मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 19 सितंबर 2016

कायरता की श्रृंखला


                                                                      उरी में एक बार फिर से पाक समर्थित लश्कर द्वारा जिस तरह से सेना के कैंप पर सुबह हमला किया गया उसके बाद एक बात स्पष्ट हो गयी है कि पाक की तरफ से भारतीय कश्मीर में अलगाववाद को हवा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है और जब सीमा पर चौकसी के चलते उनके लिए घुसपैठ आसान नहीं रह जाती है तो वे इस तरह से छापामार तरीके से अपने फिदायीन हमलों को अंजाम दिया करता है जिससे कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सुर्ख़ियों में लगातार बना रहे. किसी भी परिस्थिति में जब सीमा पार से जिहाद और इस्लाम के नाम पर इस तरह से का व्यापक समर्थन किया जा रहा हो तो पर्वतीय क्षेत्र में सीमा पर चौकसी बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि इस तरह से कुछ लोगों के दिमाग में जिहाद का ज़हर भरकर उन्हें भारत में भेजना पाक के लिए बहुत ही आसान होता है. ऐसी स्थिति में भारत के पास संभावित विकल्प कम ही होते जा रहे हैं और लगातार इस तरह के हमले झेल रहे भारत की तरफ से व्यापक प्रतिक्रिया को लेकर अब पूरे विश्व में चर्चा हो सकती है. किसी भी देश को अपनी रक्षा का पूरा अधिकार होता है और अपने हितों के लिए अमेरिका तो दूसरे देशों में अतिक्रमण करने से भी नहीं चूकता है पर भारत पाक के सन्दर्भ में उसकी और वैश्विक बिरादरी की दोहरी नीति सदैव ही भारत को परेशान करने वाली ही रहा करती है.
                              विपक्ष में बैठकर सरकार पर बयानों से हमला करने और खुद निर्णय लेने में बहुत बड़ा अंतर हुआ करता है यह बात अब पीएम मोदी और उनके मंत्रियों को अच्छी तरह से समझ भी आ रही होगी क्योंकि यदि भाजपा की सरकार न होती तो अब तक वह पता नहीं कितने आरोप सरकार पर लगा चुकी होती पर जब खुद निर्णय लेने की बात सामने आ रही है तो उसके प्रवक्ताओं को उचित जवाब तक नहीं सूझ रहे हैं और स्थिति यहाँ तक है कि २०१४ के आम चुनावों में इसे एक मुद्दा बनाने वाले पीएम और उनकी सरकार के पास भी आज ठोस विकल्प नहीं हैं. केवल बयान देने और ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करने से यह सब नहीं रुकने वाला है और हमारे चुप रह जाने से एक बार फिर से पाक और जेहादियों को बल ही मिल जाता है. मोदी सरकार ने अटल सरकार के समय की गयी गलतियों से कुछ भी नहीं सीखा और एक बार फिर से पाक को पुचकारने की शुरूवात की पर उसकी तरफ से किसी भी स्तर पर कोई सहयोग न करने के बाद भी पीएम मोदी अपने फैसलों से दुनिया को चौंकाते ही रहे पर उसका धरातल पर कोई असर कहीं से भी नहीं दिखाई दिया तो अब पीएम मोदी और उनके मंत्रिमंडल के लोग पाकिस्तान के खिलाफ बयान देने की शुरुवात कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी मोदी सरकार के लिए अपना बचाव करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि उनकी तरफ से ऐसा दिखाया गया था कि जैसे उनके सत्ता में आते ही पाक की तरफ से सारी अलगववादी गतिविधियां बंद हो जायेंगीं.
                      निश्चित रूप से यह समय दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश के बारे में सोचने का ही है पर क्या भाजपा अपने उस पूर्वाग्रह से बाहर आना चाहेगी जो उसने विपक्षी दल के रूप में पाल रखा था ? आज भाजपा के पास खुद को बचाने के अवसर नहीं  बचे हैं क्योंकि लगभग सभी विपक्षी दलों ने एक सुर में सरकार के हर कदम का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है. इस तरह से पासा उल्टा पड़ता देखकर भाजपा के पास अपने चेहरे को बचाने के लिए कड़ी कार्यवाही करने के अतिरिक्त कुछ भी शेष नहीं है क्योंकि उसकी तरफ से मनमोहन सरकार पर तुष्टिकरण के चलते कार्यवाही न करने के आरोप लगाए जाते रहते थे तो अब भाजपा के समर्थकों और उग्र राष्ट्रवादियों को यह बात समझ में नहीं आ रही है कि आखिर मोदी चुप क्यों है ? भाजपा को इस मुद्दे पर किसी भी तरह की राजनीति से बचना चाहिए और सत्ता में होने के कारण सबसे अधिक ज़िम्मेदारी उस पर ही आती है. इस हमले की तुलना में पिछले हमलों को याद कर उस सरकार की विफलता की बातें करने से अब कुछ हासिल नहीं होने वाला है. अच्छा हो कि मोदी सरकार की तरफ से एक पहल करते हुए इस मुद्दे पर संसद का विशेष सत्र बुलाया जाये और वहां से भी सर्वसम्मत से पाक के खिलाफ हर उपयुक्त कार्यवाही करने पर संसद को सहमत किया जाये जिससे विश्व के नेताओं को यह समझ में आ जाये कि इस बार भारत चुप नहीं बैठेगा और पूरा देश इस मुद्दे पर भारत सरकार और भारतीय सेना के साथ खड़ा है.     मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

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