मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 14 अक्तूबर 2015

दादरी और भाजपा

                                 दादरी कांड के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार की आलोचना होने के बाद जिस तरह से भाजपा के नेताओं के बयानों में परिवर्तन देखा जा रहा है उससे यही लगता है कि मोदी सरकार ने इस वास्तविकता को स्वीकार कर लिया है कि भारत के समग्र विकास के लिए सामाजिक सद्भाव विचारों और बयानों के अतिरिक्त धरातल पर भी होना आवश्यक है. हालाँकि देखा जाये तो यह पूरी तरह से भारत का अंतरिक मामला ही है पर आज खुद मोदी सरकार विभिन्न कारणों के चलते सुस्त पड़ी भारतीय अर्थ व्यवस्था को तेज़ करने की कोशिशों में लगी हुई है इस तरह की परिस्थितियों में उसके इस तरह के किसी भी लक्ष्य को साधना मुश्किल ही होने वाला है. एक सवाल के जवाब में रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन भी इस मुश्किल की तरफ इशारा कर चुके हैं कि इस माहौल में देश की अर्थव्यवस्था अपेक्षित गति नहीं पा सकती है जो कि खुद मोदी सरकार के लिए एक बड़ा लक्ष्य बना हुआ है.
                       भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी लगभग तीन हफ़्तों के बाद इस वास्तविकता को समझते हुए संभवतः पीएम मोदी के कहने पर ही दादरी कांड पर कड़ा बयान दिया है जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से इसे राज्य का मामला बताते हुए राज्य की सपा सरकार को निशाने पर लिया है और यह भी कहा कि इस मामले के दोषियों को भी कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इस मुद्दे पर यदि केंद्र गंभीर है तो उसे राज्य सरकार के इस तरह के किसी भी मामले से निपटने के तरीकों के बारे में कोई कमी होने पर उसे आवश्यक दिशा निर्देश भी जारी चाहिए जिससे देश और राज्य की जनता को यह एहसास हो सके कि केंद्र उनके लिए वास्तव में चिंतित है. यह सारा मामला केवल राज्य सरकार पर छोड़ देने से सही नहीं किया जा सकता है क्योंकि भले ही भाजपा किसी भी स्तर पर कोई बयान क्यों न दे उसे भी पता है कि इस तरह के माहौल में अंतिम रूप से सबसे अधिक राजनैतिक लाभ उसे ही होने वाला है जिसे उसके किसी भी नेता की तरफ से छोड़ा नहीं जा सकता है.
                    हो सकता है कि आने वाले समय में खुद पीएम भी इस मुद्दे कुछ ठोस बयान दे दें क्योंकि इस चुप्पी को देश और दुनिया में देखा और समझा जा रहा है संभवतः इसीलिए एक रणनीति के तहत अमित शाह से ऐसा बयान दिलवाया गया है जिसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यह कहा जा सके कि सत्ताधारी दल का यह आधिकारिक बयान ही है. आज के समय में अमित शाह और नरेंद्र मोदी भले ही दो अलग अलग व्यक्ति हैं पर राजनैतिक गलियारों में इनके बयानों को दोनों की सहमति के रूप में ही देखा जाना चाहिए. भाजपा के विवादित विधायक संगीत सोम की प्रभावित गाँव की यात्रा को गलत मानते हुए अमित शाह ने एक तरह से उनको और उनके जैसी विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले लोगों को भी यह सन्देश दे ही दिया है कि संभवतः आने वाले समय में भाजपा इस तरह की बातों को इस हद तक बर्दाश्त न करे. सोम की यात्रा को राहुल गांधी,अरविन्द केजरीवाल और असदुद्दीन ओवैसी की यात्रा से जोड़कर अमित शाह ने अंत में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उनकी धर्म के नाम पर इस तरह की राजनीति में ज़मीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं दिखाई देने वाला है भले ही वे कैसे भी बयान देते रहें. 

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