मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 4 जून 2015

मोदी, इंटरनेट और गूगल

                                                     देश के सञ्चालन में भले ही कम्प्यूटर की भूमिका को १९८४ में ही राजीव गांधी द्वारा पहचान लिया गया था और सबसे पहले उन्होंने ही इस तरफ सोचते हुए देश में आईटी सेक्टर की पहुँच व्यापक बनाने के लिए इस काम करने की आधारशिला रखी थी पर जब तक उस क्षेत्र में देश पूरी प्रगति की तरफ बढ़ पाता दुर्भाग्य से वे यह सब देखने के लिए नहीं थे. उनके इस तकनीक के पक्ष और उसके बेहतर उपयोग से आगे बढ़ने की सोच पर गुजरात के सीएम रहते हुए नरेंद्र मोदी ने पूरा अमल किया और आज भी वे दुनिया के नेट पर सर्वाधिक सक्रिय नेताओं में से एक हैं पर इसके साथ ही नेट पर उनको लेकर जिस तरह की बातें मौजूद हैं उनसे पार पाना किसी के बस की बात नहीं है और आज संभवतः भारत सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती ही है क्योंकि पिछले वर्ष एक आपत्तिजनक नाम के साथ उनकी फोटो दिखाई देती थी और आज कल सबसे ताज़ा मामले में यह सामने आ रहा है कि भारत के दस शीर्ष अपराधियों के बारे में गूगल पर खोजने से उनकी तस्वीर भी सामने आती दिखाई दे रही है.
                                    गूगल भले ही दुनिया भर में अपने को सर्वश्रेष्ठ सर्च इंजन के लिए बेहतर मानता हो पर एक वर्ष में दोबारा इस तरह का मामला सामने आया है जिससे यही पता चलता है कि या तो गूगल के सिस्टम में कुछ ऐसा भी है जिसे वे चाहते हुए भी रोक नहीं पा रहा है या फिर कुछ लोग जानबूझकर कुछ विशेष हैशटैग के साथ मोदी की तस्वीरें नेट पर उपयोग में ला रहे हैं जिसके चलते ही गूगल इस तरह के परिणाम दिखा रहा है. देश के पीएम के रूप में इस तरह के हैशटैग के साथ मोदी का शीर्ष अपराधियों की सूची में ट्रेंड करना तकनीक के उस पक्ष को भी दिखाता है जिसके चलते परिणाम उलटे पुल्टे भी हो सकते हैं. निश्चित तौर पर आज भी जानकारी के लिए लोग नेट पर गूगल पर सबसे अधिक भरोसा किया करते हैं पर आज भी जिस तरह से नेट के दुरूपयोग की संभावनाओं को रोक पाने में पूरी सफलता नहीं मिल पायी है यह उसका एक और भद्दा उदाहरण ही लगता है. क्या इस तरह के ट्रेंड को रोकने के लिए गूगल के पास कोई तकनीक है या फिर वो किसी भी तरह से इस तरह की गतिविधियों के माध्यम से इन पर नज़र भी रखने में सक्षम है इसका जवाब आज किसी के पास भी नहीं है.
                                     भारत सरकार को इस मामले को सख्ती के साथ गूगल के साथ उठाना चाहिए कि मोदी के बारे में अच्छी बुरी सभी बातें नेट पर मौजूद हैं तो आखिर किस तरह से उन्हें देश के शीर्ष दस अपराधियों कि श्रेणी में दिखाया जा रहा है ? यह काम गलती से हो रहा है या फिर इसके पीछे भी देश के अंदर और बाहर बैठी हुई देश विरोधी कुछ ताकतें मिलजुल कर काम करने में लगी हुई हैं गूगल अपने विस्तार के लिए आज भारत को अलग करने करके कुछ सोचने की स्थिति में नहीं है क्योंकि इस बड़े बाज़ार के लिए ही आज दुनिया के हर क्षेत्र में बहुत मार मारी मची हुई है. सीएम के रूप में मोदी के बहुत सारे कदम विवादस्पद रहे हैं और आज भी दुनिया में बहुत सारे लोग उन्हें संदेह की दृष्टि से ही देखते हैं पर उसका  मतलब यह नहीं है कि नेट का इस तरह से सुनियोजित दुरूपयोग कर देश के पीएम कि प्रतिष्ठा को इस तरह का मसला बनाया जाए. मोदी से देश में बहुत सारे लोग आज भी सहमत नहीं है पर जब वे भारत के पीएम के रूप में दुनिया के सामने हैं तो यह देश की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ मामला हो जाता है. मोदी से मतभेद होने का मतलब यह नहीं कि उनके पिछले कार्यों को लेकर देश के पीएम पर इस तरह से निशाना लगाने की कोशिशें की जाएँ अब समय आ गया है कि सरकार की तरफ से गूगल को इस तरह के किसी भी दुष्प्रचार से बचने की स्पष्ट सलाह और चेतावनी दे देनी चाहिए जिससे देश के पीएम की गरिमा घटाने के किसी भी दुष्प्रचार को समय रहते ही रोका जा सके.  
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