मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

पाक सीमा पर गोलीबारी

                                         हमेशा की तरह ही पाक द्वारा इस वर्ष भी गर्मियों की शुरुवात होने के साथ ही घाटी में आतंकियों की घुसपैठ कराने के उद्देश्य से सीमा पर की जाने वाली गोलाबारी से यही स्पष्ट होता है कि वह शांति और भाईचारे की चाहे जितनी भी बातें कर ले पर जब उनको धरातल पर उतारने का समय आता है तो उसका नजरिया भारत को अस्थिर करने का ही अधिक रहा करता है. भारत और पाक के सम्बन्ध में उसी सीमा के दो रूप सामने आते हैं जिसमें जहाँ भारतीय पक्ष के अनुसार दुर्गम इलाकों में रखवाली करना बहुत ही मुश्किल काम होता है वहीं पाकिस्तानी पक्ष के अनुसार इस दुरूह क्षेत्र में आतंकियों को आसानी से छिपाया भी जा सकता है. सीमा पर कांटेदार बाड़ लगाने के १९८४ के सबसे पहले फैसले के बाद से जहां इस तरह की घुसपैठ को कम करने में सहायता मिली है वहीं पाक आज भी इन घाटियों और नालों में बर्फ कम होने पर इसका दुरूपयोग आतंकियों को कश्मीर घाटी में अशांति फ़ैलाने के लिए भेजने का प्रयास करता रहता है.
                                       यदि पाकिस्तान की मंशा भारत के साथ शांति के साथ रहने की होती तो यही दुर्गम क्षेत्र दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों के आधार बन सकते थे और इस स्थानों पर विश्व भर के पर्यटकों को दोनों देश अपनी अपनी तरफ आकर्षित कर सकते थे पर पाक की कश्मीर हड़पने या उसे भारत के अलग करवाने की मंशा के कारण आज यह बहुत ही संवेदनशील क्षेत्र बना हुआ है. पाक जैसी धूर्त शत्रु पडोसी से निपट पाना भी उतना आसान नहीं है जितना देखने में लगता है क्योकि उसने अपनी घटिया मानसिकता का परिचय गश्त पर रहने वाले सैनिकों की हत्या करके दे ही दिया है. शांति काल ही नहीं बल्कि युद्ध के समय में भी इस तरह की हरकतों को दुनिया भर में गलत माना जाता है पर पाक के लिए उसकी अपनी हरकतें और आतंकियों के समर्थन के सामने सब कुछ पीछे ही रहता है. भारतीय सेना अपने आप में बहुत ही अनुशासित और जुझारू है यह बात पाक समेत पूरी दुनिया जानती है इसीलिए वह सीधे संघर्ष के स्थान पर घुसपैठ को बढ़ावा दिया करता है.
                                   सीमा पर संवाद के साथ ही कड़ा प्रतिरोध भी पाक को सही करने में मदद किया करता है पर भारत दुनिया में अपनी युद्ध शुरू न करने की नीति के कारण ही जाना जाता है जिससे भी कई बार पाक को कुछ ग़लतफ़हमी हो जाया करती है. देश में चल रहे आम चुनावों के कारण जिस तरह से पाक को यह लगता है कि वह कोई बड़ी घुसपैठ करा पाने में सफल हो जायेगा तो यह उसकी बहुत बड़ी भूल ही है क्योंकि भारतीय सेना का चुनावों में पाक सेना की तरह कोई रोल नहीं होता है और हमारे सैनिक अपने काम को पूरी चौकसी के साथ ही अंजाम दिया करते हैं. देश को सुरक्षा मोर्चे पर अभी भी बहुत कुछ करने की ज़रुरत है और उसे एक समय सीमा के अंतर्गत पूरा करने के लिए सरकार द्वारा जो प्रयास किये गए हैं उनके बेहतर परिणाम सामने आने लगे है. पहले के मुकाबले जहाँ हमारी सेना की की पहुँच दुर्गम स्थानों तक बेहतर हुई है वहीं अभी भी उसे बड़े बजट की आवश्यकता है जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में उसी उपस्थिति को और भी प्रभावी बनाया जा सके. देश की रक्षा के लिए आज तक को दीर्घकालिक नीति संसद में नहीं बन पायी है जिसके कारण भी ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं.
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