मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

नेट न्यूट्रैलिटी-भारतीय परिस्थितियां और आशंकाएं

                                केवल व्यापारिक हितों को साधने के लिए काम करने वाली कम्पनियों के लिए हर वो कानून बंधन से कम नहीं होता है जिसमें उसे उपभोक्ताओं के लिए कुछ विशेष रियायतें करनी पड़ती हैं पर देश में तेज़ी से बढ़ते हुए इंटरनेट के उपयोग के बाद अब नेट सेवा देने वाली कम्पनियों के लिए बिना कुछ खर्च किये जिस तरह से चोर रास्ते से अपनी आमदनी को बढ़ाने के प्रयास शुरू किये गए हैं आज उन पर देश में चिंता का माहौल देखा जा रहा है हालाँकि अभी तक यह सब जिस स्तर पर चल रहा है वहां से उपभोक्ताओं को कुछ भी ख़ास नहीं मिलने वाला है पर आने वाले दिनों में इस विरोध का स्वरुप और भी बड़ा होने की संभावनाएं हैं क्योंकि अब राजनेताओं से लगाकर फ़िल्मी कलाकारों तक ने नेट को सभी के लिए मुक्त रखने के लिए अपनी आवाज़ उठानी शुरू कर दी है तो उस स्थिति में ट्राई और इन कंपनियों के लिए कुछ भी करना आसान नहीं रहने वाला है. पूरे मामले में ट्राई ने जिस तरह से पेपर जारी कर दिया और उस पर सुनवाई के लिए समय भी निश्चित कर दिया उसके बाद से ही देश में इस व्यावसायिक कदम का विरोध करना शुरू किया गया है.
                                            नेट न्यूट्रैलिटी को आसानी से इस तरह से बिजली के उदाहरण से भी समझा जा सकता है कि आप ने अपने घर में बिजली कम्पनी (एयरटेल) का कनेक्शन (डेटा पैक) लिया पर जब आप आज के न्यूट्रल नेट के ज़माने में आप अपनी मर्ज़ी से उससे कोई भी काम (नेट सर्फिंग) करना चाहते हैं तो बिजली कम्पनी आप से यह कहे कि आप ने केवल बिजली का कनेक्शन ही लिया है अब पंखे (फेसबुक), लाइट (व्हाट्सएप), टीवी (यू ट्यूब) आदि अन्य उपकरण (अॅप्लिकेशन्स) चलाने के लिए आपको अलग से टॉप-अप कराना पड़ेगा और स्थिति यहाँ तक ही नहीं रुकने वाली है क्योंकि बिजली कम्पनी आप से यह भी कह सकती है कि आप केवल कम्पनी विशेष ( फ्लिप कार्ट ) के ही उपकरण इस्तेमाल कर सकते हो वर्ना आप इस सेवा का लाभ नहीं उठा सकते हैं ? मतलब यह कि आने वाले समय में हमारे पास आज की तरह विकल्प नहीं बचेंगें और बिजली देने वाली कम्पनी अधिक धनराशि लेकर भी हमें अपनी मनपसंद कम्पनी के उपकरण चलाने पर मजबूर करती रहने वाली है तो क्या भारतीय परिवेश में इस तरह की किसी सम्भावना पर कोई विचार करना चाह रहा है या आने वाले समय में केवल हर कम्पनी के व्यावसायिक हितों को ही हर स्तर पर पोषित किया जाने वाला है ? उद्योग आगे बढ़ें पर क्या उनकी यह प्रगति उपभोक्ताओं पर दोहरी मार के साथ पाना आवश्यक है आज सरकार और ट्राई को इस बात का जवाब जनता को देना ही होगा.
                      इस मामले पर सरकार को पूरी तरह से कड़े कदम उठाते हुए अपने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को बचाने के लिए ऐसी किसी भी प्रक्रिया को तुरंत रोकने के आदेश जारी करने चाहिए क्योंकि भारत आज दुनिया में सबसे तेज़ी से इंटरनेट के मामले में आगे बढ़ने वाले देशों में शामिल है और जब तक यह विकास की गति अपने चरम पर पहुंचेगी तब तक कम्पनियों के पास आमदनी जुटाने के अन्य बहुत से साधन उपलब्ध होने वाले हैं. कोई भी सेवा फ्री में नहीं मिलनी चाहिए पर सेवा को किस हद तक शुल्क लगाकर चलाया जाना चाहिए इस बात का निर्णय किसी न किसी को तो करना ही होगा क्योंकि जब तक आम लोगों की आवश्यकताओं के साथ उनके हितों की रक्षा के बारे में भी नहीं सोचा जायेगा तब तक बराबरी कैसे संभव हो सकती है. देश में पहले से ही बहुत सारी कानूनी अड़चने मौजूद हैं और इस मामले के निश्चित तौर पर आगे बढ़ने पर इसे भी कोर्ट में घसीटा ही जाना है तो सरकार को देश के हर व्यक्ति तक सूचना क्रांति का यह लाभ पहुँचाने के लिए एक कठोर कानून बनाने पर विचार करना ही होगा. जो लोग चाहते हैं कि नेट सबके लिए वर्तमान स्वरुप में ही बना रहे तो उनको ट्राई और सरकार के साथ कम्पनियों के खिलाफ आवाज़ उठाने की बात सोचने की आवश्यकता पर ज़रूर सोचना चाहिए वर्ना हर बात में टॉप अप करने की मजबूरी जल्दी ही यथार्थ में बदल सकती है.       
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