इस बार जिस तरह से दिल्ली की जनता ने अपने मतों के विभाजन से पूरी स्थिति इस तरह से बना दी है कि उसमें से निकल पाना किसी भी दल के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है क्योंकि अन्य किसी राज्य का मामला होता तो अभी तक केंद्र ने राज्यपाल की रिपोर्ट पर चुटकी बजाते ही निर्णय लेकर आगे बढ़ जाना ही उचित समझा होता पर मामला दिल्ली का और जनता के हद दर्ज़े तक जागरूक हो जाने के कारण इस बार पूरी प्रक्रिया ही खटाई में दिखायी देती है. कॉंग्रेस और भाजपा इस मसले में कुछ भी कर पाने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि दोनों ही केवल दर्शक की भूमिका में ही हैं. जब तक आप कोई निर्णय नहीं ले पा रही है और जब भी इस तरह से किसी नयी पार्टी द्वारा इतना अधिक समय लिया जाता है तो उसके लिए यह सब बहुत ही जटिल प्रक्रिया होती है फिर भी आप के पास बहुत सारे क्षेत्रों के विशेषज्ञ भी हैं जो उसे अपने अनुसार सरकार बनाने और न बनाने की गणित समझने में लगे हुए हैं इस पूरी प्रक्रिया में जिस तरह से आप ने मसले को इतना लम्बा खींचने की तरफ कदम बढ़ाये हैं भारतीय राजनीति के लिए यह बिलकल ही नया परिदृश्य है.
भाजपा इसी जुगत में है कि किसी भी तरह आप की सरकार बन जाये और वह यह चिल्लाकर कह सके कि यह कॉंग्रेस की मिली भगत थी जबकि सभी वास्तविकता जानते हैं पर इस तरह से भाजपा को विपक्ष की राजनीति करने का अवसर भी मिल जायेगा और आने वाले समय में वह इसी दम पर अपने प्रदर्शन को भी सुधार पाने के मंसूबे पाले बैठी है. वैसे भी जिस तरह के रुझान सामने आ रहे हैं उनमें से बहुत सारे आप वोटर्स ने भी लोकसभा में भाजपा के लिए वोट करने का मन बनाया हुआ है और इस स्थिति में आप की इस तरह की टालमटोल उसके लिए बहुत घातक भी हो सकती है जो कि भारतीय राजनीति के लिए अच्छा नहीं होगा, क्योंकि इस तरह से जन सामान्य के मुद्दों पर ज़मीनी स्तर पर सरकार चलाने के इस प्रयास को हसीन सपना ही माना जाना लगेगा. भाजपा और कॉंग्रेस किसी भी स्थिति में यह नहीं चाहेंगीं कि आप की सरकार दिल्ली में मज़बूती से चले और जन सामान्य से जुड़े मुद्दों पर कोई बड़े परिवर्तन कर सके क्योंकि इससे दिल्ली में उनके साफ़ होने का खतरा बहुत बढ़ जायेगा जो कि इन दलों को दिल्ली में सरकार होने के मनोवैज्ञानिक लाभ से वंचित कर देगा.
