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शनिवार, 21 मार्च 2015

सुरक्षा, संरक्षा और रेल दुर्घटना

                                                            विश्व के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में शामिल भारतीय रेल में भी दुर्घटना होना एक सामान्य सी बात ही मानी जाती है जिससे कई बार लापरवाही के कारण होने वाली दुर्घटनाओं और उनके लिए ज़िम्मेदार लोगों को भी कड़ी सजा नहीं मिल पाती है जिससे आगे लापरवाही के चलते होने वाली किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके. आज भी भारतीय रेल के कई खंड ऐसे भी हैं जिन पर पुरानी प्रक्रिया के तहत ही परिचालन किया जा रहा है और देश के चुनिंदा मार्गों पर ही सदैव से ध्यान दिए जाने के कारण भी इन महत्वपूर्ण पर उपेक्षित मार्गों पर रेल परिचालन मुश्किल ही साबित होता रहा है. अभी तक जनता एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के पीछे जिस तरह से दो बातें सामने आ रही हैं और उनमें से किसी की भी अभी तक रेलवे द्वारा पुष्टि या खंडन नहीं किया जा रहा है उससे यही लग रहा है कि इस मामले में बड़े स्तर पर लापरवाही होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. कुछ सूत्र ट्रेन को गलत पटरी पर भेजने की बात कर रहे हैं तो कुछ एक स्टेशन पहले से ही गाड़ी के ब्रेक फेल होने की बात भी कर रहे हैं. असली बात तो पूरी जाँच के बाद ही सामने आ पायेगी पर तब तक अटकलों का दौर जारी है.
                                     वैसे आम तौर पर रेल मंत्रालय और मंडल स्तर पर परिचालन की सभी आवश्यक बातों के अनुपालन की पूरी तरह से समीक्षा करते हुए सुरक्षा को पूरी तरह से ध्यान में रखते हुए ही निर्देश जारी किये जाते हैं पर इस सबके बाद भी कुछ मानकों की अनदेखी करने के कारण भी ऐसी दुर्घटनाएं सामने आ जाती हैं. इस मामले में सभी को पूरी तरह से रेलवे के सहयोग के बारे में सोचना ही चाहिए क्योंकि किसी रेल दुर्घटना के हो जाने के बाद जिस तरह से बहुत सारी बातें सामने आने लगती हैं उनका कोई मतलब नहीं होता है. आज भी परिचालन में जिस तरह से दबाव के चलते रेल का काम काज प्रभावित होता रहता है उस बारे में भी सही तरह से विचार किये जाने की आवश्यकता भी है यात्रियों की सुविधाओं के लिए गाड़ियों के परिचालन के साथ इस बात पर भी पूरा ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है जिसमें सुरक्षित यात्रा ही पहला मूलमंत्र बनकर सामने आये और किसी भी तकनीकी या मानवीय भूल के चलते हो जाने वाली दुर्घटनाओं को पूरी तरह से रोकने में सफलता मिल सके.
                                   पिछले कुछ दशकों में रेलवे ने अपने नेटवर्क में अभूतपूर्व सुधार किया है और सरकारों ने भी नयी तकनीक से रेलवे को लैस करने के लिए सोचते हुए सीमित संसाधनों में ही बेहतर करने की शुरुवात कर दी है. अब इस प्रक्रिया को रेलवे का स्थायी भाग मान लिया गया है क्योंकि जब तक पूरे रेल नेटवर्क को ही सही तरह से आधुनिक बनाये जाने की सभी कोशिशें समग्र रूप से नहीं की जायेंगीं तब तक दुर्घटनाओ की संख्याओं को कम करने में सफलता मिलना संदिग्ध ही लगता है. रेल दुर्घटना होने हमारे सहायता तंत्र को काम करने में जितना समय लग जाता है आज उस पर भी काम किये जाने की ज़रुरत है क्योंकि कई बार सही संसाधनों की अनुपलब्धता भी दुर्घटना की वीभत्स्ता को बढ़ा देने का काम किया करती है. रेलवे को किसी भी तरह की दुर्घटना होने की दशा में कुछ विशेषाधिकार दिए जाने की भी आवश्यकता है क्योंकि राज्यों के अधिकारीयों के साथ तालमेल न होने पाने के कारण भी विलम्ब हो जाया करता है. दुर्घटना की स्थिति में प्रभावित रेल प्रखंड के सभी स्टेशन मास्टरों को राज्य सरकारों की मजिस्ट्रेट पावर को तुरंत प्रभाव से आवश्यक रूप से उपलब्ध करा दिया जाना चाहिए जिससे प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य और अन्य तरह के विभाग उनकी मंशा के अनुरूप काम कर सकें क्योंकि किस व्यक्ति का क्या उपयोग किया जा सकता है यह रेलवे के परिचालन से जुड़े हुए लोग ही आसानी से समझ सकते हैं.      
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