मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

पाकिस्तान और हिन्दू

               पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों और विशेषकर हिन्दुओं के ख़िलाफ़ जिस तरह से अत्याचार की ख़बरें आ रही है उस पर लोकसभा में शून्य काल में चर्चा की गयी पर यह एक इतना महत्वपूर्ण मुद्दा है कि इस पर केवल चर्चा करने से ही काम नहीं चलने वाला है. जिस तरह से वहां हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों के ख़िलाफ़ कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ता अपनी जान पर खेलकर लड़ रहे हैं उससे कुछ भी नहीं होने वाला है. वैसे देखा जाये तो यह पूरी तरह से पाकिस्तान का अंदरूनी मामला है पर जब म्यांमार में मुसलमानों पर होने वाले कथित अत्याचारों पर मुंबई में अराजकता फैलाई जा सकती है तो आख़िर पाकिस्तान में हिन्दुओं के बारे में लोगों की ज़ुबान पर ताले क्यों लटक जाते हैं ? यह अच्छा ही हुआ कि लोकसभा में विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह और भ्रतुहरी महताब द्वारा उठाया गया और इस पर सदन में चिंता भी व्यक्त की गयी. काफी दिनों के बाद लोकसभा ने एक ऐसा समय देखा जब हिन्दुओं पर पाकिस्तान में हो रहे अत्याचार के मसले पर भाजपा और सपा ने इसे साथ में उठाया जो कि सही मुद्दों पर सही ढंग से सही समय पर इन नेताओं द्वारा उठाया गया क़दम है.   
          पाकिस्तान ने पहले ही साज़िश करके अपने यहाँ से हिन्दुओं की आबादी का लगभग सफाया ही कर दिया है क्योंकि वहां पर हिन्दू लड़कियों को जिस तरह से अगवा कर उनकी शादी ज़बरदस्ती मुसलमानों से की जाती है उसके बाद अब पाक के पास सफाई देने के लिए बचता ही क्या है ? पाक में अल्पसंख्यकों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता है यह सभी को पता है उनके अधिकार वहां पर इस तरह से सीमित कर दिए गए हैं कि अगर आज जिन्ना की रूह उन्हें देखे तो उनको भी अलग पाकिस्तान के अपने निर्णय पर शर्म महसूस होने लगेगी. एक साथ ही आज़ादी पाए पाक -बांग्लादेश और भारत में आज मानवाधिकारों की क्या स्थिति है यह पूरी दुनिया जानती है आख़िर क्या कारण है कि भारत में सभी को बराबरी का दर्ज़ा मिला हुआ है जबकि दोनों पड़ोसी देश आज भी अपने यहाँ अल्पसंख्यकों को आज भी सुरक्षा भरा माहौल नहीं दे पा रहे हैं ? इन देशों का जन्म ही नफ़रत के साथ हुआ है तभी आज इस्लामी देश होने के बाद भी दोनों देश लगातार पिछड़ते जा रहे हैं और वहां पर आम मुसलमान का जीना भी मुश्किल हो रहा है.
                   इसके लिए कुछ भी सोचने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि विश्व में भारतीय संस्कृति ही एकमात्र ऐसी है जो दुश्मन के साथ भी मानवता का व्यवहार करना सिखाती है. हमारी संस्कृति सनातन है जो निरंतर होने वाले परिवर्तनों के साथ अपनी मूल भावना को साथ में लेकर चलती है जिस कारण से ही मुलायम सिंह को भी इस बात पर बोलने में कोई समस्या नहीं हुई. राजनीति अपनी जगह है और आज सरकार को पाक से इस मसले पर दो टूक बात करनी चाहिए कि आख़िर वह चाहता क्या है क्योंकि यदि हिन्दू पाकिस्तान में रहना ही नहीं चाहते हैं तो उनके लिए सम्मान से जीने के अन्य रास्ते बंद तो नहीं किया जा सकते हैं ? जब हम तिब्बत से आये दलाई लामा को मानवता के नाम पर शरण दे सकते हैं और १९७१ में आये या उसके बाद घुसपैठ से आये बांग्लादेशियों के साथ भी हमारा व्यवहार सामान्य ही होता है तो आख़िर इन हिन्दुओं की क्या ग़लती है जिनके पूर्वजों ने जिन्ना की बातों पर भरोसा करके पाक को ही अपना घर मान लिया था ? संसद और सरकार को इन हिन्दुओं के मसले को पाक से कड़े शब्दों में उठाना चाहिए और इस मसले पर राजनीति के चश्मे उतार कर रख दिए जाने चाहिए क्योंकि यह मसला धर्म का नहीं बल्कि अल्पसंख्यकों को जड़ से मिटाने का है और आज भारत इतना सक्षम है कि अगर वह चाहे तो पाकिस्तान में बचे हुए सभी हिन्दुओं, सिखों और ईसाइयों को अपने यहाँ अच्छे ढंग से बसा सकता है.   
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