मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 15 फ़रवरी 2015

पेट्रोल/डीज़ल-कीमत निर्धारण का नया सूत्र

                                                                     इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन बी अशोक के अनुसार आने वाले समय में विकसित देशों की तरह भारत में भी पेट्रोल/ डीज़ल की कीमतों का निर्धारण पंद्रह दिनों के स्थान पर रोज़ ही किये जाने की संभावनाएं खोजी जाने लगी हैं क्योंकि इस सस्ते कच्चे तेल के माहौल में भी उनके अनुसार जिस तरह आंकड़े बताते हैं कि केवल आईओसी को ही पिछले वर्ष अंतिम तिमाही में इवेंटरी लॉस के चलते ढाई हज़ार करोड़ रुपयों से अधिक का घाटा हुआ है जिसका सीधा असर देश की अर्थ व्यवस्था पर किसी न किसी रूप में पड़ने ही वाला है. इवेंटरी लॉस का अर्थ इस तरह से समझा जा सकता है कि ऊंचे दामों पर खरीदे गए कच्चे तेल को सस्ते में बेचने के कारण यह घाटा हो रहा है क्योंकि जिस रेट में इसे खरीदा जा रहा है उससे कहीं सस्ते में बाजार के दबाव के चलते इसे बेचना आज एक बाध्यता बन चुकी है. हालाँकि सरकार द्वारा इस बारे में टैक्स बढाकर अपने घाटे को पूरा करने की कोशिशें की जा रही हैं फिर भी इस तरह से कच्चे तेल का कुप्रभाव भी इन कम्पनियों की सेहत पर पड़ रहा है.
                                देखने सुनने में यह विचार अच्छा लग सकता है पर यदि सरकार को इस तरह की किसी भी कोशिश को आगे बढ़ाने के बारे में सोचना है तो उसे इन कम्पनियों के घाटे के साथ ही उपभोक्ताओं तक इस सूचना को रोज़ पहुँचाने के एक प्रभावी कदम के बारे में भी सोचना ही होगा. देश के दूर दराज़ के क्षेत्रों में इस सूचना को किस तरह से पहुँचाया जायेगा यह अपने आप में एक बड़ी चुनौती साबित होने वाली है भले ही आज सूचना क्रांति का युग चल रहा है पर इस सबके बीच भारत में इस तरह की सूचना को आम पेट्रोलियम उपभोक्ताओं तक किस तरह से पहुँचाने का काम किया जायेगा यह सर्वाधिक चिंता की बात है. देश में इस तरह का परिवर्तन आसानी से किया जा सकता है पर इसके लिए जिस स्तर पर तैयारियों की आवश्यकता है पहले उन पर ही ध्यान देने के बारे में सोचना चाहिए. देश के हर क्षेत्र में आज लोगों के लिए पेट्रोल/डीज़ल आवश्यक हो चुके हैं तो इनके मूल्यों के बारे में कुछ सही प्रारूप तय किये बिना इस तरह की किसी भी योजना पर अमल करना मुश्किल ही होने वाला है.
                             इस क्षेत्र में सूचना तकनीक का इस्तेमाल इसलिए भी आसानी से किया जा सकता है क्योंकि यहाँ पर बिजली की कोई समस्या नहीं रहती है तो हर पेट्रोल पम्प पर इंटरनेट से जुड़े हुए एक डिस्प्ले की व्यवस्था कम्पनी की तरफ से कर दी जाये और हर पम्प के लिए यह आवश्यक कर दिया जाये कि वे इस सूचना को पूरे दिन के लिए आम उपभोक्ताओं के लिए चालू रखने वाले हैं. इस तरह से जहाँ विभिन्न क्षेत्रों के लिए इनकी सही कीमत भी उपभोक्ताओं को पता चलती रहेगी वहीं पम्प के लोगों के लिए भी रेट से जुडी किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकेगा क्योंकि कई बार अकारण ही उपभोक्ता भी कर्मचारियों से अनावश्यक बहस करने पर उतर आते हैं. कोई भी बड़ा परिवर्तन पहले अपने आप में समस्या ही अधिक लगता है पर जब उस पर काम करना शुरू कर दिया जाता है तो विभिन्न तरह के समाधान भी सामने दिखाई देने लगते हैं. आज की परिस्थिति में हर बात को पूरी तरह से सुधारते हुए इंटरनेट न चलने की दशा में नज़दीकी पम्प से रेट पता करने की सुविधा भी ग्राहकों और पम्प मालिकों को देने के बारे में विचार किया जाना चाहिए तभी इस तरह के घाटे को रोकने के लिए दैनिक आधार पर कीमतों के निर्धारण के बारे में कोई प्रभावी कदम उठाया जा सकता है.              
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