मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 25 मई 2012

डॉक्टर निगरानी में

          यू पी में बदहाल चिकित्सा व्यवस्था को सुधारने के लिए प्रदेश के सरकारी डॉक्टरों को सरकार ने सीयूजी मोबाइल के साथ एक मोबाइल लोकशन का चिप लगाने के बारे में निर्णय लिया है जिससे इन सरकारी डॉक्टरों की सही स्थिति का पल भर में पता लगाया जा सकेगा कि वे अपने तैनाती स्थल के अस्पताल में हैं या कहीं और गायब हैं ? सरकारी नौकरी शुरू करते समय विभिन्न तरह के वायदों को करने वाले बहुत सारे सरकारी डॉक्टर जल्दी ही इन सबको भूल कर केवल जुगाड़ के सहारे ही शहरों में नौकरी करते रहते हैं जिससे प्रदेश के दूर दराज़ के क्षेत्रों तक चिकित्सा सुविधाएँ पहुँचाने की सरकारी मंशा पर लगातार पानी फिरता रहता है और ग्रामीण क्षेत्रों या तहसील मुख्यालयों के अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी हमेशा ही बनी रहती है. इस मामले में जब तक सरकार के इन ठोस प्रयासों के साथ इन डॉक्टरों की प्रतिबद्धतता नहीं जुड़ेगी तब तक प्रदेश के बदहाल चिकित्सा तंत्र को सुधारने में कोई सफलता नहीं मिलने वाली है.
        यह अच्छा ही है कि यह सरकार केवल बातें करने के स्थान पर कुछ काम करने की तरफ़ जाती हुई भी दिखाई दे रही है पर ऐसा भी नहीं है कि इस तरह के कड़े कदम प्रदेश में पहले नहीं उठाये गए हैं पर एक बार इनकी शुरुवात तो तेज़ी से की जाती है पर कुछ समय बीतने के बाद फिर से विभाग में नए जुगाड़ करके इनसे निपटने की तरकीबें खोज ली जाती हैं जिससे कोई भी अच्छा प्रयास कारगर नहीं हो पाता है. इस तरह की योजनाओं के बारे में विभाग को नए सिरे से सोचने की आवश्यकता रहेगी क्योंकि इसके बिना यह सब कुछ दिनों तक तो ठीक तरह से चलता रहेगा और एक समय आने के बाद इनका अनुपालन कम होता चला जायेगा और फिर से पूरी व्यवस्था पुरानी पटरी पर लौटती नज़र आने लगेगी. इससे निपटने के लिए अब सरकार को भी कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे उसके प्रयासों का सही लाभ जनता तक पहुँच सके.
        इसके साथ ही सरकार को डॉक्टरों के इस तरह से गायब रहने के मूल कारणों पर भी गौर करना ही होगा क्योंकि जिस तरह से यह प्रदेश में एक समस्या है वैसी अन्य प्रदेशों में नहीं है ? इससे यही लगता है कि बड़े स्तर पर मंत्रालय स्तर से इस पूरे मामले में दखल रहता है जिससे जिस डॉक्टर की लखनऊ में सेट्टिंग होती है वह कभी भी काम पर जाना ही नहीं चाहता है और किसी तरह से जुगाड़ करके खुद को जिला मुख्यालय से अटैच करवा लेता है और हफ्ते में मुश्किल से एक या दो दिन ही अपनी तैनाती के स्थल तक जाने के बारे में सोचता है ? इस स्थिति में सरकार के इस क़दम से इन जुगाडू डॉक्टरों के लिए बड़ी समस्या आने वाली है पर प्रदेश के लिए सबसे अच्छी बात यह हो सकती है कि या तो ये सभी सुधर जायेंगें या फिर नौकरी छोड़कर अन्य लोगों के लिए जगह खाली कर देंगें. जिससे नए डॉक्टरों की भर्ती में सरकार को आसानी होगी और साथ ही प्रदेश की जनता को भी कुछ सुधरी हुई चिकिसा सेवाएं मिल सकेंगीं. यह सब केवल दृढ संकल्प से ही किया जा सकता है और फिलहाल सरकार में यह दृढ़ता दिखाई भी दे रही है अगर यह पूरे ५ साल तक बनी रही तो प्रदेश में बहुत कुछ सही होने में देर नहीं लगने वाली है.       
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