मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 9 जून 2015

डिजिटल इंडिया नया स्वरुप

                                        देश में फ्री में मिलने वाली चीजों के लिए भारतीयों की दीवानगी किस हद तक है यह राजनीति में भी दिखाई देता है इस मामले में सबसे ताज़ा उदाहरण युवाओं में तेज़ी से बढ़ते हुए फ्री वाईफाई का भी है जो पिछली बार दिल्ली विधान सभा चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बनकर भी उभरा और माना जाता है कि इसने भी आप की सरकार बनवाने में बड़ी भूमिका निभायी थी. यदि राजनीति से इतर देखा जाये तो पिछली संप्रग सरकार ने भी कुछ इसी तरह एक प्रयासों के साथ पूरे देश को तीव्र गति के ब्रॉडबैंड से जोड़ने के लिए भारत ब्रॉडबैंड सेवा के बारे में काम करना शुरू किया था जिसे आज राजग सरकार भी डिजिटल इंडिया के नाम से पूरी तेज़ी के साथ आगे बढ़ाने में लगी हुई है. सरकारी स्तर पर जहाँ बहुत सारी औपचारिकताएं पूरी करने में लम्बा समय लगता है और महत्वपूर्ण परियोजनाएं अपनी समय सीमा में पूरी नहीं हो पाती हैं वहीं निजी क्षेत्र में इस तरह से सीमित संसाधनों के साथ किये जाने वाले प्रयास कम समय में ही शुरू हो जाते हैं और यदि इसमें निर्णय कुछ लोगों को ही लेना हो तो बात बहुत जल्दी ही बन सकती है.
                                      एमपी के साथ युवाओं ने आईएम फ्री वाईफाई सेवा को शुरू करने का सपना २०१४ में देखा था और आज शहर के दो महत्वपूर्ण स्थानों पर उनके द्वारा इस सेवा को लगभग सात हज़ार लोगों को उपलब्ध कराने की बात कही जा रही है जो कि आने वाले समय में शहर के लगभग हर महत्वपूर्ण स्थान पर इस सेवा को उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रहे हैं. आने वाले समय में उनकी यह परियोजना लगभग साठ हज़ार लोगों के लिए प्रतिदिन वाईफाई उपलब्ध कराने का काम करने वाली है. अभी उनकी तरफ से जो ढांचा बनाया गया है उसमें एक स्थान पर एक साथ लगभग पचास लोगों को १ एमपीबीएस की स्पीड दिए जाने की बात कही जा रही है तथा जिस योजनाबद्ध तरीके से इस सेवा के प्रायोजक आगे बढ़ने में लगे हुए हैं उससे आने वाले समय में उनको स्थानीय स्तर पर प्रायोजक भी मिलने लगे हैं जिससे इस सेवा को लगातार फ्री में उपलब्ध कराने की उनकी योजना तेज़ी से आगे भी बढ़ सकती है क्योंकि जब इसका वित्तीय प्रबंधन सही तरह से होने लगेगा तो आने वाले समय में यह आर्थिक रूप से मजबूत होकर अपने आप चलने की स्थिति में भी आ जाएगी.
                                 इस तरह के प्रयोगों के साथ क्या सरकार कोई कदम भी उठा सकती हैं जिससे उस पर संसाधनों का बोझ कम पड़े और जनता के लिए इस तरह की सुविधाओं को आसानी से उपलब्ध कराया जा सके ? यदि सरकार अपने स्तर से इस तरह की परियोजनाओं को विभिन्न शहरों में लागू करने के लिए शुरुवाती तैयारी में लगने वाले उपकरणों और आवश्यक धन की उपलब्धता युवाओं को कराने की योजना बना सके तो आने वाले समय में एक तरफ जहाँ देश में डिजिटल सेवाओं को सुधारा जा सकता है वहीं निजी क्षेत्र द्वारा काम सँभालने से स्थानीय स्तर पर रोज़गार को भी बढ़ावा मिल सकता है. बड़े सपने देखने वाले और तकनीकी रूप से शिक्षित युवाओं के लिए अपने ही शहरों में इसके माध्यम से एक नया रोज़गार सृजन करने की दिशा में काम किया जा सकता है सरकार अपने संसाधनों से इन लोगों को बेहतर नेट कनेक्टिविटी शुरुवात में रियायती दरों पर उपलब्ध करा सकती है या इसके लिए साझा रूप से लाभ में बंटवारे पर भी विचार किया जा सकता है जिससे देश के सार्वजनिक उपक्रम बीएसएनएल और बीबीएनएल को भी अधिक सक्रिय किया जा सकता है. निश्चित है कि लाभ का सौदा होने के चलते इसमें निजी क्षेत्र की कंपनियां भी आगे आना चाहेंगीं जिससे निपटने के लिए सरकार को अभी से सकारात्मक परिवर्तन के बारे में विचार करना चाहिए.  
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