मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 24 मई 2010

बिजली विभाग की लापरवाही..

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के एक गाँव में नहर में हाई टेंशन तार के गिर जाने से ५ बच्चों की दर्दनाक मौत हो गयी. क्या कारण है कि हम आज भी अपनी आवश्यकताओं की चीज़ों में सुरक्षा की कमी महसूस करते रहते हैं ? क्यों देश भर से बच्चों के बोरवेल में गिरने की ख़बरें बराबर आती रहती हैं ? क्यों बारात की खुशियों से लौटते लोगों की बस किसी तार की चपेट में आकर मातम का कारण बन जाती है ? शायद खोजने पर इन सभी सवालों का जवाब ढूंढ पाना बहुत ही मुश्किल होगा क्योंकि ये सभी बातें केवल अपने कर्तव्य से भटकने के कारण ही होती हैं. आज के समय में जब हर जगह लोगों की भीड़ बढती जा रही है और उसके कारण बहुत से काम जो एक समय सारिणी के अनुसार किये जाने चाहिए कभी भी नहीं हो पाते हैं. देश में शायद रेल विभाग ही ऐसा होगा जो अपने सभी काम समय पर चेक ज़रूर करता है फिर भी वहां पर कुछ लापरवाह लोगों के कारण कई बार दुर्घटना हो जाती है .
                       आज हम सभी को यह देखना ही होगा की आखिर कब तक हम अपने आस पास की इन लापरवाहियों के प्रति उदासीन बने रहेंगें ? हमारे घर के आस पास झूलते हुए बिजली के तार आज नहीं तो कल किसी हमारे जानने वाले की जान भी तो ले सकते हैं ? क्यों नहीं हम अभी से इस तरह की लापरवाहियों को उजागर करने के लिए अपनी कमर कस लेते हैं ? हम जनता से जुड़े लोग बहुत आसानी से यह कह देते हैं कि सरकारी विभागों में कोई सुनवाई नहीं होती है. यह सुनवाई इसलिए नहीं होती है क्योंकि हम सभी इस तरह की बातों की शिकायत बहुत कमज़ोर शब्दों में करते हैं. हम अगर कुछ नहीं कर सकते और भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं पर से हमारा विश्वास उठ गया है तो कम से कम हम इतना तो कर ही सकते हैं कि अपने मोहल्ले के दो चार लोगों को साथ लेकर इस तरह की समस्याओं को लिखित रूप में सम्बंधित विभाग को दे सकते हैं. कुछ समय प्रतीक्षा करने के बाद सूचना के अधिकार के तहत यह पूछ तो सकते ही हैं कि आखिर इस मामले में क्या किया गया ? जब तक हम जनता के लोग इन सभी मामलों में अपनी सह भागिता नहीं करेंगें तब तक कोई भी हमारे कामों पर ध्यान नहीं देने जा रहा है. एक बात का हमें और ध्यान रखना ही होगा कि कहीं भी किसी स्तर पर राजनीति से जुड़े किसी भी व्याक्ति को हम अपने साथ नहीं जोड़ें क्योंकि ये कर तो कुछ पायेंगें नहीं और केवल अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने में ही लगे रहेंगें.
          देश हमारा है और हम सभी को इसे बारे में सोचना ही होगा जब हम यह निश्चित कर लेंगें कि अब कोई भी काम इस तरह से लापरवाही से नहीं चल पायेगा तो सरकारी तंत्र को भी लगने लगेगा कि अब इन लोगों की मांगों पर उचित ढंग से कार्यवाही की जाये. किसी के चले जाने की भरपाई केवल कुछ रुपयों से तो नहीं की जा सकती अब यह सरकार को समझना ही होगा.

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