मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

पीआईबी की जवाबदेही

                                                                         केंद्र सरकार की कोशिशों, निर्णयों और उपलब्धियों के बारे में समाचार पत्रों को सूचना देने के लिए बनाये गए पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) में किस तरह से काम किया जा रहा है उसकी एक बानगी कल पीएम मोदी की चेन्नई यात्रा के दौरान ही मिल गयी जिसमें पीएम के बाढ़ की स्थिति का अंदाज़ा लगाने के लिए किये गए हवाई सर्वेक्षण के लिए इस ज़िम्मेदार संस्था द्वारा जो चित्र जारी किया गया वह तकनीकी रूप से छेड़छाड़ करके बनाया गया था क्योंकि जो असली चित्र था उसमें नीचे मौसम के कारण कुछ भी स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा था जबकि पीआईबी द्वारा जारी की गयी नकली फोटो में मकान बहुत साफ़ दिखाई दे रहे थे. इस बात से क्या यह अंदाज़ा नहीं लगता है कि सरकार के मुखिया के महत्वपूर्ण दौरों के साथ भी इस कार्यालय द्वारा किस तरह की छेड़छाड़ की जाती है क्योंकि बिना शीर्ष स्तर के दखल के किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह अपने दम पर इतना बड़ा निर्णय ले सके. आज जब तकनीक का युग है तब भी इस संस्था द्वारा इस तरह की हरकत किया जाना किस मानसिकता का प्रदर्शन है यह किसी की भी समझ से बाहर ही है.
                                इस मामले को यदि आज के सोशल मीडिया के एंगल से समझा जाये तो स्थिति स्पष्ट हो जाती है क्योंकि भाजपा के एक बड़ा तकनीक में माहिर समूह किस तरह से सामान्य फोटोज के साथ छेड़छाड़ करके पिछले चुनावों में कांग्रेस के पूर्व व वर्तमान नेताओं के बारे में जनता को गुमराह करने का काम कर चुका है वह किसी से भी छिपा नहीं है तो संभवतः उनमें से किसी अतिउत्साही व्यक्ति को मोदी सरकार ने अपनी छवि को लगातार चमकीला बनाये रखने के लिए पीआईबी में भी नियुक्त कर दिया हो और वह अपनी नियुक्ति को इसी तरह से सही साबित करने की कोशिश में लगा हुआ हो ? यह भी संभव है कि इस कार्यालय में नियुक्त किसी व्यक्ति ने अपने को पीएम का बड़ा हितैषी साबित करने के लिए ही इस तरह का काम किया हो पर इस पूरे प्रकरण से यह बात तो साबित ही हो जाती है कि जो लोग कभी सोशल मीडिया पर इस तरह की गतिविधियों में सक्रिय रहा करते थे वे आज कहीं न कहीं से सरकार के अंदर तक घुसपैठ बनाने में सफल हो चुके हैं पर इस तरह की हरकतों से प्रचार के लिए काम करते दिखने वाले पीएम पर ही सीधे तौर पर उँगलियाँ उठ जाती हैं.
                                संसद के दोनों सदनों में जिस तरह से इस बार पीएम मोदी के बदले हुए सुर सुनाई दे रहे हैं वे किसी बड़े परिवर्तन के स्थान पर राजनैतिक मजबूरी में उठाये गए कदम अधिक लगते हैं क्योंकि जब भी सरकार पर दबाव आता है तो मोदी कुछ नरम होकर उस संकट को टालने की कोशिशें भी किया करते हैं. आज खुद पीएम के स्तर पर यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि इस तरह की हरकतें करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए आने वाले समय में काम करना कठिन ही होने वाला है पर शायद यह सब भाजपा की रणनीति का ही हिस्सा है तभी इतने ज़िम्मेदार कार्यालय में इस तरह की हलकी हरकतें करने वाले लोग आज स्थान पाकर बैठे हुए हैं. वैसे तो यह बड़ा मुद्दा नहीं कहा जा सकता है पर जिस तरह से खुद पीएम की फोटो के साथ ऐसी हरकत की गयी है तो संभवतः यह मामला संसद में भी उठ सकता है क्योंकि सरकार ने इस बात के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ क्या कार्यवाही की सदन यह भी जानना चाह सकता है. इस तरह की कोई भी बात सदन में सरकार को और भी असहज करने के लिए काफी होगी क्योंकि विपक्ष पहले से ही मोदी सरकार पर प्रचार की सरकार होने का आरोप लगाता रहता है और इसका सरकार की तरफ से कभी भी खंडन भी नहीं किया जाता है.    
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