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सोमवार, 22 जून 2015

राम माधव की मानसिकता

                                                  संघ की पृष्ठभूमि से भाजपा में राजनीति की कमान संभाल रहे नेताओं की तरफ से कई बार उस मानसिकता का खुला प्रदर्शन किया जा चुका है जिसमें उनकी तरफ से धार्मिक आधार पर नेताओं की आलोचना करना एक शगल के तौर पर शामिल है. विश्व योग दिवस को जिस तरह से विभिन्न विवादों के चलते धार्मिक आधार पर बांटने की कोशिशें की गयीं पर उनका वैसा परिणाम सामने नहीं आया जिसकी उम्मीद इन लोगों ने लगा रखी थी तो उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे हुए लोगों पर इसके माध्यम से हमला करने की कोशिश से पूर्व संघ प्रवक्ता और अब भाजपा के बड़े नेता राम माधव की मानसिकता का पता चल गया. संघ के नेता सदैव ही तथ्यों पर कमज़ोर रहा करते हैं और उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए राम माधव ने इस बार भी योग दिवस के कार्यक्रमों के लिए उप-राष्ट्रपति पर इसमें शामिल न होने के चलते खुला हमला किया जिससे यही पता चलता है कि संघ के लोगों में किस तरह से किसी भी बात के लिए कुछ भी बोल देना असामान्य बात नहीं है क्योंकि देश में उप-राष्ट्रपति का अपना एक प्रोटोकॉल होता है और वे चाहकर भी वे खुद को उससे अलग नहीं कर सकते हैं.
                                                 राम माधव का झूठ जैसे ही पकड़ा गया तो उन्होंने और बड़ा झूठ बोलना शुरू कर दिया और खुद उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पता चला है कि उप राष्ट्रपति बीमार हैं पर जब उप राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से राममाधव के बयानों पर स्पष्टीकरण आया तो उनके पास माफ़ी मांगने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं बचा था और उन्होंने खिसियाते हुए माफ़ी भी मांग ली. राममाधव और संघ से जुड़े किसी भी व्यक्ति को कभी भी देश की स्वतंत्रता और व्यवस्था हज़म ही नहीं होती है क्योंकि यह सभी को बराबरी का दर्ज़ा देने की बात किया करती है इसलिए स्थापित प्रोटोकॉल का उल्लंघन जितनी बेशर्मी के साथ ये लोग किया करते हैं और मामला उछलने पर उससे भी अधिक बेशर्मी से माफ़ी भी माग लिया करते हैं वैसी मिसाल कहीं और नहीं मिलती है. माधव ने राज्यसभा टीवी पर भी उप-राष्ट्रपति के अधीन होने के चलते यह आरोप लगाया कि उसने जनता के पैसों से चलने के बाद भी कार्यक्रम का पूरी तरह से बहिष्कार किया तो उस पर भी राज्यसभा टीवी के सीईओ गुरदीप सिंह ने चॅनेल पर योग से प्रसारित सभी कार्यक्रमों का ब्यौरा भी दे दिया और उन बातों को आधारहीन अफवाहें बताते हुए ट्वीट भी कर दिया. इसके बाद माधव जैसे ओछी मानसिकता वाले लोगों के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं बचा तो वे गायब हो गए.
                                     देश में इस तरह की बंटवारे की मानसिकता और राजनीति को आगे बढाकर संघ और माधव जैसे लोग आखिर क्या प्रदर्शित करना चाहते हैं क्योंकि उप-राष्ट्रपति पर गणतंत्र दिवस के आयोजन के बाद यह दूसरा बड़ा हमला है जिसमें उनको निशाने पर लिया गया है. यह सब संघ की एक सोची समझी मानसिकता के चलते ही किया जा रहा है क्योंकि वे इस तरह के मुद्दों पर आने वाले चुनावों में इस बात को प्रचारित करने से नहीं चूकने वाले हैं कि देश में रहकर भी कुछ लोग किस तरह से हिन्दुओं की भावनाओं का ध्यान नहीं रखते हैं ? इस बात के लिए हामिद अंसारी पर गलत तरीके से हमलावर होने के बाद भी संघ या भाजपा में कोई माधव से एक शब्द भी नहीं कहने वाला है जबकि इस बात का दुष्प्रचार बिहार चुनावों में संघ/ भाजपा द्वारा किया जायेगा कि हामिद अंसारी ने योग दिवस के कार्यक्रम में भाग नहीं लिया था. क्या इस तरह एक लोगों पर खुद मोदी कोई स्पष्ट कदम उठाने का साहस कर पायेंगें या इनके दम पर वे भी वोटों की संभावित फसल काटने की पूरी तैयारी कर चुके हैं ? खुद मोदी ने सत्ता सँभालने के बाद कई बार यह कहा है कि देश में किसी के साथ धार्मिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा तो राम माधव जैसे लोग इस तरह की बकवास करने के लिए कहाँ से शक्ति पा रहे हैं. अच्छा होता कि संघ अपनी शक्ति बयानबाज़ी में लगाने के स्थान पर मुंबई की समस्या से निपटने की कोशिश राम माधव जैसे लोगों से करवाता और जनता का कुछ भला भी करने की कोशिश करता.                
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