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सोमवार, 17 अगस्त 2015

सौर ऊर्जा की मिसाल कोच्चि हवाई अड्डा

                                                        देश की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जिस तरह से सरकारें विभिन्न स्तरों पर प्रयास कर रही हैं उससे आने वाले समय में बहुत ही अच्छे परिणाम सामने आने की आशा दिखाई देने लगी है. आज भी देश की सौर क्षमता का सही तरह से दोहन नहीं किया जा पा रहा है जिससे कोयले और बिजली आधारित बहुत बड़े ऊर्जा संयत्रों पर ही देश की ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए निर्भर होना एक मजबूरी ही बनी हुई है. इस दिशा में कोच्चि हवाई अड्डे ने पूरे देश को एक राह दिखाने की कोशिश करते हुए आदर्श भी स्थापित किया है क्योंकि यह देश का पहला हवाई अड्ड़ा बन गया है जो अपनी बिजली आवश्यकता के लिए पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर निर्भर हो चुका है. इस काम की शुरुवात २०१३ में हवाई अड्डे के आगमन टर्मिनल पर १०० किलोवाट बिजली पैदा करने लायक एक संयंत्र लगाकर की गयी थी फिर ४०० सोलर पैनल के साथ बने इस संयंत्र की क्षमता साल भर में बढ़ा कर १,००० किलोवाट कर दी गई इसके बाद यहां १२ मेगावाट क्षमता का संयंत्र लगाया गया इसके लिए ४५ एकड़ ज़मीन पर ४६,१५० सौर पैनल लगाए गए और आज इसका ऊर्जा में आत्मनिर्भर होने का सफर इस तरह से आगे बढ़ा है.
                                               यदि देश के अन्य हवाई अड्डे भी इस तरह से सोचना शुरू करें तो आने वाले समय में इस दिशा में बहुत कुछ किया जा सकता है कोच्चि हवाई अड्डे और केरल सरकार ने रिकॉर्ड छह महीने में इसे स्थापित कर एक बहुत ही प्रभावशाली काम भी किया है क्योंकि आज भी बिजली के लिए देश के सभी उपभोक्ता राज्य विद्युत निगमों पर ही निर्भर हैं और इस मामले में केरल सरकार ने तेज़ी दिखाते हुए समझौते को आगे बढ़ाते हुए एक मानक स्थापित कर दिया है. इस संयंत्र से उत्पादित बिजली केरल बिजली बोर्ड को जाएगी जिसे कोच्चि हवाई अड्डा बोर्ड से अपनी आवश्यकता के अनुरूप वापस खरीद लेगा. लगभग ६५ करोड़ रूपये की लागत से बने इस संयंत्र के माध्यम से जहाँ १२ मेगावाट बिजली बनेगी वहीं एक अनुमान के अनुसार इससे लगभग १.७५ लाख मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन को भी कम किया जा सकेगा. किसी भी तरह के प्रदूषण से मुक्त और पर्यावरण के लिए उपयोगी साबित होने वाली इस परियोजना को यदि देश के हर हवाई अड्डे पर लगाने के बारे में राज्य सरकारें प्रयास करें तो आने वाले समय में सहभागिता के नए आयाम स्थापित होने के साथ हरित ऊर्जा की दिशा में भी देश को बढ़ाया जा सकेगा.
                       यह राज्य और केंद्रीय विभागों के बीच सामंजस्य का एक बहुत ही अच्छा उदाहरण भी कहा जा सकता है जहाँ दोनों पक्षों ने मिलकर बहुत तेज़ी से इस काम को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने में सफलता भी पायी है. आज भी नीतियों के स्तर पर जिस तरह से विभिन्न विभागों के बीच बहुत अधिक रोड़े अटकाए जाते हैं उससे भी देश की प्रगति में बाधा आती है. यह योजना आावश्यकता और जगह की उपलब्धता के आधार पर लगभग हर राज्य में शुरू की जा सकती है साथ ही रेलवे स्टेशनों और  बस अड्डों पर भी इस तरह से सौर ऊर्जा आधारित संयंत्रों की स्थापना की जा सकती है इससे जहाँ ऊर्जा क्षेत्र में निवेश भी विभिन्न स्तरों से आने लगेगा वहीं राज्य के बिजली विभागों पर पड़ने वाले दबाव को भी कम किया जा सकेगा. देश के लिए आज जो भी योजनाएं महत्वपूर्ण हैं उनको अविलम्ब लागू करने के बारे में सरकारों को सोचना ही होगा जिससे देश में उपलब्ध सौर ऊर्जा का सही तरीके से दोहन भी किया जा सके और देश को हरित ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ाया जा सके. इसके लिए केवल सरकारी प्रयास ही नहीं बल्कि आम लोगों को भी अपने घरों की छतों पर आावश्यकता के अनुसार छोटे सौर संयत्र लगाने के लिए नीतियों को सुधारने की ज़रुरत है जो देश में सौर ऊर्जा पर निर्भरता और इससे जुड़े हुए उद्योग के लिए बहुत ही अच्छे स्तर पर लाभ देने की स्थिति तक पहुँच सकता है. 
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