मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

पाक - इस्लामी आतंक का पोषक

                         अपनी स्थापना के समय से ही भारत के लिए समस्या बने हुए पाक ने कभी भी सही राह पर चलते हुए दोनों देशों के बीच के संबंधों को सही करने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया है जिसके मूल में संभवतः पाक की वह मानसिकता है जो भारत को अपना प्रतिद्वंदी मानती है जबकि आज भी पाक यदि अपने यहाँ से भारत में चलने वाले कश्मीरी अलगाववादी को समर्थन और सहयोग देना बंद कर दे तो स्थितियों को सँभालने में कोई ख़ास समय नहीं लगने वाला है. दुर्भाग्य से आज़ादी के बाद से पाक के लोगों को नेताओं और सेना द्वारा कुछ इस तरह की घुट्टी पिलाई गयी है जिसमें उन्हें भारत अपना सबसे बड़ा दुश्मन दिखाई देता है और पाक के अनावश्यक रूप से सीमा पर तनाव बढ़ाने की कोशिशों के चलते आज भारत में भी पाक का नाम लेना एक समस्या ही है.
                    पाकिस्तानी टीवी चैनेल दुनिया को दिए गए एक बयान में वहां के पूर्व शासक परवेज़ मुशर्रफ ने जिस तरह से इस बात को स्वीकार किया है कि दुनिया भर के लिए आतंक का पर्याय बने हुए ओसामा, जवाहरी और अन्य आतंकी संगठन उनके हीरो हैं तो उसके बाद कुछ भी कहने सुनने के लिए शेष नहीं रह जाता है क्योंकि अभी तक पाक के वर्तमान या पूर्व शासक इस तरह की बातें खुलकर नहीं किया करते थे पर शायद मुशर्रफ अपने को एक तानाशाह के बाद राजनेता के रूप में किसी भी तरह से स्थापित करना चाहते हैं जिससे उनके द्वारा इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं.  अमेरिका को शुरू से ही यह सब पता है पर दक्षिण एशिया की सबसे मज़बूत ताकत भारत के लगातार बढ़ते हुए प्रभाव को रोकने और उसे स्थानीय समस्याओं में उलझाये रखने के लिए वह भी इन घटनाओं से आँखें मूंदे ही रहता है जिसका दुष्परिणाम वह ९/११ के रूप में भुगत भी चुका है.
                   पाकिस्तानी नेताओं की तरफ से ऐसे भारत विरोधी बयान सदैव ही दिए जाते रहे हैं पर पहली बार जिस तरह से मुशर्रफ ने कभी अमेरिका और दुनिया के लिए सरदर्द बने आतंकियों को पाकिस्तान का हीरो बताने की कोशिश की है वह पाक के घरेलू राजनैतिक दबाव की तरफ ही इशारा करती है. हालाँकि बाद में मुशर्रफ ने यह भी माना कि आज ये आतंकी संगठन पाक के लिए एक चुनौती बन चुके है और इनसे सख्ती से निपटा जाना भी ज़रूरी है तो शायद इस्लाम के नाम पर निर्दोषों रक्त बहाये जाने को लेकर भारत को महसूस होने वाली पीड़ा को वे भी महसूस कर रहे हैं. आतंकियों को केवल आतंक फैलाना है जहाँ गैर इस्लामिक लोग हैं वे वहां उनको मार रहे हैं और जहाँ केवल इस्लाम को मानने वाले हैं वहां वे फिरकों के आधार पर मुसलमानों को मारने में भी परहेज़ नहीं कर रहे हैं. फिलहाल तो पाक ऐसे दलदल में फँस चुका है जहाँ से निकलने के लिये जिस दृढ इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है वह शायद ही पाक में आ पाये।
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