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गुरुवार, 11 मई 2017

कश्मीर की कश्मीरियत


कश्मीर के कुलगाम में जिस तरह से आतंकियों ने छुट्टी पर आये सेना के अधिकारी की एक शादी समारोह से अगवा करने के बाद गोली मारकर कर दी उसके बाद कश्मीर के लोगों को यह सोचना ही पड़ेगा कि वे अब भी पाकिस्तान के इशारों पर चलकर किसका नुकसान करने में लगे हुए हैं. इस्लाम की सीखों पर चलने के सपने के साथ इस्लामी राज्य बना पाकिस्तान किस तरह से धार्मिक कट्टरता और फिर आतंकियों के पोषक के रूप में आज पूरी दुनिया में जाना जाता है वह सब जानते हैं. पाकिस्तान में एक समय जिन्होंने तालिब बनकर समाज में स्वीकार्यता बधाई थी वे तालिबान और फिर अलग नाम के समूह बनकर उसी इस्लामी धार्मिक समाज का कितना नुकसान कर चुके हैं ? एक समय पाकिस्तान कि सेना के आश्रय में पलने वाले ये इस्लामी चरमपंथी आज सीधे पाकिस्तानी सेना को ही चुनौती देने में लग चुके हैं इस बात की अनदेखी भी नहीं की जा सकती है. दक्षिणी कश्मीर घाटी में जिस तरह से चार जिलों में पाक समर्थित आतंकियों का अधिकांश मौन एवं सीमित खुला समर्थन बढ़ रहा है वह घाटी को भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान के रास्ते पर ले जाने का काम ही करने वाला है. आज कुलगाम के एक कश्मीरी मुसलमान सेना अधिकारी की सुनियोजित हत्या की गयी है कल को वे कश्मीरी मुसलमान सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और स्थानीय लोगों को सीधे ही निशाना बनाने लगेंगें ऐसी परिस्थिति में उन लोगों के वे बहकावे सामने आ जायेंगें जिसके तहत उन्होंने नब्बे के दशक में घाटी को कश्मीरी पंडितों से खाली करवा लिया था और आने वाले समय में यदि स्थानीय लोग इसी तरह से इन आतंकियों के प्रति सहानुभूति रखते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब इनकी बंदूकों की नलियां आम कश्मीरी मुसलमान की तरफ ही होंगीं. कश्मीर के लोगों, वहां की सम्पूर्ण राजनैतिक व्यवस्था, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के साथ सम्पूर्ण भारत को इस मसले पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है वर्ना पानी सर से ऊपर होने में देर नहीं लगेगी और सुरक्षा बलों को अपनी सख्ती में और बढ़ोत्तरी करने को मजबूर होना पड़ेगा जिससे आखिर में वहां का स्थानीय निवासी होने के कारण आम कश्मीरी मुसलमान ही परेशानी झेलने वाला है.

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