मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 20 अगस्त 2016

वाट्सएप- नियम, कानून और समाज

                                                           देश में बढ़ते हुए इन्टरनेट के चलन के बाद जिस तरह से छोटे छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी सोशल मीडिया का चलन तेज़ी से बढ़ता ही जा रहा है वह भारत जैसे बहुलतावादी संस्कृतियों के वाहक परंतु कुछ मामलों में बेहद संवेदनशील समाज के लिए जिस तरह से समस्याएं भी उत्पन्न कर रहा है उससे निपटने के लिए हमारे पास अभी सम्पूर्ण तंत्र नहीं है. जैसा कि हम आम भारतीयों की यह पहचान ही रही है कि कुछ मामलों में हम अचानक से ही बेहद उदार हो जाते हैं पर कुछ मामलों में हमारे स्तर से इतनी छोटी बातों को लेकर इतने गंभीर विवादों को जन्म दे दिया जाता है जो समाज में बंटवारे तक की स्थिति भी पैदा कर देता है. वाट्सएप के नाम पर जिस तरह से अपने आसपास के लोगों को प्रभावित किये बिना हम संदेशों के माध्यम से ही कितनी आसानी से आपस में विचार विमर्श कर लेते हैं उसकी सहजता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आम भारतीय भी शहरों से लगाकर दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों तक में अपने आप को इस मंच से जोड़ चुका है पर इसके साथ ही इस मंच का दुरूपयोग किये जाने की सूचनाएं भी लगातार सामने आती जा रही हैं और कुछ स्थानों पर यह कानून व्यवस्था को बिगाड़ने और प्रशासन के लिए नयी तरह की चुनौतियों को सामने लाने वाला भी वाला भी साबित हुआ है .
                मध्य प्रदेश में इस तरह के विवाद सामने आने पर वहां पुलिस मुख्यालय की तरफ से वाट्सएप से जुड़े लोगों के लिए कुछ दिशा निर्देश जारी किये गए हैं वे कानूनी तौर पर कितने सही हैं यह अलग विषय है पर समाज में इस मंच का कैसे दुरूपयोग हो रहा है इस बात को रेखांकित करने के लिए यह सबसे उपयुक्त भी है. कोई भी एडमिन अब सदस्य को पूर्व अनुमति लिए बिना समूह में नहीं जोड़ सकता है साथ ही वह अचानक से किसी को भी समूह से निकाल भी नहीं सकता है क्योंकि यदि एडमिन की तरफ से ऐसा कदम उठाया जाता है तो निकाला गया व्यक्ति कोर्ट में मानहानि का मुक़दमा भी दर्ज करा सकता है. समूह के सदस्य के रूप में हर व्यक्ति की ज़िम्मेदारी होगी कि विवादित बातें पोस्ट किये जाने पर उनकी तरफ से उस पर आपत्ति भी जताई जाए क्योंकि यदि कोई सदस्य उस पर चुप रहता है तो इसे उसकी स्वीकृति के रूप में ही माना जायेगा और वह भी कानूनी दायरे में आ सकता है. जम्मू कश्मीर में आये दिन होने वाले पथराव के बाद से ही वहां वाट्सएप पर इनको शेयर किये जाने के बाद समूह के सदस्यों से जब पूछा गया तो उन्होंने यह कहकर पीछा छुड़ाया कि उन्हें बिना पूछे ही इसमें जोड़ लिया गया था जिसके बाद वहां पर अब इससे सम्बंधित कड़े कानून लागू कर दिए गए हैं.
               वाट्सएप में एन्क्रिप्शन के आने के बाद से सुरक्षा एजेंसियों के लिए इस चुनौती से निपट पाने में और भी समस्याएं सामने आने लगी हैं क्योंकि एन्क्रिप्शन के चलते अब भेजे जा रहे संदेशों के बारे में जान पाना भी बहुत कठिन हो गया है हालाँकि विभिन्न देशों और भारत में भी इस बारे में चिंताएं व्यक्त किये जाने के बाद भी अभी तक वाट्सएप की तरफ से कोई समुचित उत्तर नहीं दिया गया है. भारत जैसे देश में जहां किसी भी सुविधा का कानूनों के होते हुए भी दुरूपयोग करना बहुत आसान है तो इस तरह से एन्क्रिप्शन वाले संदेशों का किस हद तक दुरूपयोग किया जा रहा होगा यह आसानी से समझा भी जा सकता है. अच्छा हो कि समाज खुद इस तरह से इंटरनेट के माध्यम से सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों का सामना करने की दिशा में सोचना शुरू कर दे तभी कानून व्यवस्था के साथ सामाजिक समरसता को भी सही रखा जा सकता है. बीमार मानसिकता वाले लोगों की हर समाज में अच्छी खासी हिस्सेदारी होती है और उनके चलते बहुत बार पूरे समाज को उसका खामियाज़ा भुगतना भी पड़ता है. इन लोगों से अपने आसपास के माहौल को सही रखने के लिए हमें खुद ही जागरूक होना होगा क्योंकि जब तक आम भारतीय समाज में छिपे इन लोगों से किनारा नहीं आएगा तब तक इनकी शक्ति को और भी बल मिलता चला जाएगा.      
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी: