मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 13 अप्रैल 2014

राहुल-नरेंद्र टीवी पर जनता के सामने

                                                               एक ही दिन जिस से कॉंग्रेस और भाजपा के मुख्य प्रचारक राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के साक्षात्कार टीवी पर आये वे भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत ही शुभ संकेत हैं क्योंकि आज जब देश के सामने मुद्दों की कमी नहीं है फिर भी हर चुनाव से पहले नेता एक दूसरे पर व्यक्तिगत हमले करने से भी नहीं चूकते हैं और देश के उन गंभीर मुद्दों को कहीं पीछे छोड़ दिया करते हैं. इस चुनाव में जिस तरह से भाजपा की तरफ से मोदी को आगे किया जा रहा था तो शुरू में लगा की इस बार के चुनाव बहुत ही अच्छे माहौल में होने वाले हैं क्योंकि मोदी केवल विकास के नाम और गुजरात मॉडल पर ही वोट मांगेंगें पर जैसी जैसे चुनाव अपने रंग में आना शुरू हुआ तो मोदी इन भी भारतीय नेताओं के उन्हीं चरित्रों को उजागर किया जिनको वे चुनावों के समय किया करते हैं जिससे पूरे चुनाव में एक बार फिर से व्यक्तिगत हमलों का नया दौर शुरू हो गया जिससे बचने की किसी भी सम्भावना को हमारे नेताओं ने मिलजुलकर ही समाप्त कर दिया.
                               एक तरफ राहुल को उनके समर्थक सबसे बड़ा नेता मानते हैं तो दूसरी तरफ नरेंद्र समर्थकों को वे सर्वगुण संपन्न लगते हैं यह सही है कि समर्थकों की अपनी भाषा और विचार हुआ करते हैं पर समर्थक किस तरह से व्यवहार करें यह नेताओं पर ही निर्भर करता हैं क्योंकि जब तक नेताओं की तरफ से घटिया बयानों की अनदेखी की जाती रहेगी तब तक कुछ भी सुधरने वाला नहीं है. इसके लिए सभी पार्टियों के नेताओं को ही अपने समर्थको को ऐसे अति उत्साह से बचाना चाहिए पर इससे मिलने वाले वोटों की चाह में हमारे नेता किसी भी तरह के अंकुश लगाने की बातें नहीं किया करते हैं. टीवी पर जिस तरह से इन नेताओं को सवालों के घेरे में रखा जाता है उसका साईं जवाब यदि इनके द्वारा दिया जाये तो आने वाले समय में भारतीय राजनीति में बहुत बड़ा सुधार आ सकता है. अपनी बात को अधिकतर लोगों तक किसी भी सक्षम माध्यम से पहुँचाने के प्रयास को अच्छा ही माना जाता है जब उसका सही तरह से उपयोग किया जा सके.
                           टीवी पर इस तरह के साक्षात्कार से अच्छी शुरुवात तो हो ही सकती है पर इसके साथ ही यदि चुनाव आयोग अपने स्तर से सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों को देने वाले समय और यदि उनके सम्बोधनों को नीरस बनने के स्थान पर देश के समक्ष आने वाले मुद्दों पर राय जानकर उसे सभी तरह के माध्यमों से प्रचारित करवाने के लिए सरकार पर दबाव डाले. हर दल के लिए जो भी एक जैसे मुद्दे हैं और उन पर पार्टी क्या करना चाहती है यही पूछा जाना चाहिए जिससे सभी के मंतव्यों की जानकारी जनता को हो सके. कल जिस तरह से नरेंद्र ने यह कहा कि उनकी चाहत है मुस्लिम बच्चों के एक हाथ में कुरआन और दूसरे में कंप्यूटर हो तो उसका स्वागत ही होना चाहिए और इस बात को भी परखा जाना चाहिए कि गुजरात के अपने शासन में उन्होंने इसे किस तरह से धरातल पर उतारा है ? यदि उन्होंने इस क्षेत्र में प्रयास किये हैं तो उनका स्वागत होना ही चाहिए. मुद्दों पर राजनीति के हावी होने से पहले ही मुद्दों को राजनीति पर हावी करने के प्रयास किये जाने चाहिए जिससे देश के सामने सही तस्वीर बन सके और देश की वास्तव में तरक्की भी हो सके.       
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