मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 27 अक्तूबर 2013

आईएसआई राहुल और संघ

                                                      राहुल गाँधी के मुज़फ्फरनगर में आईएसआई द्वारा मुस्लिम युवकों को भड़का कर उनका अपने काम में इस्तेमाल किये जाने से सम्बंधित बयान आने के बाद जिस तरह से राजनीति गर्माने लगी थी अब लोगों को उस बयान की सच्चाई समझ में आने लगी है. आम तौर पर आज तक कांग्रेस के नेता इस तरह के मुद्दों पर चुप्पी ही लगाये रहते थे और भाजपा तथा शिव सेना जैसे दलों के साथ संघ परिवार ही ऐसे आरोप लगते रहे हैं पर पूरे मामले को यदि राजनीति से आगे जाकर देखा जाए तो राहुल के बयान में कहीं न कहीं से काफी हद तक सच्चाई भी नज़र आती है तभी संघ ने खुले तौर पर राहुल का समर्थन करते हुए खुद द्वारा घोषत पीएम प्रत्याशी नरेन्द्र भाई मोदी से अपनी मतभिन्नता ज़ाहिर भी कर दी है. यह सही है कि देश के ढांचे में सभी आराम से रह और जी रहे हैं तथा पिछले कुछ वर्षों से मुसलमानों में शिक्षा का स्तर बढ़ने के बाद शिक्षित परिवारों के जीवन स्तर में आये सुधार ने अन्य मुसलमानों को भ शिक्षा की तरफ बढ़ने के लिए आकर्षित भी किया है फिर भी आज धर्म के नाम पर जिहाद की घुट्टी पिलाने की मानसिकता वाले लोग आज भी मौजूद हैं.
                                                   क्या आज तक ऐसे इलाकों में भाजपा अपने स्तर से इस बात का प्रचार कर वोटों को इकठ्ठा करने की कोशिशे नहीं करती रहती है और वास्तविक सच्चाई तो यह है कि आईएसआई आज भी पूरे देश में किसी भी मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र में इस तरह की कोशिशें करती हुई देखी जा सकती है. पहले मुंबई फिर दक्षिण के राज्यों के बाद वह यूपी पर पूरी तरह से नज़रें गडाए हुए है कि किसी भी तरह से इन युवकों के मन में भारत के प्रति नफरत की आग भड़काई जाये जिससे आने वाले समय में वह ये कह सके कि भारत में मुसलमानों के साथ अत्याचार होता ही रहता है ? जब से जम्मू कश्मीर की सीमा पर भारतीय चौकसी बढ़ी है तब से घाटी का माहौल क्यों सुधर गया है यह बात इस बयान की सच्चाई का एक पहलू मात्र ही है क्योंकि किसी समय कश्मीर में भी पाक की ऐसी हरकतों की कहीं न कहीं से अनदेखी अवश्य ही की गयी है. अब समय आ गया है कि एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के स्थान पर नेता और राजनैतिक दल इस समस्या का सही हल तलाशने के प्रयास करें जिससे आने वाले समय में मुस्लिम युवकों को पाक के चंगुल में उलझने से रोका जा सके.                                                     
                                                   यह सही है कि राहुल किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं पर एक सांसद होने के नाते यह संभव है कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी भी हो यहाँ पर असली बात को जिस तरह से छोड़कर मुद्दे पर राजनीति को हावी होने दिया गया वह भारतीय नेताओं और राजनीति के कमज़ोर स्तर को ही प्रदर्शित करती हैं क्योंकि जब इस तरह का कोई बयान भाजपा दे तो वह सही पर यदि कांग्रेस के उपाध्यक्ष की तरह से यही बात कही जाए तो भाजपा की नज़रों में यह देश के मुसलमानों का अपमान होने लगता है ? समाज में यदि कहीं भी कुछ गलत हो रहा है तो उस पर सभी को बोलने का हक संविधान ने हमें दे ही रखा है ऐसे में राहुल के बयान को हल्का समझने वाले यह भूल जाते हैं कि संभवतः उनकी तरफ से यह बयान सिर्फ इसलिए आया हो कि आने वाले समय में भाजपा की तरफ से ऐसे आरोप तो लगाये ही जाने थे यहाँ पर जो बात अन्य राजनैतिक दलों को खल गयी कि इस मुद्दे पर राहुल ने आखिर जुबान क्यों खोली ? देश के मुसलमानों की आलोचना कर उन्हें आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है उसके लिए उनकी समस्याओं को दूर करने की तरफ पूरे मनोयोग से प्रयास करना ही होगा.
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