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शनिवार, 9 अगस्त 2014

भारत बिल भुगतान प्रणाली

                                                        देश में जिस तरह से आम लोगों तक इंटरनेट की पहुँच होती जा रही है उस स्थिति में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा देश की सम्पूर्ण आवश्यकतों की पूर्ति के लिए एक नयी "कहीं भी कभी भी" के नारे के साथ "भारत बिल भुगतान प्रणाली" को शुरू करने के बारे में प्रस्ताव दिया है. अभी तक देश में विभिन्न तरह की भुगतान प्रणालियों के माध्यम से यह काम किया जा रहा है पर अधिकतर व्यावसायिक रूप से काम करने वाली इन प्रणालियों में सामान्य भारतीय लोगों के लिए बहुत कुछ नहीं है क्योंकि अभी यह केवल व्यावसायिक रूप से काम करने वाले लोगों की मुख्य आवश्यकताओं को ही पूरा करने में लगी हुई हैं. इस स्थिति को बदलने के लिए ही रिज़र्व बैंक चाहता है कि अब देश की आवश्यकताओं को समझते हुए एक पूर्णतः स्वदेशी प्रणाली की तरफ सोचना शुरू किया जाये और स्कूलों की फीस से लगाकर नगरपालिका तक के किसी तरह के भुगतान को इसके माध्यम से कर पाने की पूरी स्वतंत्रता भी नागरिकों को मिल सके.
                                                        आज जिस तरह से लोगों की व्यस्तता के चलते हर काम बैंकों के माध्यम से करने का चलन बढ़ता ही जा रहा है तो आने वाले समय के लिए देश की इस आवश्यकता को पूरा करने के बारे में सोचना शुरू करना एक अच्छा कदम है क्योंकि पिछले वर्ष जिस तरह से डेबिट/ क्रेडिट कार्ड भुगतान करने के लिए वीसा आदि भुगतान तंत्रों को बैंकों की तरफ से किये जाने वाले भुगतान को रोकने और भारतीय बैंको की इन विदेशी तंत्रों पर निर्भरता को कम करने के लिए विशुद्ध भारतीय तंत्र रुपे की शुरुवात की गयी उससे भी जहाँ विदेशों को दिए जाने वाले सर्विस चार्ज से मुक्ति मिली है वहीं भारत की इस प्रक्रिया में अपनी खुद की विकसित कि हुई एक नयी शुरुवात भी सामने आ चुकी है. देश के अधिकांश बैंकों ने अपने ग्राहकों के डेबिट/ क्रेडिट कार्डों को इस प्रणाली के अंतर्गत लाने के प्रयास शुरू भी कर दिए हैं और आने वाले समय में सभी तरह के कार्ड इस रुपे द्वारा ही संचालित होने लगेंगें.
                                                         आज भी अधिकांश भुगतान को संगठित और व्यवहारिक तरीके से किये जाने की भारतीय आवश्यकता पर पूरा ध्यान नहीं दिया जा सका है और अब जब इंटरनेट एक बहुत बड़े सामाजिक परिवर्तन के रूप में हमारे सामने आ रहा है तो हमको भी देश की भविष्य की आवश्कताओं के अनुरूप ही काम शुरू करने के बारे में सोचने की तरफ बढ़ना ही है. रिज़र्व बैंक ने जितनी जल्दी इस पर विचार करने और यह तंत्र विकसित करने की बात कही है वह देश में टैक्सचोरी रोकने और भुगतान के सही स्वरुप को सामने लाने में भी कारगर होने वाली है. आज जो सेवाएं सर्विस टैक्स के दायरे में आती हैं उन सभी से पूरा टैक्स सरकार को नहीं मिल पाता है क्योंकि सही प्रारूप में इसको लिया ही नहीं जाता है जिससे भी देश का नुकसान होता है जबकि ग्राहकों से इसकी वसूली कर ली जाती है. जब इस भुगतान प्रणाली के माध्यम से ही काम शुरू किया जा सकेगा तो हर भुगतान नज़र में आ जायेगा जिससे कर चोरी के वर्तमान स्वरूप को भी रोका जा सकेगा तथा सरकार को नागरिकों द्वारा दिया गया पूरा टैक्स भी मिल सकेगा.      
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