मीडिया, सोशल मीडिया से लगाकर में टीवी तक उछलने वाले वेद प्रताप वैदिक के भारत द्वारा वांक्षित मुंबई हमलों के आरोपी हाफिज सईद से मिलने के मामले में सरकार ने जिस अजीब तरह से व्यवहार किया उसकी संभवतः कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि भारत सरकार किसी भी नागरिक की विदेश यात्रा को पूरी तरह से अपनी नज़रों में नहीं रख सकती है पर जब मामला पाकिस्तान से जुड़ा हो और उसमें भी हाफिज सईद का ज़िक्र हो तो क्या सरकार का रवैया उचित कहा जा सकता है ? सरकार, उसके मंत्रियों और भाजपा के प्रवक्ताओं को कुछ भी बोलने से पहले मामले की गंभीरता को समझना भी चाहिए था और विपक्ष के सामने चर्चा के बजाय एक बयान देने की बात रखनी चाहिए थी पर उसके स्थान पर पता नहीं क्यों सरकार ने वैदिक की मुलाक़ात से बहुत हलकेपन किनारा तो किया पर उसकी तरफ से मंत्रों और भाजपा प्रवक्ताओं ने जो मन में आया कहना शुरू कर दिया जिससे मामला और भी भड़क गया है.
आखिर संसद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भी बयान देना ही पड़ा कि सरकार का इस मामले से कोई मतलब नहीं था और अब वैदिक सईद की इस मुलाक़ात को लेकर पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग से पूरी रिपोर्ट मांगी गयी है जिसके मिलने के बाद ही इस मामले पर सरकार की तरफ से विस्तृत बयान दिया जायेगा. यह काम जो सरकार ने तीन दिनों की माथापच्ची के बाद किया है यदि मामले की जानकारी मिलते ही कर देती तो स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सकता था. सरकार और भाजपा के सोशल मीडिया समर्थक जिस तरह से आज भी वैदिक को बचाने के लिए अजीबोगरीब तर्क दे रहे हैं उससे उनकी मानसिकता का ही पता चलता है क्योंकि वे इस मामले को यासीन मालिक और सईद की मुलाक़ात से तुलना करने में लगे हुए हैं. सभी जानते हैं कि यासीन मालिक भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर नीचे दिखाने की हर संभव कोशिश करता रहता है तो उस स्थिति में क्या वैदिक को यासीन के बराबर रखा जा सकता है ?
इस मामले पर अब विदेश मंत्री का बयान आने के बाद कांग्रेस को भी सदन को आराम से चलने देना चाहिए क्योंकि अब रिपोर्ट की पूरी प्रतीक्षा करने के बाद ही कोई उचित बयान सरकार की तरफ से आ सकता है. यह अच्छा ही हुआ कि सुषमा स्वराज ने सदन में स्पष्ट रूप से यह भी कह दिया कि सरकार की इस मुलाक़ात में कोई भूमिका नहीं थी और पाकिस्तान में जो कुछ भी वैदिक ने किया उस पर सरकार जानकारी हासिल कर रही है. उन्होंने पूरी तरह से इस मुलाक़ात और कश्मीर के सन्दर्भ में वैदिक के कथित बयान की कड़े शब्दों में भर्त्सना कर मामले को सँभालने की कोशिश की है पर आज भी भाजपा समर्थक सोशल मीडिया के जिस समूह की ज़िम्मेदारी उसे चुनाव जिताने की थी वह वैदिक का समर्थन करता दिखाई दे रहा है ? क्या भाजपा के इस समूह पर मोदी की टीम का कोई नियंत्रण नहीं रहा है या फिर वे जानबूझकर अडवाणी समर्थक सुषमा स्वराज से जुड़े मामले में इस तरह की गंदगी फ़ैलाने का काम कर रहे हैं जिससे आने वाले समय में उनका रिपोर्ट कार्ड देखकर उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाए जाने की व्यवस्था की जा सके ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आखिर संसद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भी बयान देना ही पड़ा कि सरकार का इस मामले से कोई मतलब नहीं था और अब वैदिक सईद की इस मुलाक़ात को लेकर पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग से पूरी रिपोर्ट मांगी गयी है जिसके मिलने के बाद ही इस मामले पर सरकार की तरफ से विस्तृत बयान दिया जायेगा. यह काम जो सरकार ने तीन दिनों की माथापच्ची के बाद किया है यदि मामले की जानकारी मिलते ही कर देती तो स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सकता था. सरकार और भाजपा के सोशल मीडिया समर्थक जिस तरह से आज भी वैदिक को बचाने के लिए अजीबोगरीब तर्क दे रहे हैं उससे उनकी मानसिकता का ही पता चलता है क्योंकि वे इस मामले को यासीन मालिक और सईद की मुलाक़ात से तुलना करने में लगे हुए हैं. सभी जानते हैं कि यासीन मालिक भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर नीचे दिखाने की हर संभव कोशिश करता रहता है तो उस स्थिति में क्या वैदिक को यासीन के बराबर रखा जा सकता है ?
इस मामले पर अब विदेश मंत्री का बयान आने के बाद कांग्रेस को भी सदन को आराम से चलने देना चाहिए क्योंकि अब रिपोर्ट की पूरी प्रतीक्षा करने के बाद ही कोई उचित बयान सरकार की तरफ से आ सकता है. यह अच्छा ही हुआ कि सुषमा स्वराज ने सदन में स्पष्ट रूप से यह भी कह दिया कि सरकार की इस मुलाक़ात में कोई भूमिका नहीं थी और पाकिस्तान में जो कुछ भी वैदिक ने किया उस पर सरकार जानकारी हासिल कर रही है. उन्होंने पूरी तरह से इस मुलाक़ात और कश्मीर के सन्दर्भ में वैदिक के कथित बयान की कड़े शब्दों में भर्त्सना कर मामले को सँभालने की कोशिश की है पर आज भी भाजपा समर्थक सोशल मीडिया के जिस समूह की ज़िम्मेदारी उसे चुनाव जिताने की थी वह वैदिक का समर्थन करता दिखाई दे रहा है ? क्या भाजपा के इस समूह पर मोदी की टीम का कोई नियंत्रण नहीं रहा है या फिर वे जानबूझकर अडवाणी समर्थक सुषमा स्वराज से जुड़े मामले में इस तरह की गंदगी फ़ैलाने का काम कर रहे हैं जिससे आने वाले समय में उनका रिपोर्ट कार्ड देखकर उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाए जाने की व्यवस्था की जा सके ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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