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बुधवार, 22 अप्रैल 2015

सब्सिडी क्षेत्र में सुधार

                               देश में विभिन्न तरह की सब्सिडी को अधिक तार्किक बनाने के लिए किये जाने वाले उपायों को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कुछ नए उपाय किये जाने की सम्भावनांएं सामने आती दिखाई दे रही हैं. यह सही है कि पिछले कुछ दशकों में देश के आर्थिक परिदृश्य में बड़े परिवर्तन हुए हैं और उसके बाद से ही लोगों की आमदनी में बड़ा बदलाव हुआ है इस सब के बीच जहाँ सरकार पर बढ़ती हुई आबादी और संसाधनों की सीमित उपलब्धता के चलते दबाव बढ़ा है वहीं पिछले कुछ वर्षों में सब्सिडी के मोर्चे पर किये जाने वाले संगठित भ्रष्टाचार ने सरकार और उपभोक्ताओं की समस्याओं को हर स्तर पर बढ़ाने का ही काम किया है. अब इस पूरे प्रकरण से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने वाणिज्य, कृषि, खाद्य एवं उर्वरक मंत्रालयों के साथ मिलकर जिस तरह से सब्सिडी के मोर्चे को और भी सही करने के बारे में विचार करना शुरू किया है वह देश के लिए बहुत अच्छा साबित होने वाला है.
                          अब जब देश में अधिकांश लोगों के पास बैंक में खाते उपलब्ध हो गये हैं तो इन खातों के माध्यम से विभिन्न सरकारी योजनाओं के सफल सञ्चालन और सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी में व्याप्त कमियों को दूर करते हुए आगे बढ़ा जा सकता है. आज भी खाद और उर्वरकों पर जितनी बड़ी मात्रा में सरकार सब्सिडी देती है  उसका सही लाभ किसानों तक नहीं पहुँच पाता है क्योंकि संगठित भ्रष्टाचार के चलते सब्सिडी वाली खाद की दुकानों में खाद समय होने पर उपलब्ध ही नहीं होती है और प्रति वर्ष सरकार के लिए उसकी समुचित उपलब्धता बनाये रखना एक बड़ी चुनौती होती है. सरकार के सब्सिडी देने के प्रयासों के बाद भी किसानों को उसका लाभ नहीं मिल पाता है जिससे कहीं न कहीं देश की आर्थिक और कृषि प्रगति पर बुरा असर पड़ता है. आने वाले समय में जब खाद और उर्वरक की सब्सिडी को भी पूरी तरह से किसानों के खातों में पहुँचाने की व्यवस्था को भी सुचारू रूप से शुरू कर लिया जायेगा तब सरकार की इस मद में भी बहुत बड़ी बचत होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
                       इन बड़े मदों के अतिरिक्त आज गरीबों को सस्ता केरोसिन के नाम भी सरकार बहुत अधिक धन सब्सिडी के रूप में प्रतिमाह जारी किया करती है और संभवतः इस क्षेत्र में सबसे अधिक भ्रष्टाचार है जो कि सरकार गरीबों और पर्यावरण को एक साथ ही नुकसान पहुँचाने का काम किया करता है। आज देश में लगभग हर क्षेत्र में केरोसिन को डीज़ल व पेट्रोल में मिलाने का काम व्यापक स्तर पर चल रहा है जिसे स्थानीय नेताओं, प्रशासन और पुलिस के साथ तेल विपणन कंपनियों का भी संरक्षण मिला रहता है. यदि केरोसिन की सब्सिडी को भी गैस की तरह अविलम्ब खातों में भेजने की व्यवस्था कर ली जाये या उसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने की नीति बनायी जा सके तो आने वाले समय में सरकार की बहुत बचत हो सकती है क्योंकि आज केरोसिन से सरकार को बहुत नुकसान हो रहा है. इसके साथ ही वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देने और पर्यावरण को सही रखने के उपाय के तौर पर जिन घरों में घरेलू गैस है उनको केरोसिन के स्थान पर सोलर लालटेन उपलब्ध करने के बारे में सोचा जाना चाहिए क्योंकि सरकार जिस धन को प्रतिमाह सब्सिडी के रूप में देती है यदि उसे चरण बद्ध तरीके से खत्म करते हुए उपभोक्ताओं को केवल लागत पर ही सोलर लालटेन उपलब्ध करा दे तो सभी को आसानी हो सकती है. प्राथमिकता के आधार पर केरोसिन से मुक्ति का अभियान चलाये जाने की बहुत बड़ी आवश्यकता आज सबके सामने आ चुकी है जिस पर अब सरकार को निर्णय लेना है.
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