मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 19 जुलाई 2015

कश्मीर- आतंक और आईएस

                                             पूरी दुनिया के इस्लामी चरमपंथियों को अपनी तरफ तेज़ी से खींचने वाले आतंकियों के सबसे बर्बर समूह आईएस की कश्मीर घाटी में बढ़ती हुई पैठ के बाद लगता है कि अब गृह मंत्रालय जाग रहा है क्योंकि अभी तक पिछले वर्ष मई से ही छुटपुट प्रदर्शनों में पाक के साथ आईएस के झंडे लहराने का क्रम कई बार देखा गया था पर वह अपने आप ही कुछ हद तक कम हो गया था जिसके बाद संभवतः केंद्र और राज्य सरकार ने भी यह मान लिया कि यह कुछ लोगों की शरारत भी ही थी. पर इस वर्ष जून जुलाई में जिस तरह से लगभग हर जुमे की नमाज़ के बाद श्रीनगर के अंदरूनी हिस्सों में पाक और आईएस के झंडे लहराए जाने लगे हैं उससे अब केंद्र को भी चिंता होने लगी है क्योंकि आज हर छोटा बड़ा आतंकी संगठन आईएस के साथ अपने को जोड़ना चाहता है जो कि पूरी दुनिया के लिए बुरी खबर है. इस सबके बीच सऊदी अरब से भी यह खबर आई है कि वहां पर भी आईएस के साथ संदिग्ध सम्बन्ध रखने के आरोप में ४०० से अधिक लोगों को पकड़ा गया है वहां पर शरिया कानून लागू होने के कारण उनके साथ क्या किया जायेगा यह सभी को पता है तथा उसकी कोई खबर भी मीडिया में नहीं आएगी पर भारत में सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकते अराजक युवाओं पर कोई भी कार्यवाही करने पर किस तरह का हल्ला मचाया जाता है यह भी किसी से छिपा नहीं है.
                                    आज कश्मीर में जिस तरह से एक बार फिर मुफ़्ती सरकार के आने के बाद से इस तरह की घटनाओं में वृद्धि हो रही है उस पर बयानबाज़ी करने के स्थान पर गंभीर कार्यवाही करने कीआवश्यकता भी है क्योंकि यदि इसे इस तरह से ही चलने दिया गया तो आने वाले समय में ऐसी घटनाओं में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या में बढ़ोत्तरी भी हो सकती है. आज कश्मीर में इस्लाम के नाम पर पाक की पैरवी करने वाले लोग खुले तौर पर इन युवाओं को रोकने का कोई प्रयास करते हुए नहीं दिखाई देते हैं क्योंकि उनको इस स्थिति का लाभ तभी मिल सकता है जब सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष में इनमें से किसी युवक की मौत हो जाती है और वे लाशों की राजनीति करने आगे आ जाते हैं. हुर्रियत की इस तरह की मंशा का खुलासा दो साल पहले ही हो चुका है जिसमें वह इन युवाओं की लाशों पर राजनीति कर आगे बढ़ना चाहती है ऐसी स्थिति में मुफ़्ती-मोदी सरकारों पर और भी दबाव बन जाता है कि सुरक्षा बल अपनी तरफ से पूरी निगरानी भी रखें तथा किसी भी परिस्थिति में अनावश्यक रूप से गोली न चलायें जिससे घाटी का माहौल बिगड़ने न पाये.
                              सरकार को अपनी ख़ुफ़िया एजेंसियों को और भी चौकन्ना करने की आवश्यकता भी है क्योंकि जब तक स्थानीय ख़बरें सरकार के पास सही रूप में नहीं पहुंचेंगीं तब तक सटीक कार्यवाही करने के किसी भी प्रयास को सफल नहीं किया जा सकता है. आईएस के झंडे सामने आने को केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष से ही हलके में लिया और जिन लोगों को पकड़ा भी गया उनकी बचकाना दलीलों को मानना क्या सरकारी विफलता नहीं कही जा सकती है ? अच्छा हो कि इस मुद्दे पर अब देश में राजनीति बंद की जाये तथा हिंदूवादी संगठनों के साथ ही अन्य राजनैतिक दल भी सरकार की कार्यवाही पर अपनी रोटियां सेंकनी बंद करें जिससे किसी को भी इस बात का लाभ उठाने की छूट न मिल सके. आज भी देश में हर मुद्दे पर राजनीति करने का शगल ख़त्म नहीं हुआ है जिस कारण से भी कई बार सरकारों की बेहतर कोशिशों पर भी पानी फिर जाया करता है. जम्मू कश्मीर की सरकार में शामिल होने के कारण आज भाजपा और संघ समेत अन्य हिंदूवादी दलों की बोलती अपने आप ही बंद है वर्ना इस तरह से पाक के झंडे घाटी में लहराए जाने के बाद भाजपा किस तरह से दिल्ली से लगाकर जम्मू तक राजनीति करने से बाज़ नहीं आती थी यह किसी से भी छिपा नहीं है.  
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