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सोमवार, 23 मार्च 2015

यूपी के लैपटॉप

                                              २०१२ के चुनावों से पहले अपने घोषणापत्र में कक्षा १२ पास करने वाले छात्र छात्रों को लैपटॉप देने की बात ने चुनावों पर कितना असर डाला था यह तो किसी को भी नहीं पता है पर आज यूपी सरकार के मुखिया अखिलेश को जिस तरह से उन छात्रों की याद आई है और वे उन्हें पत्र लिखने के बारे में विचार कर चुके हैं उससे यही लगता है कि २०१४ के लोकसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन के बाद से ही अखिलेश के जो कदम सही दिशा में उठाने शुरू हुए थे वे अब और भी धरातल पर पहुँच रहे हैं. इंटरमीडिएट की परीक्षा के बाद अधिकांश छात्रों को लैपटॉप देने का निर्णय वैसे तो विशुद्ध रूप से राजनैतिक ही था पर उससे किसी भी स्तर पर उन बच्चों को कोई मदद मिली या नहीं इसका यूपी सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं है. आज इतने वर्षों बाद उन छात्र छात्रों की सूची मांगी जा रही है जिनको इस योजना का लाभ मिला था तो अधिकांश को खोज पाना ही शिक्षा विभाग के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है क्योंकि आज वे लैपटॉप कहाँ और कैसे हों यह कोई नहीं जानता है और एक बेहतर सामाजिक बदलाव को कर सकने में सक्षम योजना किस तरह से वोटों के चक्कर में आ गयी यह इसका ही एक और उदाहरण है.
                                       पूरे देश एक छात्रों के लिए सरकारों को आधार संख्या अनिवार्य कर देनी चाहिए जिससे आने वाले समय में नक़ल रोकने से लगाकर हर काम करने के लिए छात्रों को इससे पूरी मदद दी जा सके. आज विभिन्न तरह की छात्रवृत्तियों को बाँटने में जिस तरह के घोटाले किये जाते हैं उनको देखते हुए अब प्राथमिकता के आधार पर हर बच्चे का बैंक या डाकघर में खाता खोलना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए. आज बहुत सारी योजनाओं में इस तरह की शुरुवात की जा चुकी है और आने वाले समय में सरकार अपने स्तर से लैपटॉप आदि खरीदकर मेधावी छात्रों को देने के स्थान पर उनके खाते में धनराशि भेज सकती है और विभिन्न तरह के करों से मुक्त लैपटॉप खरीदने के लिए इन छात्रों को विशेष सुविधा भी दे सकती है. इस तरह से जहाँ सरकारी स्तर पर अनावश्यक रूप से पड़ने वाले काम के दबाव को ख़त्म किया जा सकेगा वहीं बच्चों के पास धनराशि पहुँचने से वे इसका अपने अनुसार सदुपयोग करने को भी स्वतंत्र होंगें. सरकारी योजनाओं में सीधे फण्ड भेजने की व्यवस्था कर देने से कई विभागों का काम काफी कम किया जा सकता है जिससे सरकार और शिक्षा विभाग की कार्यकुशलता को बढ़ाने में काफी मदद मिल सकती है.
                                    यदि यूपी के सीएम सीधे ही इंटर पास करने वाले इन बच्चों से संपर्क करना चाहते हैं तो यह बहुत अच्छी बात है पर इसे केवल एक तरफ़ा संवाद बनाये रखने के स्थान पर दोनों तरफ की सूचनाएँ एकत्रित किये जाने के बारे में सोचा जाना चाहिए. यदि सीएम इस कार्यक्रम के अंतर्गत ही एक ऐसी व्यवस्था भी बना सकें जिसके अंतर्गत छात्र छात्राएं अपने समस्या को भी सीधे उनसे साझा कर सकें तो इस तरह के किसी भी कार्यक्रम से शिक्षा के स्तर को सुधारने में काफी मदद मिल सकती है. सरकार इनसे सीधे संपर्क बनाये रखने के लिए एक अलग वेबसाइट भी चला सकती है जिसमें केवल छात्र छात्राओं को बिना अपने नाम का खुलासा किये अपने विद्यालय की समस्या बताने का अधिकार भी दिया जाये क्योंकि आज भी सरकार द्वारा शिक्षा पर इतना अधिक खर्च करने के बाद भी स्तर में सुधार होता नहीं दिखाई देता है. देश की भावी पीढ़ी से सीएम या पीएम के किसी भी तरह के संपर्क बनाने की हर कोशिश का स्वागत किया जाना चाहिए जिससे इस कदम कोऔर भी आगे तक बढ़ाया जा सके तथा सरकार और इस पीढ़ी के बीच संवाद को बढ़ाने की सही तरह से सभी कोशिशें की जा सकें.              
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