भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का संकट-3 से आगे........
आज जिस तरह से युवा पीढ़ी की ज़िंदगी में सोशल मीडिया का दखल हो गया है उसको देखते हुए अब कांग्रेस को अपने ज़मीनी संगठन को मज़बूत करने के प्रयासों के साथ ही अगले एक साल में हल ज़िले में सोशल मीडिया टीम का गठन करना चाहिए और उसके अगले साल में यह ब्लॉक और तहसील स्तर तक के कार्यकर्ताओं के लिए अपने बात कहने का मंच बनना चाहिए जिससे राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, प्रादेशिक और स्थानीय मुद्दों के साथ पार्टी अपने कार्यकर्ताओं से सीधे संपर्क बनाये रख सके. आवश्यकता पड़ने पर सोशल मीडिया के माध्यम से उपयोगी जानकारी भी निचले स्तर तक पहुंचाई जा सकती है. इस बार के चुनाव में कांग्रेस के तीन राज्यों में किसानों की कर्जमाफी के बाद ही मोदी सरकार ने किसान सम्मान निधि आम चुनाव से पहले देने का निर्णय किया जिसका लाभ भी उसे मिला पर कांग्रेस अपनी इस उपलब्धि को घोषणापत्र से आगे बढ़ाकर जनता तक नहीं पहुंचा पायी जिसे उसे नुकसान हुआ यदि पार्टी के पास सोशल मीडिया की संगठित टीम हो तो इस तरह की जानकारी को कार्यकर्ताओं के माध्यम से आम जनता तक आसानी से पहुँचाया जा सकता है.
सभी जानते हैं कि भाजपा की सोशल मीडिया टीम निरंतर कांग्रेस से जुड़े आज़ादी के प्रतीकों पर सुनियोजित हमले किया करती है ऐसी परिस्थिति में जब तक कांग्रेस के पास भी उन बातों के बारे में फैलाये जा रहे भ्रम को दूर करने का काम नहीं किया जायेगा तब तक भाजपा जनता में कांग्रेस की और भी नकारात्मक छवि गढ़ने में सफल होती रहेगी। प्रतिकार करने के लिए जब सभी तैयारियां पूरी हो जाएँ तो भी सोशल मीडिया टीम को भाजपा की तरह अनाप-शनाप बातें करने के स्थान पर ऐतिहासिक तथ्यों के साथ बात करनी होगी और भाषाई मर्यादा का सदैव ध्यान रखना होगा क्योंकि आज भाजपा के पास बहुत बड़ी टीम है जो तथ्यों की बात करने वालों पर अपने कुतर्कों से हमले करने के लिए सदैव तैयार रहती है इसलिए इस केंद्रीय टीम में कांग्रेस के इतिहास को जानने वाले लोग रखे जाएँ या जिन लोगों को यहाँ बैठाया जाये उनको पार्टी की तरफ से पार्टी और देश के इतिहास के साथ तथ्यात्मक जानकारी दी जाये जिससे वे परिस्थितियों के साथ सामंजस्य बैठा सकें।
आज संभवतः कुछ प्रदेशों में ही सोशल मीडिया टीम कुछ हद तक काम कर पा रही है क्योंकि यहाँ भी तथ्यों के बिना बात करने वाले लोग अपने आकाओं के आशीर्वाद से जमे बैठे हैं जिनसे पार्टी को किसी भी स्तर पर कोई लाभ नहीं मिलता है और सोशल मीडिया टीम केवल दिखावा बनकर ही रह जाती है. कांग्रेस के सामने आज सबसे बड़ी समस्या भाजपा से मुक़ाबला करना नहीं है बल्कि अपनी कमज़ोरियों से पार पाने की है क्योंकि आज पार्टी में जो शीर्ष नीति नियंता बने बैठे हैं उनका चुनावी राजनीति से कोई सीधा सरोकार नहीं है जिसके चलते उनको चुनाव लड़ने वाले नेताओं की उन समस्याओं का कोई अंदाज़ा भी नहीं है जिसका सामना उन्हें रोज़ ही करना पड़ता है. सबसे पहले कांग्रेस को उन राज्यों में अपने सगठन और सोशल मीडिया टीम को सुधारना चाहिए जहाँ अगले एक वर्ष में चुनाव होने वाले हैं. जनता केंद्रीय स्तर पर तो मोदी के साथ दिखाई देती है पर यदि सही राजनीति के साथ आगे बढ़ा जाए तो विधानसभाओं में वह कांग्रेस या अन्य दलों को भी समर्थन देती दिखाई देती है. कांग्रेस को तुरंत काम शुरू करते हुए इन राज्यों पर अधिक ध्यान देना ही होगा तभी वह राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का २०२४ में धरातल पर मुक़ाबला कर पाने की स्थिति में होगी.