मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 7 जनवरी 2015

पाक सीमा और नागरिक

                                      वैसे तो पाकिस्तान से लगी हुई अंतर्राष्ट्रीय सीमा और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति आम तौर पर कभी भी नहीं रहा करती है पर इस बार जिस तरह से पाक ने सामान्य गोलाबारी करने की जगह इसका रुख नागरिक इलाकों की तरफ मोड़ दिया है वह वास्तव में चिंता का विषय है. सेना और सीमा सुरक्षा बल के जवान इस तरह की परिस्थिति से निपटने और पाक के मन्सूबों से पूरी तरह से वाकिफ हैं तो उनके लिए इससे बचना आसान है पर जब बात नागरिक इलाकों तक पहुँचती है तो नागरिक प्रशासन के लिए काम करना बहुत कठिन हो जाता है. पाक की तरफ से आज भारत पर भी आरोप लगाये जा रहे हैं कि इन हमलों में उसके तरफ के नागरिक भी हताहत हो रहे हैं तो इस परिस्थिति में सीमा पर शांति किस तरह से बनायीं रखी जा सकती है. बीएसएफ के महानिदेशक का यह कहना चिंताजनक भी है कि सामान्य बैठक में पाक के रेंजर्स ने इस तरह की गोलाबारी का विरोध पत्र लेने से भी मना कर दिया और उलटे भारत पर भी इसी तरह के आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं.
                                     असामान्य संबंधों वाले पड़ोसियों के बीच इस तरह की संभावनाएं सदैव ही बनी रहती है जिसमें एक दूसरे का ध्यान बँटाने के लिए सीधे हमलों के साथ रिहायशी इलाकों पर भी कई बार हमले किये जाते हैं पर इसका उन सामान्य नागरिकों पर कितना बुरा असर पड़ता है यह सम्बंधित देश कभी भी नहीं देखना चाहते हैं. पाकिस्तान के लिए भारत का हर स्तर पर विरोध और जिहाद के नाम पर चरमपंथियों की सहायता करना मजबूरी भी है क्योंकि इन मुद्दों से ध्यान बंटने पर पाक जनता अपनी बदहाली का रोना नहीं रो पाती है और सेना तथा सरकार चला रहे दलों के लिए भी आसानी रहा करती है. युद्ध के समय हर तरह के हथकंडों को अपना कर किसी भी तरह से जीत या दुश्मन को नीचा दिखाने की कोशिश हर देश किया करता है पर शांति के समय इस तरह के छद्म युद्ध से दोनों ही देशों को कुछ भी हासिल नहीं होता है और परिस्थितियां बिगड़ती ही चली जाती है.आज जम्मू क्षेत्र में सीमा से ६ किमी अंदर तक के नागरिक पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं जो कि देश के अन्य भागों में रहने वालों के लिए कोई मुद्दा ही नहीं है.
                                    यह भी पूरी तरह से स्पष्ट है कि पाक जैसे पडोसी से निपटना आसान नहीं है क्योंकि उसके पास खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं है पर भारत में सरकार बदलने के बाद इसे पहले से आक्रामक सरकार साबित करने के लिए ही वह ऐसे कदम उठा रहा है जिससे पूरी दुनिया के भारत में निवेश के इच्छुक लोगों में वह यह संदेश फैला सके कि देश की सीमा पर सब कुछ सामान्य नहीं है और आने वाले समय में युद्ध जैसी स्थिति भी बन सकती है. चुनावों से पहले पाक से निपट लेने की हुंकार भरने वाले नेताओं के बयानों के चलते भारतीय सेना ने नए आदेशों के तहत भी कुछ आक्रामकता दिखाई थी पर अब गृह मंत्री खुद यह कह रहे हैं कि सेना को पूरी तरह से संयम बरतने के लिए कहा गया है और अनावश्यक उलझाव काम करने की कोशिश भी की जा रही है. बयानबाज़ी और सरकार के सामने आने वाली चुनौतियों में बहुत अंतर होता है इसीलिये चुनावी रैली में पाक से निपट लेने की बातें करने वाले सरकार के दूसरे नंबर के मंत्री भी संयम का राग अलापते नज़र आते हैं. पाक कभी भी न सुधरने वालों में से है इसलिए अब सरकार को सीमावर्ती क्षेत्रों में रिहायशी इलाकों को फिर से सुरक्षित करने की किसी योजना पर काम करने की अधिक ज़रुरत है.       
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