मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 19 जनवरी 2014

धारा ३७० और भाजपा

                                                  भाजपा की राष्ट्रीय परिषद् में जिस तरह से कश्मीर और धारा ३७० पर पार्टी के स्थापित स्टैंड से अलग राय देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है बशर्ते उससे राज्य का कल्याण होता हो ? देखने में यह एक बयान मात्र ही है पर जिस तरह से अभी तक आज़ादी के बाद से ही संघ फिर भाजपा का एक ही रुख रहा है कि कश्मीर से यह धारा हटाई जानी चाहिए और उसका जिस तरह से चुनावों में आक्रामक तरीके से उपयोग किया जाता था उससे स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आ पा रहा था पर इस चुनाव से पहले भाजपा अध्यक्ष द्वारा दिए गए इस ताज़ा बयान के बाद यह लगता है कि अब भाजपा ने भी इस मुद्दे पर मध्यमार्गी रुख अपना लिया है. आज़ादी के समय से ही कश्मीर पर जिस तरह से पाक ने अपनी नज़रे गड़ाईं और उसके बाद वहाँ पर मौत का तांडव किया वह कश्मीरियों के लिए सबसे बुरा दौर था और जब अपनी तरफ से घाटी तक बेहतर पहुँच होने के कारण पाक ने श्रीनगर पर लगभग कब्ज़ा कर ही लिया था तो उस विषम परिस्थिति में भारतीय सेना ने संयम और शौर्य से इसे बचा लिया था पर आज भी पाक वहाँ की मुस्लिम आबादी को जिस तरह से बरगलाने का काम करता रहता है असली समस्या वही है.
                                                  दिल्ली या देश के किसी अन्य भाग में यह चिल्लाने का कोई मतलब नहीं बनता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है क्योंकि यह बात पूरी दुनिया जानती है और आज के समय में विश्व की महाशक्तियों को भी यह पता ही है कि कश्मीर कहाँ है फिर भी केवल राजनैतिक कारणों से हमारे सभी दलों के नेता गाहे बगाहे इस बात को कहते ही रहते हैं जैसे उनके मन में कोई संदेह है कि कश्मीर भारत का हिस्सा है भी या नहीं पर उससे घाटी में सक्रिय उन अलगाववादियों को बल अवश्य मिल जाता है जो इन बयानों को अपने अनुसार उपयोग में लाते हैं. भारत के किसी अन्य हिस्से के बारे में इस तरह के बयान कभी नहीं दिए जाते हैं जिससे घाटी में अलगाववादियों को भी यह लगता है कि अभी जुटे रहना चाहिए. देश के नेताओं को अब कश्मीर पर कुछ थोपने से पहले उन्हें देश के अन्य भागों की तरक्की को भी दिखाना चाहिए जिससे कश्मीरियों को भी यह पता चल सके कि इस तरह के आवश्यक विवाद में उन्होंने क्या खो दिया है और अगर अब भी वे उसी तरह से आगे बढ़ने की कोशिश करने में लगे रहते हैं तो उसका सीधा असर विकास पर ही पड़ता है.
                                                कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंक के कारण जो कुछ नहीं हो पा रहा है और जनता ने जिस तरह से वहाँ पर अपने को आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच में हमेशा ही असुरक्षित पाया है तो उस स्थिति में अब उनके पास क्या कुछ बचता है ? यह अब कश्मीर को भी सोचना है कि जब पाक के कब्ज़े वाले कश्मीर में हालात अफगानिस्तान से भी बुरे हैं तो आने वाले समय में यदि वहाँ पर पाक का प्रभाव बढ़ता है तो यहाँ की खुशहाली आखिर कैसे बरकरार रखी जा सकेगी ? कश्मीर घाटी विश्व में अपनी खूबसूरती के कारण ही अधिक जानी जाती है और पाक समर्थित आतंक के चलते आज वहाँ पर क्या स्थिति हो गयी है यह सभी जानते हैं अब वहाँ की आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने की अधिक ज़रुरत है क्योंकि जब तक इस तरह से सोचना नहीं शुरू किया जायेगा तब तक कश्मीर में सरकार समर्थित विकास कब तक परिस्थितियों को बदलने का काम कर पायेगा ? अब देश और कश्मीर को आगे बढ़कर नए सिरे सोचने की आवश्यकता है क्योंकि जब तक दोनों स्थानों पर सोच में बदलाव नहीं आएगा तब तक वास्तविक रूप में बदलाव नहीं आ सकता है. अब भाजपा और कॉंग्रेस की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि दोनों दल मिलकर संसद में घाटी के विकास के बारे में ठोस योजनाएं बनाने पर अपनी सहमति दिखाएँ.
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