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सोमवार, 5 जनवरी 2015

राष्ट्रीय मतदाता सूची और सुधार

                                             केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने एक नए आदेश के माध्यम से मुख्य निर्वाचन कार्यालय आने वाले समय में एक राष्ट्रीय मतदाता सूची बनाने की दिशा में काम करना शुरू करने जा रहा है जिससे किसी भी मतदाता को अपने नाम से सम्बंधित किसी भी सूचना के लिए एकल खिड़की उपलब्ध हो जाएगी और वह वहीं से अपनी मतदाता सूची से जुडी हुई किसी भी जानकारी के बारे में सब कुछ जान सकेगा तथा इस केंद्र के माध्यम से वह किसी भी तरह की गलती का संशोधन भी करवा सकने में समर्थ हो सकेगा. इस पूरी कवायद में सभी तरह की जानकारी को राष्ट्रीय डेटा बैंक के रूप में संरक्षित भी किया जायेगा जिससे केंद्रीय स्तर की इस सूची का पूरा लाभ देश के मतदाताओं को मिल सके और वे अपने किसी भी तरह के संशोधन के लिए चुनावों के आने का इंतज़ार न करते रहें. देश में अब इस तरह की सूची की बहुत आवश्यकता है पर चुनाव सम्बन्धी सुधारों के लिए राजनैतिक दलों की कमज़ोर इच्छाशक्ति इसमें सदैव ही बाधा बनती रहती है.
                             आम तौर पर देश में लागू त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में जिस तरह से तीन तरह की मतदाता सूचियाँ बनायीं जाती हैं अब उनको भी एकीकृत करने का समय आ गया है क्योंकि इन सूचियों में जिस स्तर पर घालमेल और अनियमितताएं की जाती हैं वह किसी से भी छिपी नहीं हैं. खुद पीएम के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में जिस तरह से तीन लाख से भी अधिक फ़र्ज़ी वोटर्स पाये गए और उसके बाद ढाई लाख वोटर्स लखनऊ में भी मिले तो इससे आयोग की निष्पक्ष चुनाव कराने की मंशा पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाता है. इन सूचियों का नियमितीकरण राज्य स्तर के कर्मचारी ही किया करते हैं जिससे सत्तारूढ़ दलों पर ही यह आरोप लगा करते हैं कि सभी फ़र्ज़ी वोटर उनके द्वारा ही बनवाए गए हैं जबकि सभी राजनैतिक दल इस तरह की फ़र्ज़ी कवायद में अपने कार्यकर्ताओं के साथ जुड़े रहते हैं. यह तो एक चुनाव में ही फ़र्ज़ी वोटर्स की संख्या है और किस तरह से अन्य चुनावों में एक व्यक्ति शहरी निकाय और ग्रामीण पंचायतों में भी दोहरा वोटर हैं इस बात पर कुछ भी नहीं किया जा रहा है.
                             देश का कानून किसी भी व्यक्ति को कहीं से भी वोटर बनने की अनुमति देता है पर साथ ही उसके दो स्थानों से किसी के वोट पाये जाने को दंडनीय अपराध भी माना गया है पर आज के समय में शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के पैतृक ग्राम सभाओं में भी वोट बने रहते हैं तथा कोई भी इन वोटों को हटवाने के बारे में कभी भी नहीं सोचता है और इस तरह से वह दंडनीय अपराध भी कर देता है. इस बारे में सभी को उपयुक्त मंचों से व्यापक रूप से जागरूक करने की कोशिश करनी चाहिए तथा हर संशोधन से पहले और बाद में भी किसी सरल तरीके से अपनी स्थिति जांचने की सुविधा भी देनी चाहिए. जानबूझकर या विद्वेषवश दोहरे वोट बनवाने की स्थिति में वोटर फॉर्म जमा करने वाले कर्मचारी के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए जाने चाहिए जिससे वे इस महत्वपूर्ण काम में किसी भी तरह की लापरवाही न बरतने पाएं. आज देश के लिए हर स्तर पर सुधार करने की आवश्यकता है और केवल चुनाव आयोग ही इसे नहीं कर सकता है जब तक इसे जनआंदोलन बनाकर जनता को इससे नहीं जोड़ा जायेगा तब तक किसी भी स्तर पर सूचियों को पूरी तरह से सही करने में सफलता नहीं मिलने वाली है.    
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