यदि कोई समय सीमा निर्धारित करने के बाद भी आप सरकार नहीं बनाती है तो कॉग्रेस को सरकार बनाने की सभी कोशिशें छोड़ देनी चाहिए और वहाँ पर राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए क्योंकि दिल्ली को आख़िर इस तरह की दुविधा वाली स्थिति में कैसे छोड़ा जा सकता है ? इस तरह से काम करने पर सबसे बड़ा ख़तरा यह भी हो सकता है कि आने वाले समय में आप में कुछ फूट पड़ जाये और भाजपा को वहाँ से कुछ लोग मिल जाएँ क्योंकि पहली बार राजनीति में आये हुए लोगों के लिए इस दुनिया की चकाचौंध कुछ भी करवा सकती है ? कॉग्रेस से जो भी जीत कर आये हैं वे सभी ऐसे हैं कि उन्हें कोई भी शक्ति आसानी से तोड़ पाने की स्थिति में नहीं है वर्ना अब तक भाजपा सरकार बना चुकी होती और लोकसभा चुनावों में वह दिल्ली में अपनी सरकार के साथ लोकसभा की सभी सातों सीटों पर पूरा दम दिखाती. अब समय आ गया है कि आप को अपनी यह प्रक्रिया जल्दी से पूरी कर आगे की रणनीति पर विचार करने की तरफ बढ़ना चाहिए क्योंकि इस तरह की स्थिति एक बार फिर बनने पर आप के वोट कितने तक सुरक्षित रहेंगें और कॉंग्रेस के सहयोग के विकल्प के बाद उससे नाराज़ कितने वोट वापस उसकी झोली में आयेंगें यह तो किसी को नहीं पता है पर उसके लिए अपने प्रदर्शन को दोहराने की बहुत बड़ी चुनौती सामने बनी ही रहेगी.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
भाजपा इसी जुगत में है कि किसी भी तरह आप की सरकार बन जाये और वह यह चिल्लाकर कह सके कि यह कॉंग्रेस की मिली भगत थी जबकि सभी वास्तविकता जानते हैं पर इस तरह से भाजपा को विपक्ष की राजनीति करने का अवसर भी मिल जायेगा और आने वाले समय में वह इसी दम पर अपने प्रदर्शन को भी सुधार पाने के मंसूबे पाले बैठी है. वैसे भी जिस तरह के रुझान सामने आ रहे हैं उनमें से बहुत सारे आप वोटर्स ने भी लोकसभा में भाजपा के लिए वोट करने का मन बनाया हुआ है और इस स्थिति में आप की इस तरह की टालमटोल उसके लिए बहुत घातक भी हो सकती है जो कि भारतीय राजनीति के लिए अच्छा नहीं होगा, क्योंकि इस तरह से जन सामान्य के मुद्दों पर ज़मीनी स्तर पर सरकार चलाने के इस प्रयास को हसीन सपना ही माना जाना लगेगा. भाजपा और कॉंग्रेस किसी भी स्थिति में यह नहीं चाहेंगीं कि आप की सरकार दिल्ली में मज़बूती से चले और जन सामान्य से जुड़े मुद्दों पर कोई बड़े परिवर्तन कर सके क्योंकि इससे दिल्ली में उनके साफ़ होने का खतरा बहुत बढ़ जायेगा जो कि इन दलों को दिल्ली में सरकार होने के मनोवैज्ञानिक लाभ से वंचित कर देगा.
यदि कोई समय सीमा निर्धारित करने के बाद भी आप सरकार नहीं बनाती है तो कॉग्रेस को सरकार बनाने की सभी कोशिशें छोड़ देनी चाहिए और वहाँ पर राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए क्योंकि दिल्ली को आख़िर इस तरह की दुविधा वाली स्थिति में कैसे छोड़ा जा सकता है ? इस तरह से काम करने पर सबसे बड़ा ख़तरा यह भी हो सकता है कि आने वाले समय में आप में कुछ फूट पड़ जाये और भाजपा को वहाँ से कुछ लोग मिल जाएँ क्योंकि पहली बार राजनीति में आये हुए लोगों के लिए इस दुनिया की चकाचौंध कुछ भी करवा सकती है ? कॉग्रेस से जो भी जीत कर आये हैं वे सभी ऐसे हैं कि उन्हें कोई भी शक्ति आसानी से तोड़ पाने की स्थिति में नहीं है वर्ना अब तक भाजपा सरकार बना चुकी होती और लोकसभा चुनावों में वह दिल्ली में अपनी सरकार के साथ लोकसभा की सभी सातों सीटों पर पूरा दम दिखाती. अब समय आ गया है कि आप को अपनी यह प्रक्रिया जल्दी से पूरी कर आगे की रणनीति पर विचार करने की तरफ बढ़ना चाहिए क्योंकि इस तरह की स्थिति एक बार फिर बनने पर आप के वोट कितने तक सुरक्षित रहेंगें और कॉंग्रेस के सहयोग के विकल्प के बाद उससे नाराज़ कितने वोट वापस उसकी झोली में आयेंगें यह तो किसी को नहीं पता है पर उसके लिए अपने प्रदर्शन को दोहराने की बहुत बड़ी चुनौती सामने बनी ही रहेगी.
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