मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 7 अप्रैल 2014

चुनाव प्रभावित करने के नए तरीके

                                                              देश में बढ़ते स्मार्ट फ़ोन उपभोक्ताओं के कारण जहाँ इस बार चुनावों में कई नए तरह के प्रयोग किये जा रहे हैं वहीं कुछ लोग व्हाट्स एप के माध्यम से अपने हितों को गलत तरीके से साधने में लगे हुए हैं. सोशल मीडिया के द्वारा प्रचार करने वालों के लिए भी चुनाव आचार संहिता में स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किये गए हैं फिर भी कुछ लोग इसके माध्यम से कुछ न कुछ अनैतिक काम करने में लगे हुए हैं. इस बारे में पुलिस और प्रशासन भी कुछ ख़ास तब तक नहीं कर सकते हैं जब तक उनके पास कोई उचित ढंग से शिकायत न पहुंचे और जो लोग इस तरह के काम में लगे हुए हैं वे बहुत ही सोच समझ कर केवल अपने ख़ास लोगों तक ऐसी पहुँच बनाने में लगे हुए हैं. देश का कानून किसी भी मीडिया का उचित प्रयोग करने की छूट सभी को देता है पर इस तरह से कुछ लोग उस छूट का नाजायज़ लाभ भी उठाने से नहीं चूकते हैं जिससे नयी तरह की समस्याएं सामने आ जाती हैं.
                                                      यहाँ पर सवाल यह उठता है कि फिलहाल किस तरह से इस सब को रोकने के प्रयास किये जाएँ और आने वाले समय में किसी भी तरह से इसके दुरूपयोग को रोकने की कवायद भी की जा सके क्योंकि सामान्य रूप से प्रचार करने से कोई अन्तर नहीं पड़ता है पर जब इसके माध्यम से भावनाएं भड़काने का काम शुरू कर दिया जाता है तो परिस्थितियां नियंत्रण से बाहर होने में समय नहीं लगता है. देश के नेता तो अपने क्षणिक लाभ के लिए सामाजिक दुर्भावना और विद्वेष के फैलने का भी ध्यान कई बार नहीं रखते हैं और जिस तरह से वोटों के ध्रुवीकरण से जिन दलों का परिस्थिति विशेष में लाभ होता है तो वे भी सब कुछ जानते हुए भी चुप रहकर अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने का काम करते रहते हैं. देश को ऐसे नेताओं की कितनी आवश्यकता है यह सब देश की जनता पर ही निर्भर करता है क्योंकि जब भी कोई बड़ी घटना होती है सम्बंधित दल उसके लाभ के अनुसार काम करना शुरू कर देते है.
                                                     एक नागरिक और वोटर के रूप में हम आखिर क्या कर सकते हैं और ऐसे किसी विद्वेष भरे सन्देश के आने पर आखिर हमारे पास क्या रास्ते भी शेष बचते हैं यह भी सोचने का विषय है. खुले तौर पर कोई भी किसी विद्वेष फ़ैलाने वाले सन्देश का समर्थन नहीं करता है पर अपने खास लोगों को वह सन्देश भेजने में वह भी किसी तरह की देरी भी नहीं करता है जिससे इस सामाजिक विद्वेष को फ़ैलाने की एक कड़ी के रूप में वह भी उन समाज विरोधी तत्वों से जुड़ जाता है. सबसे पहले हमें अपने मित्रों को इस तरह के संदेशों को भेजने से ही हतोत्साहित करना चाहिए और किसी अनजान नम्बर से आने वाले किसी भी सन्देश को भी पूरी तरह से अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि किसी समस्या के आने पर जब पूरी व्यवस्था को फिर से खंगाला जायेगा तो उसमें सन्देश प्राप्त करने वालों की सूची में हमारा नाम भी दिखायी देने लगेगा. अच्छा हो कि इस तरह के संदेशों को आगे बढ़ने के स्थान पर रोकने का काम किया जाये और किसी अजनबी द्वारा भेजे गए किसी भी आपत्तिजनक सन्देश की शिकायत ज़िला निर्वाचन अधिकारी तक अवश्य ही पहुंचनी चाहिए क्योंकि हमारे मौन को वे स्वीकृति के रूप में भी ले सकते हैं.        
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