मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 3 मार्च 2015

सुकन्या समृद्धि योजना और समाज

                                                   देश में लड़कियों को बोझ मानने की मानसिकता से आगे निकलने के लिए जिस तरह से सरकारी स्तर पर लगातार प्रयास किये जाते रहते हैं उनमें आर्थिक पहलुओं को जोड़ने की कोशिश भी सदैव ही की जाती रही है फिर भी आज तक उस मानसिकता को बदला नहीं जा सका है जिससे यह सोच पैदा होती है. केंद्रीय बजट में अरुण जेटली ने जिस तरह से सरकार की तरफ से पहले से ही चलायी जा रही सुकन्या समृद्धि योजना को और भी आकर्षक बनाये जाने की तरफ कदम बढ़ाये हैं उससे यही लगता है कि आने वाले समय में इस तरह की योजनाओं के माध्यम से लड़कियों के लिए सुरक्षित निवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए और भी अधिक साधन उपलब्ध हो सकते हैं. आज के परिवेश में जहाँ लड़कियों को पढ़ाने के बारे में बड़े स्तर पर सोचना शुरू किया जा चुका है वहीं उनको लेकर किसी भी तरह की मानसिकता में व्यापक बदलाव आज भी दिखाई नहीं देता है जिसके चलते ही विकसित दुनिया के साथ आगे बढ़ने के हमारे दावे कई बार खोखले से लगने लगते हैं और भारतीय समाज की दोहरी मानसिकता भी सामने आ जाया करती है.
                                               सरकार केवल कुछ सहयोग के माध्यम से लड़कियों के अभिभावकों के लिए इसी तरह के उपाय कर सकती है पर सही तरह से मानसिकता में बदलाव किये बिना ऐसे किसी भी काम को सही नहीं ठहराया जा सकता है. आने वाले समय में जब देश के हर नागरिक के पास जनधन योजना के अंतर्गत एक खाता होगा तो केंद्र या राज्य सरकार द्वारा लड़कियों की शिक्षा और विवाह आदि के लिए घोषित की जाने वाली योजनाओं के धन का आवंटन भी इनके माध्यम से ही किया जा सकता है. समाज के निर्बल वर्ग के साथ तो आर्थिक समस्याएं ही अधिक रहा करती हैं तो जिन लोगों को वास्तव में इस तरह की योजनाओं की आवश्यकता है केवलं तक इसकी सही पहुँच बनायीं जा सकती है तथा धनराशि के आवंटन में बिचौलियों को ख़त्म करने के लिए इस तरह की डीबीटी योजना अपने आप में बहुत बड़ा परिवर्तन भी कर सकती है. आज देश के अधिकांश राज्यों में लड़कियों की शिक्षा या निर्बल वर्ग के लोगों की सहायता के लिए कुछ भी किया जाना अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है.
                                                यह योजना समाज के हर वर्ग के लिए लाभकारी हो सकती है पर इसके लिए सरकार को थोड़ा अलग तरह से सोचने की आवश्यकता भी है क्योंकि जब तक इस तरह के निवेश को और भी अधिक आकर्षक नहीं बनाया जायेगा तब तक किसी भी स्तर पर यह योजना पूरी तरह से सफल नहीं हो सकती है. सरकार ने निवेश की दृष्टि से जिस तरह से इस योजना को आकर्षक बनाने की दिशा में बेहतर पहल शुरू की है इसे इसके वर्तमान स्तर पर बनाये रखने के साथ और भी आकर्षक बनाने के बारे में सोचा जाना चाहिए और सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक पहलू को ध्यान में रखते हुए सरकारों द्वारा भविष्य में भी इस तरह की गतिविधियों पर खुले मन से सोचने की आवश्यकता भी है. इस तरह की योजनाओं की तरफ समाज के मध्यम वर्ग की नज़रें कम ही जाया करती हैं इसलिए इनके व्यापक प्रचार प्रसार के बारे में भी सरकार को सोचना चाहिए जिससे योजना का सही तरह से दोनों पक्षों द्वारा लाभ भी उठाया जा सके. सरकार को इससे जहाँ अपने धन संग्रह में मदद मिलने वाली है वहीं आम लोगों को कर राहत के साथ ही लड़कियों के लिए समयबद्ध बचत के रास्ते भी खुलने वाले हैं जो कि आने वाले समय में समाज की सोच के उस आर्थिक पहलू को सँभालते हुए संभवतः सामाजिक बदलाव के द्वारा लड़कियों के बारे में कुछ हद तक सोच बदलने की तरफ बढ़ाने में मदद कर सके. 
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