मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 6 अप्रैल 2015

चीन-लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश

                                               भारत में चाहे किसी भी दल की सरकार क्यों न हो पर चीन-भारत की अस्पष्ट वास्तविक नियंत्रण रेखा के सम्मान से सदैव ही मुकरता रहता है जिससे इस शांत रहने वाली सीमा पर कई बार तनाव की घटनाएँ भी सामने आती रहती हैं. भारत और चीन के बीच जिस तरह से चीनी कब्ज़े से पहले तिब्बत एक बफर स्टेट के रूप में काम किया करता था आज वही समस्या देश के लिए बहुत बड़ी होती जा रही है. चीन की विस्तारवादी नीतियों से पूरी दुनिया परिचित है और लद्दाख के साथ ही अरुणाचल प्रदेश के बड़े भूभाग पर विवाद खड़े कर चीन इसे एक मुद्दा बनाये रखना चाहता है जिससे भविष्य में किसी भी परिस्थति के लिए वह अपनी बात को दुनिया के सामने रखने की स्थिति में बना रह सके. हिमालय के इस क्षेत्र में आज तक खनिज और अन्य भूगर्भीय पदार्थों के साथ तेल आदि की खोज भी नहीं की गयी है क्योंकि अभी इन कठिन क्षेत्रों तक पहुंचना ही अपने आप में बड़ी समस्या रहा है पर आने वाले दशकों में इस बात की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इस क्षेत्र में भूगर्भीय सम्पदा नहीं होगी.
                         चीन इस क्षेत्र पर अपने कब्ज़े को दिखाकर उस संभावित परिदृश्य के लिए भी अपने को तैयार रखना चाहता है जिससे किसी समय भारत के साथ वह इस क्षेत्र की प्राकृतिक सम्पदाओं पर अपना अधिकार भी जमा सके. आज जिस विपरीत परिस्थिति में दोनों देशों के सैनिक इन क्षेत्रों में अपने अपने देश की सीमाओं तक गश्त करते रहते हैं तो उस परिस्थिति में उनका कई बार आमना सामना होता ही रहता है पर पाक से लगती हुई सीमा के मुकाबले इस सीमा पर किसी भी तरह का सक्रिय संघर्ष अब देखने को नहीं मिलता है जहाँ से पाक कश्मीर में गड़बड़ी करने के लिए आतंकियों की घुसपैठ का पूरा समर्थन किया करता है. इस बार मार्च में की गयी घुसपैठ में चीनी सैनिक ओल्ड पेट्रोल पॉइंट तक पहुँच गए उससे उनकी मंशा का ही पता चलता है क्योंकि एक तरफ चीन भारत के साथ हर स्तर पर व्यापर करने का इच्छुक दिखाई देता है तो वहीं दूसरी तरफ वह इस तरह की हरकतों से बाज़ नहीं आता है. उसकी मंशा को इस बात से आसानी से समझा जा सकता है कि पिछले वर्ष चीनी राष्ट्रपति के भारत दौरे के समय भी डैमचुक इलाके में चीन ने बड़े पैमाने पर सीमा का उल्लंघन किया था और संभवतः अब चीन पीएम मोदी की भविष्य की चीन यात्रा से पहले ऐसा कदम उठकर भारत को रक्षात्मक करना चाहता है.
                          पिछले वर्ष चुनावी सभाओं में जिस तरह से वर्तमान पीएम संप्रग सरकार पर कमज़ोर होने के आरोप लगाया करते थे आज क्या वे उस बात की गलती को स्वीकर करेंगें ? पिछले वर्ष आम चुनावों में यह अपने आप में बहुत बड़ा मुद्दा था कि आखिर चीन हमारी सीमाओं के अंदर तक आ रहा है पर सरकार क्या कर रही है पर आज इन मज़बूत नेताओं के सत्ता में होने के समय आखिर चीन इस तरह की हरकतें क्यों कर रहा है यह बताने के लिए सरकार और भाजपा प्रवक्ताओं में से कोई भी बोलता नज़र नहीं आता है ? यह बात सरकार को देश के सामने रखनी ही होगी कि क्या संप्रग सरकार इस मुद्दे पर कमज़ोरी के साथ काम करती थी और उस सरकार से राजग सरकार किस तरह से भिन्न है क्योंकि चीन को पीएम के सीमा रेखा के सम्मान करने के स्पष्ट सन्देश देने के बाद भी चीन की हरकतों पर कोई लगाम नहीं लग रही है ? यह बात आज देश भी जानना चाहता है कि उन चुनावी वायदों का क्या हुआ जो पिछली सरकार को चीन के संदर्भ में भाजपा के नेता चीख चीख कर किया करते थे क्या मज़बूत सरकार होना भी चीन और पाकिस्तान के सन्दर्भ में एक जुमला मात्र ही था क्योंकि खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कई महत्वपूर्ण वायदों के लिए चुनावी जुमला जैसे शब्द का इस्तेमाल कर चुके हैं ?    
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