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सोमवार, 23 नवंबर 2015

कार फ्री डे और प्रदूषण

                                                           दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल की पहल पर दूसरी बार मनाये गए कार फ्री डे के बाद जिस तरह के आंकड़े सामने आए हैं उससे यही लगता है कि यदि सरकार, परिवहन और पर्यावरण से जुडी एजेंसियों के सही तालमेल पर ध्यान दिया जाये तो दिल्ली के साथ ही देश के अन्य शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर में अच्छी खासी कमी की जा सकती है. दिल्ली में प्रदूषण सदैव ही एक बड़ी समस्या रहा है और इसे दूर करने के लिए ही एक बार शीला दीक्षित सरकार ने एक झटके में शहर से डीज़ल के व्यवसायिक वाहनों को हटाने के निर्देश के साथ काफी हद तक सफलता पायी थी पर आज जिस तेज़ी से मध्यम वर्ग में सम्पन्नता बढ़ रही है उसके बाद इस वर्ग से अपने आप ही कार फ्री डे की बात करना भी एक अच्छी पहल हो सकती है. आम भारतीय मानसिकता अभी भी दिखावे में अधिक विश्वास किया करती है जिसके चलते हम अपनी उन सुविधाओं का प्रदर्शन करने के चक्कर में कभी भी पर्यावरण को अंजाने में होने वाले नुकसान का सही आंकलन ही नहीं कर पाते हैं और अपने शहरों को अनावश्यक रूप से प्रदूषित ही करते रहते हैं.
                                   राजनैतिक रूप से बेहद विवादित रहने वाले केजरीवाल की तरफ से इस बात के प्रयास किये जाने अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जब किसी शीर्ष पद पर बैठे हुए व्यक्ति की तरफ से ऐसे प्रयास किये जाते हैं और उनका इतने बड़े पैमाने पर लाभ भी दिखाई देता है तो यह सबसे महत्वपूर्ण समय होता है कि उसको चरणबद्ध तरीके से और भी आगे बढ़ाने की कोशिशें शुरू की जाएँ. यह प्रयास यदि शहर के विभिन्न हिस्सों में दिल्ली में राजनैतिक, सामाजिक कार्यकर्ताओं की पहल पर हर रविवार को किया जाये तथा छुट्टी के दिन बहुत ही आवश्यकता होने पर अपने वाहन निकले जाएँ तो कम से कम एक दिन के लिए ही सही पर लोगों को कुछ स्वच्छ हवा में सांस लेने की छूट तो मिल ही जाएगी. अच्छा हो कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय राज्य सरकारों के सहयोग से इस तरह की पहल के साथ प्रति माह के विशेष कार फ्री इंडिया दिवस का आयोजन करने की तरफ सोचना शुरू करे क्योंकि केजरीवाल ने यह दिखा दिया है कि छुट्टी के दिन यदि लोगों से अपील की जाये तो वे इस तरह के किसी भी मुद्दे पर समर्थन देने के लिए तैयार हैं.
                                      देश के नागरिकों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के बारे में सोचना केवल सरकारों का ही काम नहीं है और इसके लिए अब इसमें जनता के जुड़ाव को बढ़ाने की बहुत आवश्यकता भी है क्योंकि जब तक आम लोग इस तरह से सोचना नहीं शुरू करेंगें तब तक हर परिस्थिति को सुधारा नहीं जा सकता है. आम नागरिकों के लिए भी अब यह सोचना और कुछ ठोस करने का समय है क्योंकि दिल्ली में केजरीवाल ने जो पहल कर दी हैं अब उसे देश के हर बड़े और प्रदूषित शहर तक ले जाने की आवश्यकता भी है. जब तक इस तरह के किसी भी कार फ्री डे के बारे में जनता को प्रदूषण के स्तर पर पड़ने वाले प्रभावों के आंकड़ों के साथ जानकारी नहीं दी जाएगी तब तक वह इन मुद्दों से अनजान ही बनी रहने वाली है. इस प्रदूषण की चपेट में सीधे हम और हमारी अगली पीढ़ी आती जा रही है तथा विकास व सम्पन्नता की इस दौड़ में हमारे स्वास्थ्य की चिंता कोई भी नहीं कर रहा है. दिल्ली की जनता जिस तरह से सामाजिक सरोकारों से जुड़े हुए मुद्दों पर सरकार के साथ रहा करती है तो उसे देखते हुए यह भी कहा जा सकता है कि केजरीवाल का यह प्रयास आने वाले समय में दिल्ली के प्रदूषण को कम करने में सहायता ही करने वाला है.         
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