मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 7 मार्च 2014

खेल भावना या पाक परस्ती

                                     देश के आम लोगों में सामान्य कश्मीरियों के बारे में वैसे तो कोई गलत धारणा कभी से नहीं रही है पर इस बार जिस तरह से कश्मीरी छात्रों के एक समूह ने मेरठ के सुभारती विश्वविद्यालय में पाकिस्तान के भारत से जीतने पर उसके पक्ष में नारे लगाये उसे क्या खेल भावना और देश के इस हिस्से आकर किया सही काम कहा जा सकता है ? देश में तो इस मसले पर अभी बहुत राजनीति होनी है क्योंकि चुनावी लाभ लेने के लिए हमारे नेता सदैव ही देश को ताक पर रखने में नहीं चूकते हैं तो है कि यह एक बड़ा मसला भी बन ही सकता है और इसमें सभी को एक बात का धयान अवश्य ही रखना चाहिए कि यहाँ पर किसी भी तरह कि खेल भावना का कोई मसला ही नहीं है और यह एक सोची समझी साजिश भी हो सकती है क्योंकि इसके माध्यम से कश्मीरी चरमपंथी आने वाले समय में अपने इन चंद भाड़े के टट्टुओं से ऐसे काम करवाने में नहीं चूकने वाले हैं. देश को इस तरह के मसलों पर एक स्पष्ट नीति तो बनानी ही होगी क्योंकि राज्यों में सरकार चला रहे दलों को भारत विरोधी किसी भी तरह की गतिविधि पर काम करने की छूट किसी भी तरह नहीं दी जा सकती है.
                                 इस मसले में सबसे ध्यान देने की बात यह भी है कि पाकिस्तान से हाफ़िज़ सईद ने सबसे पहले बयान जारी किया है तो क्या यह इन कश्मीरी छात्रों को ढाल बनाकर एक नए तरह का असंतोष पैदा करने की पाकिस्तानी कोशिश है जिसे सम्भवतः वे जांचना चाह रहे हों कि इससे इन् छात्रों और भारत के लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है ? एक बात तो कश्मीरियों को भी समझनी ही चाहिए कि लम्बे आतंकी दौर के बाद अब जब घाटी में कुछ शांति आ रही है तो वे एक बार फिर से पाकिस्तानी आतंकियों के इस तरह के जाल में उलझना भी चाहते हैं या नहीं क्योंकि यदि इस तरह की घटनाएं और भी हुईं तो कश्मीरी युवकों को केवल जेहादी बनाने का आतंकी सपना ही आगे बढ़ेगा और उनके लिए पूरे देश में शिक्षा के अवसर कम होते चले जायेंगें ? भारत की सोच पाकिस्तानी सोच से बहुत अलग है तभी आज भारत जहाँ विकास की दौड़ में दुनिया के देशों से स्पर्धा कर रहा है वहीं पाक अपने अस्तित्व को बचाने की कोशिशों के साथ केवल जिहाद में ही उलझा हुआ है तथा दुनिया के खतरनाक देशों में शामिल हुआ पड़ा है. यदि कश्मीरी छात्र और नेता इस तरह की हरकतों पर मौन समर्थन करेंगें तो यह देश भर में कश्मीरी छात्रों के अवसरों पर अनचाहा कुठाराघात ही करने वाला है.
                              जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ यूपी के नेताओं को भी यह देखना चाहिए कि इस मसले पर अनावश्यक राजनीति न की जाये क्योंकि देश भर में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों के भविष्य को चौपट करने वाले इस प्लान पर आगे जो कुछ भी पाक के कदम होंगें वे भारतीय पक्ष के अनुसार ही संचालित किये जायेंगें. भारत के कानून के बारे में सोचने से पहले सभी को सोचना चाहिए क्योंकि यहाँ तो सरे आम पकडे गए आतंकी कसाब को भी कानून के अनुसार ही फांसी दी गयी थी पर क्या पाकिस्तान में कोई मुसलमान भी भारत के पक्ष में इस तरह की खेल भावना का खुले आम प्रदर्शन कर सकता है ? पीडीपी और उमर अब्दुल्लाह के बयान भी सही नहीं कहे जा सकते है क्योंकि वे कुतर्कों पर ही आधारित हैं किसी अच्छे खिलाडी का समर्थन या खेल का समर्थन करना एक बात है पर दूसरे देश के पक्ष में नारे लगाना जबकि अपना देश हार रहा हो तो क्या यह खेल भावना कही जा सकती है ? मुशर्रफ द्वारा धोनी की तारीफ़ करने की बात से इस बात को जोड़ने वाले यह भूल जाते हैं कि तारीफ़ करना एक बात है और ज़िंदाबाद के नारे लगाना बिलकुल दूसरी और कश्मीरियों के इस समूह ने जिस तरह से पूरे देश में कश्मीरियों के लिए संकट खड़ा किया है उसे दूर करने का काम भी कश्मीरी ही कर सकते हैं वर्ना इन चुनावों में इस मुद्दे पर भी राजनैतिक रोटियां सिंकनी तय ही हैं. 
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