मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 15 नवंबर 2010

सरकार और सी आर पी एफ

कश्मीर में रुक रुक कर जारी हिंसा में अब तक सीआरपीएफ को बहुत नुकसान झेलना पड़ा है और जिस तरह से घाटी से पूरी तरह इस सुरक्षा बल को हटाने की मांग अलगाव वादियों के माध्यम से हताश आतंकी कर रहे हैं वह चिंता जनक है. अभी तक राज्य सरकार की नाकामी के कारण घाटी में आई शांति को दूसरा रूप देने की कोशिशें जून से ही चल रही हैं, इन कश्मीरी अलगाव वादियों को इस बात का भरोसा था की ओबामा की भारत यात्रा के दौरान पाक या खुद ओबामा कश्मीर के बारे में कुछ बोलेंगें पर जिस तरह स यूं सभी लोग पूरी तरह चुप रहे उससे घाटी के इन चंद लोगों को बहुत ख़राब लगा. अब समय है कि इस अलगाव के मुद्दे को पूरी तरह से समाप्त करने की दिशा में ठोस और सार्थक पहल की जाये.
        घाटी में जिस परिस्थिति में सेना से सारी सुरक्षा ज़िम्मेदारी इस प्रतिष्ठित बल को सौंपी गयी थी उसे निभाने में इसने कोई कमी नहीं छोड़ी है. आज जिस तरह से इस बल को हटाने के लिए मांग की जा रही है वह अपने आप में बहुत ख़तरनाक है क्योंकि इसके हटने के बाद अगर फिर से अलगाव वादियों के साथ मिलकर आतंकियों ने अपने पैर घाटी में पसारे शुरू कर दिए तो उससे कैसे निपटा जायेगा ? अभी तक इस बारे में राज्य सरकार कुछ भी नहीं सोच पायी है फिर भी केंद्रीय गृह मंत्रालय सद्भाव के नाम पर तो कुछ करने के लिए तैयार है पर पूरी तरह से घाटी को स्थानीय पुलिस के हवाले करने की बात अभी किसी को भी हज़म नहीं हो रही है. वहां के खतरों को सरकार भी समझती है तभी तो इस मसले पर कोई कदम जल्दबाज़ी में नहीं उठाना चाहिए. 
     जून से अभी तक किये गए सरकार विरोधी प्रदर्शनों में १७४५ जवान घायल हो चुके हैं ४५ चौकियों पर हमले किये गए हैं २४ जगह जवानों पर हथगोले फेंके गए हैं और ७७० जगहों पर जवानों को घेरकर पथराव किया गया है ? यह आंकड़े गृह मंत्रालय के हैं और स्वयं गृह राज्य मंत्री अजय माकन राज्यसभा को बता चुके हैं कि अब तक श्रीनगर में सुरक्षा बलों के १६ बंकर हटाये जा चुके हैं. सुरक्षा बलों की चिंता बिलकुल जायज़ इसलिए हैं कि शांति हो जाने पर कोई भी इन बलों की परेशानियों को नहीं समझता है कहीं फिर से पंजाब की तरह अपनी जान दांव पर लगाने वाले जवानों को किसी तरह के केसों को न झेलना पड़े ? यह सब तब है जब सेना के अतिरिक्त किसी को भी विशेषाधिकार कानून के तहत कोई अतिरिक्त सुविधा प्राप्त नहीं है... अच्छा हो कि सरकार इस मसले को केवल वोटों की नज़र से देखना बंद करे और देश के लिए कश्मीर की रक्षा करने वालों की पूरी रक्षा की व्यवस्था भी करे.    

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