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शनिवार, 26 अप्रैल 2014

गायब वोटर ज़िम्मेदार कौन ?

                                               मुंबई और ठाणे जैसी जगहों पर जिस तरह से मतदान करने पहुंचे लोगों के नाम मतदाता सूची से गायब पाये गए उससे यही लगता है कि मतदाता जागरूकता अभियान में किसी भी तरह से निजी क्षेत्र की भागीदारी की अनुमति भी नहीं होनी चाहिए क्योंकि इस बार मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने हर स्तर पर व्यापक तैयारियां की हैं. जिस तरह से अभी तक मिली प्राथमिक सूचनाओं में ही इन क्षेत्रों से लाखों लोगों के नाम वोटर लिस्ट से गायब पाये गए हैं उससे चुनाव आयोग पर सवाल उठने भी जायज़ हैं क्योंकि यह सारा काम उसकी देखरेख में ही होता है फिर भी उसके पास काम करने के लिए केवल राज्य सरकार की मशीनरी ही होती है जिसके माध्यम से वोटर लिस्ट समेत पूरे चुनाव का काम कराया जाता है. ऐसे में केवल चुनाव आयोग को ही इसके लिए ज़िम्मेदार बताये जाने से मामला हल नहीं होने वाला है और आने वाले समय के लिए कुछ ऐसे प्रयास अवश्य ही करने होंगे जिससे देश के किसी भी दुसरे हिस्से में ऐसी समस्या दोबारा सामने न आने पाये.
                                            सामान्यतया चुनाव आयोग हर चुनाव से पहले मतदाता सूची में एक निर्धारित कार्यक्रम के अंतर्गत संशोधन का एक वृहद अभियान चलाता है जिसके अंतर्गत यह मतदाता की ज़िम्मेदारी होती है कि वह सही सूचनाओं के आधार पर अपने मतों को सूची में देखने के साथ किसी भी तरह की त्रुटि के लिए भी शिकायत कर सके जिससे उसे संशोधित भी किया जा सके. इस पूरे काम में जिस तरह से आम लोगों और राजनैतिक दलों की सहभागिता होने चाहिए वह देश में नहीं दिखाई देती है जिससे भी कई बार इन सूचियों में गड़बड़ियों की शिकायत सामने आती रहती है. देश के विशाल स्वरुप को देखते हुए चुनाव आयोग के पास ऐसा कोई तंत्र नहीं ही जिसके माध्यम से वह हर जगह की सूचियों पर निगरानी रख सके इसीलिए वह सूची के संशोधन के लिए एक पूरा अभियान चलाने में लगा रहता है जिससे बहुत अच्छे परिणाम भी सामने आते हैं पर इस तरह से पिछली सूची से गायब हुए मतदाताओं की समस्या से पहली बार ही आयोग को दोचार होना पड़ा है.
                                          जिन क्षेत्रों में सूचियों में व्यापक रूप से नाम गायब पाये गए हैं वहां के जिलाधिकारी समेत चुनाव ड्यूटी में लगे हुए सभी लोगों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर त्वरित जांच किये जाने की आवश्यकता है क्योंकि यह केवल किसी लापरवाही के कारण हुआ है या इसके पीछे किसी की सोची समझी रणनीति है इस बारे में जानना बहुत ही आवश्यक भी है क्योंकि इसी तरह से आने वाले समय में मतदाताओं के नाम सूची से इसी तरह से गायब किये जा सकते हैं. एक बड़ा सवाल कि क्या हम जन सामान्य अपने अधिकारों के लिए जागरूक भी रहा करते हैं या जो कुछ भी अपने आप होता रहे उसी में हम संतुष्ट होकर बैठ जाया करते हैं ? पूरे देश की बात यदि ना भी की जाये तो काम से काम मुंबई और ठाणे जैसे अधिक शिक्षित क्षेत्र के किसी भी गायब मतदाता या राजनैतिक दल ने भी इस गड़बड़ी को सूचियाँ प्रकाशित किये जाने के बाद क्यों नहीं चेक किया ? आयोग को पूरे देश का काम देखना होता है और वह ईमानदारी से काम करता है पर क्या हम नागरिक इसके लिए आयोग की मदद करना चाहते हैं ? इस मसले पर किसी भी राजनैतिक दल को बोलने का हक़ नहीं है क्योंकि जब सूचियाँ प्रकाशित की गयीं तो ये सब कहाँ थे और तब क्या इन्होने सूचियों को देखने की कोशिश की थी आज चुनाव आयोग पर निशाना लगाने वालों को अपने अंदर भी झांक कर देखना चाहिए क्योंकि आयोग देश की एक मज़बूत संवैधानिक संस्था है.
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