मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

कश्मीर पर फिर भारत पाकिस्तान

                                                      पाक से लगती लम्बी और विवादित सीमा और वास्तविक नियंत्रण रेखा के चलते जिस तरह से कश्मीर के कुछ लोगों पर सदैव से ही पाक का प्रभाव रहा करता है आज वह पूरी घाटी के साथ देश में माहौल को गर्माने का काम करने में लगा हुआ है. बंटवारे के समय से ही भारत पाक के बीच में कश्मीर एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में रहा है क्योंकि जिस घाटी तक पहुँचने के लिए आज़ादी के तुरंत बाद भारत के पास रास्ता तक नहीं बचा था उसे कबाइलियों के वेश में पाक ने अपने सैनिकों को भेजकर कब्ज़ा करने की पूरी कोशिश की थी क्योंकि तत्कालीन कश्मीर के राजा हरी सिंह यह निर्णय ही नहीं ले पाये थे कि भारत या पाक किसके साथ जाना है या फिर वे स्वतंत्र राष्ट्र ही बनना चाहते हैं जिसका दुष्परिणाम आज तक दोनों देशों की जनता के साथ कश्मीर घाटी के लोग भी भगत रहे हैं. इतिहास की दृष्टि से आज भी भारत में बहुत सारे लोग देश के उस विभाजन को गलत ही ठहराते हैं जबकि अब यह एक स्थापित सत्य है और इससे किसी भी तरह से दूर नहीं हुआ जा सकता है कश्मीर का बंटवारे ने उतना नुकसान नहीं किया था जितना पाक के कश्मीर हड़पने के प्रयासों ने कर दिया क्योंकि भारतीय सेनाओं ने वहां पर हरी सिंह के कहने पर ही अपने कदम रखे थे.
                            आज जब देश में भाजपा के नेतृत्व में राजग सरकार चल रही है तो उसके नेताओं द्वारा राष्ट्रीय और जम्मू में दिए गए बयानों के कारण ही उसे जम्मू कश्मीर की सरकार चलाने में इतनी समस्याएं देखनी पड़ रही हैं आज यदि कश्मीर में आतंकियों की पहुँच कम हुई है तो इसके लिए पिछली सरकारों के योगदान को कम करके नहीं आँका जा सकता है घाटी में समय समय पर होने वाली संगठित पत्थरबाजी की घटनाओं से सेना और पुलिस को निपटने में कितनी परेशानियां होती हैं यह सभी जानते हैं फिर भी केवल राजनीति के लिए ही भड़काऊ बयान देने से कोई भी पीछे नहीं रहता है. अस्सी के दशक में सर उठाने वाले आतंकवाद को कश्मीरी अलगाववादियों के समर्थन के बाद किस तरह से परिस्थितियां बदलती चली गयीं इस बात से कोई भी अनजान नहीं है आज कश्मीरी युवकों के सपनो को पूरा करने की आवश्यकता है क्योंकि इसके बिना किसी भी तरह से घाटी में ज़िंदगी को आसान नहीं किया जा सकता है इस्लाम के आधार पर धार्मिक बंटवारे की बात करने वाले यह भूल जाते हैं आज विश्व के अधिकांश इस्लामी देशों की जिहाद के कारण क्या हालत हुई पड़ी है फिर भी घाटी के चंद लोग आज भी पाक की हिमायत करने से बाज़ नहीं आते हैं.
                            कोई भी देश राष्ट्र या कौम जब सहिष्णुता के साथ जीना सीखती है तो वह दूसरों के दर्द को भी समझने लगती है पर आज सभी को केवल अपनी ही पड़ी हुई है, कश्मीर के लोगों को पिछले वर्षों की तरह कानून के अनुसार चलते हुए शांतिपूर्वक जीना है या अलगाववावदियों के सुरों में अपने सुर मिलाकर पूरी घाटी को विद्वेष की आग में झोंकना है यह अब पूरी तरह से उन पर ही निर्भर करता है. भारतीय सेना पर जिस तरह के अत्याचार के आरोप इन लोगों द्वारा लगाये जा रहे हैं उन्हें यह भी देखना चाहिए कि पाक सेना किस तरह से अपने ही कुछ प्रांतों में अातंकियों का सफाया करने में लगी हुई है भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज़िम्मेदार राष्ट्रों में गिना जाता है और भारतीय कश्मीर में उसके पाकिस्तानी हिस्से से स्थितियां बहुत ही बेहतर हैं यह पूरी दुनिया जानती है. यहाँ पर गलती मिलने पर बहुत बार सुरक्षा बलों के जवानों को भी सजा दी जा चुकी है जबकि पाक में केवल अराजकता का ही बोलबाला है. केवल धार्मिक आधार पर पाक से जुड़कर घाटी को क्या मिलने वाला है यह उसे भी अच्छी तरह से पता है पर कुछ नेताओं के रवैये के चलते आज कश्मीर में संभवतः आम लोग भी इस तरह की सोच के खिलाफ कुछ भी बोलकर अपने लिए समस्या नहीं बढ़ाना चाहते हैं जिससे घाटी की इन चंद आवाज़ों को ही पूरी घाटी की मानसिकता मान लिया जाता है.        
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