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आज जिस तरह से युवा पीढ़ी की ज़िंदगी में सोशल मीडिया का दखल हो गया है उसको देखते हुए अब कांग्रेस को अपने ज़मीनी संगठन को मज़बूत करने के प्रयासों के साथ ही अगले एक साल में हल ज़िले में सोशल मीडिया टीम का गठन करना चाहिए और उसके अगले साल में यह ब्लॉक और तहसील स्तर तक के कार्यकर्ताओं के लिए अपने बात कहने का मंच बनना चाहिए जिससे राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, प्रादेशिक और स्थानीय मुद्दों के साथ पार्टी अपने कार्यकर्ताओं से सीधे संपर्क बनाये रख सके. आवश्यकता पड़ने पर सोशल मीडिया के माध्यम से उपयोगी जानकारी भी निचले स्तर तक पहुंचाई जा सकती है. इस बार के चुनाव में कांग्रेस के तीन राज्यों में किसानों की कर्जमाफी के बाद ही मोदी सरकार ने किसान सम्मान निधि आम चुनाव से पहले देने का निर्णय किया जिसका लाभ भी उसे मिला पर कांग्रेस अपनी इस उपलब्धि को घोषणापत्र से आगे बढ़ाकर जनता तक नहीं पहुंचा पायी जिसे उसे नुकसान हुआ यदि पार्टी के पास सोशल मीडिया की संगठित टीम हो तो इस तरह की जानकारी को कार्यकर्ताओं के माध्यम से आम जनता तक आसानी से पहुँचाया जा सकता है.
सभी जानते हैं कि भाजपा की सोशल मीडिया टीम निरंतर कांग्रेस से जुड़े आज़ादी के प्रतीकों पर सुनियोजित हमले किया करती है ऐसी परिस्थिति में जब तक कांग्रेस के पास भी उन बातों के बारे में फैलाये जा रहे भ्रम को दूर करने का काम नहीं किया जायेगा तब तक भाजपा जनता में कांग्रेस की और भी नकारात्मक छवि गढ़ने में सफल होती रहेगी। प्रतिकार करने के लिए जब सभी तैयारियां पूरी हो जाएँ तो भी सोशल मीडिया टीम को भाजपा की तरह अनाप-शनाप बातें करने के स्थान पर ऐतिहासिक तथ्यों के साथ बात करनी होगी और भाषाई मर्यादा का सदैव ध्यान रखना होगा क्योंकि आज भाजपा के पास बहुत बड़ी टीम है जो तथ्यों की बात करने वालों पर अपने कुतर्कों से हमले करने के लिए सदैव तैयार रहती है इसलिए इस केंद्रीय टीम में कांग्रेस के इतिहास को जानने वाले लोग रखे जाएँ या जिन लोगों को यहाँ बैठाया जाये उनको पार्टी की तरफ से पार्टी और देश के इतिहास के साथ तथ्यात्मक जानकारी दी जाये जिससे वे परिस्थितियों के साथ सामंजस्य बैठा सकें।
आज संभवतः कुछ प्रदेशों में ही सोशल मीडिया टीम कुछ हद तक काम कर पा रही है क्योंकि यहाँ भी तथ्यों के बिना बात करने वाले लोग अपने आकाओं के आशीर्वाद से जमे बैठे हैं जिनसे पार्टी को किसी भी स्तर पर कोई लाभ नहीं मिलता है और सोशल मीडिया टीम केवल दिखावा बनकर ही रह जाती है. कांग्रेस के सामने आज सबसे बड़ी समस्या भाजपा से मुक़ाबला करना नहीं है बल्कि अपनी कमज़ोरियों से पार पाने की है क्योंकि आज पार्टी में जो शीर्ष नीति नियंता बने बैठे हैं उनका चुनावी राजनीति से कोई सीधा सरोकार नहीं है जिसके चलते उनको चुनाव लड़ने वाले नेताओं की उन समस्याओं का कोई अंदाज़ा भी नहीं है जिसका सामना उन्हें रोज़ ही करना पड़ता है. सबसे पहले कांग्रेस को उन राज्यों में अपने सगठन और सोशल मीडिया टीम को सुधारना चाहिए जहाँ अगले एक वर्ष में चुनाव होने वाले हैं. जनता केंद्रीय स्तर पर तो मोदी के साथ दिखाई देती है पर यदि सही राजनीति के साथ आगे बढ़ा जाए तो विधानसभाओं में वह कांग्रेस या अन्य दलों को भी समर्थन देती दिखाई देती है. कांग्रेस को तुरंत काम शुरू करते हुए इन राज्यों पर अधिक ध्यान देना ही होगा तभी वह राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का २०२४ में धरातल पर मुक़ाबला कर पाने की स्थिति में होगी.
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