर के एसएसपी ने भी जिस तरह से विधायक के अनैतिक दबाव में आने के कारण मेडिकल कॉलेज में तांडव किया उसकी भी कोई आवश्यकता नहीं थी पर अपने आका के सामने आखिर वे खुद को कमतर भी साबित नहीं करना चाहते थे.
                                       कानपुर से उठी इस चिंगारी का अदाजा आज भी सपा सरकार को ठीक से नहीं हो पाया है क्योंकि जिस तरह से वहाँ पर छात्रों, डॉक्टर्स और शिक्षकों को पुलिस ने खींच खींच कर मारा उसका कोई औचित्य नहीं था और इस काम को कॉलेज प्रशासन के साथ मिलकर सही तरह से सुलझाया जा सकता है और यदि किसी छात्र की गलती थी तो उसे भी कानून के दायरे में लाया जा सकता था पर उसके स्थान पर जिस तरह से बल प्रयोग किया गया उसने पूरे मामले को बिगाड़ कर ही रख दिया है. आज प्रदेश में सरकारी क्षेत्र का चिकित्सा कार्य पूरी तरह से ठप हो चुका है और जिस तरह से शिक्षकों ने अपने सामूहिक इस्तीफे देने शुरू किये हैं और निजी चिकित्सक भी इसमें शामिल हो रहे हैं उसके बाद इरफ़ान सोलंकी को बचा पाना सरकार के बस से बाहर होता जा रहा है. आईएमए ने भी एक तरह से ४८ घंटे की चेतावनी दे दी है कि यदि दोषियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गयी तो पूरे देश के चिकित्सक इस हड़ताल में शामिल हो जायेंगें उससे यूपी सरकार पर और भी दबाव आने वाला है वास्तव में सपा ने मायावती के उस बयान को सच ही कर दिया है कि दो साल में ही जनता इस सरकार की गुंडई से त्रस्त हो जायेगी. 
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