मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 3 अगस्त 2014

पीओके,जेहादी और चीन

                                                               चीन के सीमा सुरक्षा से जुड़े हुए महत्वपूर्ण सैन्य अधिकारी के इस बात के खुलासे से कि पाक अधिकृत कश्मीर से उसके मुस्लिम बहुल शिनजियांग प्रान्त में आतंकी गतिविधियों के सञ्चालन को समर्थन किया जा रहा है उसके बदले हुए रुख को समझा जा सकता है. भारत इस बात को शुरू से ही कहता रहा है कि पाक अपने हिस्से वाले कश्मीर में जानकार ही विकास नहीं कर रहा है, आज भी वहां पर आने जाने के सामान्य रास्ते भी नहीं है जिनके माध्यम से आतंकियों के ट्रैनिंग कैम्पों का सञ्चालन स्थल तक पहुँचने के किसी भी प्रयास को अंजाम तक नहीं पहुँचाया जा सकता है. अभी तक चीन इस ग़लतफ़हमी में जी रहा था कि भारत के खिलाफ काम करने वाले ये आतंकी समूह उसके लिए कोई चुनौती नहीं खडी करने वाले हैं और पाक सरकार भी इन पर सही तरह से नियंत्रण रखते हुए इन्हें चीन की सीमाओं का अतिक्रमण करने से रोकती रहेगी. इसी क्रम में चीन पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के विकास और वहां तक आने जाने के संसाधनों पर खुलकर धन खर्च करने में लगा हुआ है.
                                                              पूरी दुनिया में सभी जानते हैं कि पाक और अब तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान से ही अधिकांश आतंकी ट्रैनिंग कैम्पों का सञ्चालन किया जाता है और किस तरह से ओसामा को पाक ने अपने यहाँ छिपाकर रखा हुआ था यह उसकी मौत के बाद ही खुलकर सामने आ पाया. इसी तरह से पाक एक नीति के तहत जिहाद के नाम पर पूरी दुनिया के मुस्लिम देशों से प्राप्त धन से इस तरह के काम करने में लगा हुआ है. चीन अपने आप में राष्ट्रीय हितों के सामने किसी भी हित को टिकने नहीं देता है और इस बार जिस तरह से वरिष्ठ चीनी अधिकारी के द्वारा यह खुलासा किया गया है उससे आने वाले समय में पाक के साथ लगती हुई सीमा और प्रान्त पर इन देशों के बीच कटुता बढ़ने की सम्भावना भी है. अपने सुरक्षा सम्बन्धी हितों की पूर्ति के लिए चीन कब तक पीओके से चलने वाली इन गतिविधियों को किस स्तर तक सहन करेगा तह तो समय ही बताएगा पर चीन की नज़रें अब इन आतंकियों पर टेढ़ी हो चुकी हैं यह बात साफ ही चुकी है.
                                                            चीन की तरफ से सख्ती किये जाने का सबसे पहला दुष्प्रभाव भारत पर ही पड़ सकता है क्योंकि जिस तरह से पाक आसानी से इस क्षेत्र में आतंकी कैम्पस को बंद नहीं करना चाहता है तो चीन के खिलाफ कोई कदम न उठाने देने के आश्वासन के बाद यहाँ से तैयार जेहादी कश्मीर में गड़बड़ करने की कोशिशों में तेज़ी लाने का काम कर सकते हैं. जिस तरह से चीन ने अपने यहाँ सख्ती की है वैसी सख्ती तो भारत ने अपने यहाँ पिछले दो दशकों से करनी शुरू कर दी थी और उसके परिणाम स्वरुप ही आज कश्मीर घाटी में पाक समर्थित आतंकियों की घुसपैठ पहले के मुकाबले काफी कम हो गयी है. दुर्गम पहाड़ियों नक्सली क्षेत्रों में आतंकियों से लोहा लेने में भारत ने जो महारत हासिल कर ली है आज अमेरिका भी उसका लोहा मानता है और आने वाले समय में संभवतः चीन भी इन अलगाववादियों के हमलों से परेशान होकर भारत के साथ किसी संयुक्त अभ्यास करने के बारे में सोचने लगे. यदि सीमा के इस तरह के अतिक्रमण को भारत चीन ने मिलकर रोकने के प्रयास शुरू कर दिए तो आने वाले समय में पाक पर जेहादी गतिविधियों के सञ्चालन रोकने के लिए और भी दबाव बनना संभव है. 
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