मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 8 सितंबर 2015

दिल्ली हवाई अड्डा और आपकलीन लैंडिंग

                                एक ही दिन में तीन विमानों में तकनीकी और रखरखाव से जुडी समस्याओं के सामने आने के बाद जिस तरह से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इनकी सकुशल लैंडिंग की व्यवस्था करायी गयी उससे भारत की इस क्षेत्र में कुशलता और दक्षता को ही बल मिलता है फिर भी देश में जिस तरह से हवाई यातायात दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है उस परिस्थिति में इस क्षेत्र को और भी निरापद बनाये जाने की दिशा में समुचित कदम उठाये जाने की आवश्यकता भी है. इस पूरे घटनाक्रम में जहाँ दो विमान एयर इंडिया के थे वहीं तीसरा विमान तुर्की एयरलाइन्स का था इनमें से तीनों ही मामलों में टेक ऑफ और लैंडिंग से जुड़े मसले ही सामने आये थे जिनमें दो के टायर गड़बड़ कर गए और एक विमान के लैंडिंग गियर में समस्या सामने आई थी. इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अच्छी बात यह रही कि सभी विमानों को सुरक्षित तरीके से उतार लिया गया और केवल खजुराहो-वाराणसी-दिल्ली सेवा में यात्रियों द्वारा दिखाई गयी अनावश्यक हड़बड़ी के चलते कुछ यात्रियों को मामूली चोटें आयीं जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी भी दे दी गयी.
                            विमानों के रख रखाव तथा उनके टेक ऑफ व् लैंडिंग से जुड़े महत्वपूर्ण मसलों पर वैसे तो एटीसी सख्त कदम उठता है पर इस तरह से एक दिन में ही तीन समस्याओं से सफलतापूर्वक जूझने से आईजीआई ने अपने सुरक्षित होने का सबूत भी दे दिया है. चूंकि दो मामले एयर इंडिया से जुड़े हुए हैं तो इसमें सरकार का दखल भी बढ़ने की सम्भावना है क्योंकि आज भी एयर इंडिया समस्या से जूझ रही है और यदि ऐसा किसी रख रखाव में कमी के कारण हुआ है तो यह बड़ी चूक हो सकती है इसलिए इस मामले की पूरी जांच भी करायी जानी चाहिए क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि जानबूझकर सार्वजनिक विमान सेवा की छवि ख़राब करने की कोई घटिया कोशिश भी कहीं न की जा रही हो ? सबसे बड़े बेड़े और बड़े मानव बल के बाद भी यदि रख रखाव में एयर इंडिया में कोई कमी दिखाई देती है तो वह निश्चित रूप से चिंता की बात तो है ही क्योंकि आज निजी क्षेत्र से उसे जिस तरह की चुनौतियाँ मिल रही हैं उनमें इस तरह से छवि को आघात पहुँचाने की किसी भी सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. भारतीय रेल सेवा के अधिकारी के इसके प्रमुख बनाये जाने के बाद यह पहली समस्या है जिसका सामना उन्हें करना ही है.
                            देश में हवाई यात्रा और भी अधिक सुरक्षित हो इस सम्बन्ध में दो मत नहीं हो सकते हैं और किसी भी आपातकालीन परिस्थिति के लिए हमारी ज़मीनी तैयारियों के मज़बूत होने का सबूत भी कल मिल ही गया है जिसे निरंतर और भी कुशल और दक्ष बनाने की आवश्यकता भी है. देश में बढ़ते विमान यात्रियों के चलते यह यात्रियों की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि वे उड़ान से सम्बंधित सभी नियमों का पालन करें क्योंकि अकसर यह देखा जाता है कि रनवे पर विमान के उतरते ही लोग खड़े होकर अपने सामान को निकलने की कोशिश करने लगते हैं जो किसी भी आपातकालीन स्थिति में उनको गंभीर चोटें भी पहुंचा सकता है. भारतीयों ने विमानों को भी बस या ट्रेन समझना शुरू कर दिया है जो कि सुरक्षा के हिसाब से चिंताजनक है यात्रियों को अपनी और सह यात्रियों की सुरक्षा के लिए दिए गए निर्देशों का पालन करना ही चाहिए जिससे किसी भी विपरीत परिस्थिति से आसानी से निपटा जा सके. यदि वाराणसी-दिल्ली सेवा के यात्रियों ने निर्देशों का अनुपालन किया होता तो संभवतः यात्रियों को मामूली चोटें भी नहीं आती क्योंकि केवल हड़बड़ी के चलते ही उन्होंने पहले खुद निकलने की आपाधापी मचाई जिससे स्थितियों को सँभालने में कुछ मुश्किलें सामने आई और कुछ लोगों को चोटें भी आयीं. सुरक्षित यात्रा केवल एक पक्षीय मुद्दा नहीं है इससे सभी को मिलजुलकर और भी सुखद बनाने की कोशिशें भी करनी चाहिए.  
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