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बुधवार, 6 मई 2015

नेपाल भूकम्प - सहायता और स्वाभिमान

                               विनाशकारी भूकम्प आने के बाद अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रहे नेपाल के लिए विदेशों से अनियंत्रित और बेकार सामानों के साथ आने वाली मदद के बाद नेपाल सरकार को यह कहने पर मजबूर होना पड़ा है कि इस तरह से सहायता में पुराने कपडे और अनावश्यक सामान भेजने की व्यवस्था पर तुरंत रोक लगायी जानी चाहिए. भारत से बीरगंज पहुंची एक रेलगाड़ी में पुराने कपडे और अन्य बेकार के सामान को अनुपयोगी होने के कारण वहीं पर फ़ेंक दिया गया जिससे सहायता के स्वरुप पर चिंता करने की आवश्यकता महसूस हो रही है. केवल अख़बारों में फोटो छपवाने और खुद को पीड़ितों का मसीहा साबित करने में जुटे विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं के पास यह अपनी राजनीति चमकाने का एक और अवसर बन कर ही रह गया है. आज समय की आवश्यकता के अनुसार काम न करते हुए फालतू की सामग्री इकठ्ठा करने का कोई मतलब नहीं बनता है क्योंकि आपदा से पीड़ित और संकटग्रस्त किसी भी व्यक्ति का भी अपना एक स्वाभिमान होता है जिसके बारे में सहायता करने वाले हाथों को संवेदनशील होने की बहुत आवश्यकता है.
                            जिन वस्तुओं की नेपाल को आवश्यकता ही नहीं है देश में आपदा राहत के नाम पर उन्हें इकठ्ठा करने पर पूरी तरह से रोक लगायी जानी चाहिए जिससे आपदा राहत में अपनी दुकानें चलाने वाले लोगों को भी इस काम से रोका जा सके. पहले भी कई बार आपदा प्रबंधन में उचित सामंजस्य न होने के कारण इस तरह की समस्याएं सामने आती रही हैं फिर भी आज तक देश में सरकारी स्तर पर कोई स्पष्ट नीति नहीं बन पायी है जिसका दुष्परिणाम आज हमारे सामने हैं कि इकट्ठे किये गए पुराने कपडे खुले में फ़ेंक दिए गए हैं. आम लोगों को किसी भी आपदा पीड़ित के स्वाभिमान के बारे में सोचते हुए ही सहायता करने के बारे में आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि इस तरह की सहायता उन्हें आज यह लगने लगा है कि उनका उपहास ही उड़ाया जा रहा है संकट की इस घडी में हम सभी को अनजाने में भी इस तरह की किसी भी हरकत से बचने की हर संभव कोशिश करनी ही चाहिए जिससे किसी को भी हमारी सहायता के पहुँचने पर किसी भी तरह का मानसिक आघात न लगे. सहायता का स्वरुप भी ऐसा होना चाहिए जो किसी भी तरह से काम में आने वाला हो और पीड़ितों की समस्याएं बढ़ाने का कोई भी काम न करे.
                             देश में आपदाओं से लड़ने और आपदा पीड़ितों की मदद के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष मौजूद है तो हम सभी को इस बारे में आगे बढ़ते हुए अपनी किसी भी तरह की सहायता को पीएम के इस कोष में ही जमा कराने के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि देश की तरफ से चलाये जाने वाले किसी भी अभियान के लिए पीएम के स्तर से इस कोष का उपयोग किया जाता है. केवल धनराशि पहुँचने से जहाँ आपदाग्रस्त क्षेत्र की सही आवश्यकता को इस धन के माध्यम से पूरा किया जा सकता है वहीं किसी भी अनावश्यक वस्तु के आपदाग्रस्त क्षेत्र में पहुँचने की संभावनाएं भी समाप्त हो सकती हैं. इस बारे में यदि आवश्यक हो तो पीएम एक बार मन की बात या राष्ट्र के नाम अपने एक विशेष सन्देश में ऐसी अपील भी कर सकते हैं जिसमें आम लोग अपने क्षेत्र के किसी भी बैंक में जाकर अपनी सहायता राशि को सीधे राहत कोष में जमा करने की तरफ बढ़ सकें. आज भी बहुत सारे लोगों को यह पता ही नहीं है कि राहत के लिए आम जनता भी इस कोष में धनराशि जमा कर सकती है तथा नेटबैंकिंग का उपयोग करने वाले लोग सीधे खुद ही यह पैसा राहत कोष में भेज सकते हैं. देश के लोगों को इस बात के लिए जागरूक करने की आवश्यकता है क्योंकि जब तक पुनर्वास को केंद्रित नहीं किया जायेगा तब तक किसी भी तरह से सभी पीड़ितों तक पूरी मदद नहीं पहुँच पायेगी.   
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