मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 25 अप्रैल 2016

सुगम रेल-यात्रा

                                                                भारतीय रेलवे ने जिस तरह से अपने पूरे नेटवर्क को सुधारने के लिए लगातार काम करने की नीति पर काम करना शुरू किया था अब उसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आने वाले हैं क्योंकि रेल नेटवर्क में परिचालन सम्बन्धी व्यवस्थाओं में आधुनिकतम तकनीक के उपयोग करने के बाद जहाँ कुछ हद तक रेलवे की कुशलता बढ़ी है वहीं अभी भी इसमें सुधार की बहुत सम्भावनाएं हैं जिन पर योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़कर पूरी व्यवस्था को और भी अच्छी तरह से संचालित करने में सफलता मिल सकती है. इसी क्रम में स्पेन की टैलगो कम्पनी की तरफ से भारतीय रेलवे में व्यापार की संभावनाओं को टटोलने के लिए नौ कोचों का एक तेज़गति से चलने वाला सेट निशुल्क ट्रायल के लिए भारत भेजा गया है जिसे शीघ्र ही बरेली-मुरादाबाद, पलवल-मथुरा और दिल्ली-मुम्बई खण्डों पर चलकर देखा जायेगा क्योंकि टैलगो का यह कहना है कि इस तेज़ गति की ट्रेन को पटरियों में मामूली सुधार के बाद वर्तमान ट्रैक पर ही आसानी से चलाया जा सकता है और इसमें कुछ विशेष करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ने वाली है. इसकी ट्रायल में विभिन्न स्थानों पर ट्रैक की परिस्थिति के अनुसार गति ११० से लगाकर २०० किमी प्रति घंटे तक रहने का अनुमान भी लगाया गया है.
                              इस नए प्रयासों के बाद भारतीय रेलवे द्वारा जर्मनी के सहयोग से बनाए और इस्तेमाल किये जा रहे एलएफबी कोचों के स्थान पर इन नए कोचों को भारत में बनाने और चलाने के नए मार्ग खुल सकते हैं. चूंकि यह ट्रेन पहले से ही उपयोग में लायी जा रही मानक पटरियों पर आसानी से चल पाने में सक्षम है तो इसके लिए रेलवे को तुरंत किसी बड़े निवेश की आवश्यकता भी नहीं पड़ने वाली है और उसकी तरफ से पहले से ही मज़बूत मार्गों पर इसको तुरंत चलाने के प्रयास भी किये जा सकते हैं और आने वाले समय में इसकी सफलता से भारत में रेलवे का पूरा परिदृश्य भी बदल सकता है. आज तक भारतीय रेल परम्परागत रूप से ही चलाने की कोशिशें होती रही है और उसमें समय समय पर तकनीक से जुडी विभिन्न संभावनाओं का पता लगाकर उन पर अमल भी किया जाता रहा है. यह भी सच है कि इतनी अधिक आबादी को किसी भी परिस्थिति में एकदम से सारी सुविधाएँ देने का कोई भी प्रयास संभव नहीं है. यदि चरण बद्ध तरीके से पहले से मज़बूत मार्गों पर इसका सञ्चालन शुरू हो पाता है तो आने वाले समय में इसका पूरा लाभ भारतीय रेल और यात्रियों को मिल सकता है.
                              यह सही है कि इस कम्पनी की तरफ से भारतीय रेल नेटवर्क में अधिक दिलचस्पी दिखाई जा रही है पर इसके साथ विश्व भर में रोज़ ही अपनाई जा रही नयी तकनीक और उसकी सफलता पर भी भारतीय रेलवे को पूरी नज़र रखनी चाहिए क्योंकि भारत जैसे बड़े बाज़ार में अपनी घुसपैठ बनाने के लिए दुनिया भर की कम्पनियां इस दिशा में प्रयासरत हैं और विश्व में अपनी बड़ी आबादी और बढ़ते हुए प्रभाव के कारण अब भारत के लिए इन कम्पनियों से अपनी शर्तों पर बात करना और भी आसान होने वाला है. इस परिस्थिति का लाभ उठते हुए अब रेलवे को विभिन्न देशों में अपनाई जा रही तकनीक के बारे में भी लगातार सोचना चाहिए क्योंकि किसी एक कम्पनी के साथ ही काम करने से आने वाले समय में उनके एकाधिकार से भी निपटना पड़ सकता है जबकि कई कम्पनियों के साथ व्यापारिक हितों को जोड़े जाने से उन कम्पनियों के लिए भी भारत की आर्थिक महत्ता बनी ही रहने वाली है. अब भारतीय रेलवे को अपने सभी संसाधनों को जुटाकर नए सिरे से आगे बढ़ने की इस कोशिश को लगातार आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए जिससे यात्रियों और रेलवे दोनों का ही दीर्घकालिक हित सुरक्षित रह सके.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व मलेरिया दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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