मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 2 जनवरी 2016

आतंक और हवाई यातायात

                                                 पिछ्ले हफ्ते पाकिस्तान की औचक कही जाने वाली यात्रा के दौरान जिस तरह से मोदी और नवाज़ शरीफ के बीच दोस्ती दिखाई दे रही थी वह निश्चित तौर पर देश में सुरक्षा बलों के लिए नयी चिंताएं ही सामने लेकर आने वाली मानी जा रही थी क्योंकि अभी तक जब भी भारत-पाक के बीच किसी भी स्तर पर सम्बन्ध सुधारने की कवायद शुरू की जाती है तो पाक सेना और राजनीतिज्ञों द्वारा समर्थन पा रहे जेहादी आतंकी तत्वों की तरफ से उसे रोकने की पूरी कोशिश की जाती है. यदि कारगिल में मुशर्रफ ने अपनी हरकत न दिखाई होती तो समभवतः आज जम्मू कश्मीर के लिए कुछ सही और ठोस नीति पर दोनों देशों के बीच कोई समझौता हो गया होता. पंजाब के पठानकोट में जिस तरह से आज सुबह ३ बजे सीमा पार से आये आतंकियों द्वारा हमला किये जाने और दो आतंकियों को मारे जाने की ख़बरें सामने आ रही हैं उससे यही लगता है कि एलओसी और कश्मीर में बर्फ पड़ जाने से आतंकियों के निशाने पर इस बार पंजाब और जम्मू क्षेत्र के साथ देश के अन्य हिस्से भी आ सकते हैं. हमारे एयरबेस तो सैनिकों से लैस होते हैं फिर भी आत्मघाती आतंकी वहां पर हमला करके यही दिखाने का प्रयास करते हैं कि वे देश की सुरक्षित समझी जाने वाली जगहों तक मार कर सकते हैं.
                                       संसद के शीतकालीन सत्र में जिस तरह से ट्रांसपोर्ट, ट्रेवल और टूरिज्म पर गठित संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में देश के २० अति-संवेदनशील/ संवेदनशील हवाई अड्डों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की है वह निश्चित तौर पर बहुत ही गंभीर बात है क्योंकि इनमें किसी भी हवाई अड्डे पर सामान्य सुरक्षा व्यवस्था और सुरक्षा के जो भी उपकरण लगाये गए हैं वे भी ठीक ढंग से काम करते हुए नहीं पाये गए हैं. केंद्र सरकार को इस बारे में गंभीरता से सोचने की आवश्यकता भी है क्योंकि बड़े हवाई अड्डों तक पहुँचने के लिए आतंकी इन छोटे हवाई अड्डों का दुरूपयोग कभी भी कर सकते हैं. कंधार जैसी घटनाएँ रोज़ ही नहीं होती हैं पर सरकार के स्तर से होने वाली लापरवाही और चूक को सही भी नहीं ठहराया जा सकता है. भले ही हमारे ये हवाई अड्डे कम उपयोग में ही रहा करते हैं पर इनके स्तर पर किसी भी सुरक्षा से जुडी चूक हमारे किसी भी बड़े हवाई अड्डे को कभी भी खतरे में पहुंचा सकती है इसलिए संसदीय समिति की इस रिपोर्ट पर सरकार और गृह मंत्रालय को शीघ्र ही कदम उठाने के बारे में सोचना ही होगा.
                        आतंकियों की मंशा भारत जैसे देश में पूरी तरह से भाँपी नहीं जा सकती है क्योंकि खाड़ी देशों को जाने वाले भारतीय कामगारों को पाकिस्तान अपने जिहाद में शामिल करने की पूरी कोशिश करता है उनमें से कुछ पर इसका प्रभाव भी हो जाता है पर भारत के स्तर पर चूक करने को घातक ही माना जाना चाहिए. देश जब हर तरफ से आतंकियों के अघोषित हमले के संकट का सामना कर रहा है तो उस स्थिति में हमारी तैयारियां तो पूरी होनी ही चाहिए. देश में बढ़ते हुए एयर ट्रैफिक को देखते हुए अब यह सोचने का समय है कि किसी दूर दराज़ के हवाई अड्डे पर कोई घटना नहीं हो सकती है अपने आप में एक रणनीतिक चूक ही है. मोदी सरकार जिस तरह से हवाई यातायात को बढ़ावा देने की हर संभव कोशिशें कर रही है तो उस स्थिति में अब इनकी सुरक्षा के बारे में सोचने की ज़िम्मेदारी भी उस पर ही आती है. अभी तक हुई विभिन्न आतंकी घटनाओं के बाद देश ने उनसे निपटने में बहुत महारत हासिल कर ली है पर अभी भी हम पूरी तरह से सुरक्षित हो चुके हैं यह नहीं कहा जा सकता है. अब इस समस्या और चुनौती पर ध्यान देते हुए हमें सही दिशा में कदम उठाते हुए इनको सुरक्षा की दृष्टि से पूरी तरह से निरापद करने की कोशिश करनी ही होगी.  
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